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    Yogini Ekadashi 2025: योगिनी एकादशी आज, इस विधि से करें पूजा, नोट करें पूजा मुहूर्त और पारण समय

    Updated: Sat, 21 Jun 2025 07:00 AM (IST)

    योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2025) का व्रत हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। इस साल यह 21 जून यानी आज मनाई जा रही है। इस दिन व्रत रखने से सभी कष्टों का नाश होता है।

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    Yogini Ekadashi 2025: योगिनी एकादशी पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बहुत पुण्यदायी माना जाता है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है। आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से सभी कष्टों का नाश होता है।

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    हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2025) 21 जून, 2025 यानी आज के दिन मनाई जा रही है, तो आइए इस आर्टिकल में इस तिथि से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।

    पारण समय (Yogini Ekadashi 2025 Paran Time)

    योगिनी एकादशी का पारण 22 जून को सुबह 6 बजकर 11 मिनट से सुबह 8 बजकर 55 मिनट के बीच किया जाएगा।

    पूजा मुहूर्त (Yogini Ekadashi 2025 Puja Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 04 मिनट से 04 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 07 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। सुबह का पूजा मुहूर्त 07 बजकर 26 मिनट से 09 बजकर 07 मिनट तक रहेगा।

    अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। दोपहर का पूजा मुहूर्त 12 बजकर 28 मिनट से 02 बजकर 09 मिनट तक रहेगा।

    योगिनी एकादशी 2025 पूजा विधि (Yogini Ekadashi 2025 Puja Vidhi)

    • एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें।
    • पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
    • पूजा करने से पहले व्रत का संकल्प लें।
    • घर के पूजा कक्ष में एक वेदी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
    • भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करें।
    • इसके बाद उन्हें चंदन, रोली, अक्षत, पीले फूल, तुलसी दल, धूप, दीप और फल-मिठाई अर्पित करें।
    • 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का 108 बार जप करें।
    • योगिनी एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें।
    • अंत में भगवान विष्णु की आरती करें।
    • पूजा पूरी होने पर प्रसाद परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों में बांटें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।