Vastu Tips: घर में रखे पुराने कपड़े बन सकते हैं दुर्भाग्य का कारण, आज ही कर लें अलमारी को अरेंज
अगर आपकी अलमारी में पुराने और फटे कपड़े हैं तो यह नकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित कर सकता है जो दुर्भाग्य का कारण बन सकता है। ज्योतिष शास्त्र में पुराने कपड़ों को शनि और राहु से जोड़ा गया है। ऐसे घरों में शनि और राहु का अशुभ प्रभाव होता है जिससे तरक्की और समृद्धि में बाधा आती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आपकी अलमारी में ऐसे कई कपड़े रखें होंगे, जिन्हें आपने महीनों या सालों से नहीं पहना होगा। वहीं, कुछ ऐसे भी कपड़े घर में आपने जमा कर रखें होंगे, जो फटे पुराने होंगे। अगर, ऐसा है तो अनजाने में आप अपने घर में निगेटिविटी को न्योता दे रहे हैं, जो आगे चलकर आपके दुर्भाग्य का कारण बन सकता है।
दरअसल, ज्योतिष शास्त्र में पुराने कपड़ों का संबंध शनि और राहु से माना जाता है। जिन घरों में पुराने कपड़े होते हैं, वहां पर शनि और राहु का अशुभ प्रभाव रहता है। पुराने, बिना इस्तेमाल में आने वाले सामान और कबाड़ को भरकर रखने से निगेटिव एनर्जी बनने लगते हैं।
ऐसा होने पर आपकी तरक्की और सुख-समृद्धि में बाधा आ सकती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर पर शुभ और अच्छी चीजों को रखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बना रहता है। इसलिए घर में और अलमारी में उन्हीं कपड़ों को रखें जो पहनने लायक हों और फटे-पुराने नहीं हों।
आइए जानते हैं पुराने कपड़ों का क्या करें…
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर पर फटे, पुराने और बेकार कपड़ों को तुरंत ही अलमारी से बाहर निकाल दें। इन कपड़ों की वजह से आपको आर्थिक और मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार कभी भी पुराने, बेकार और फटे हुए कपड़ों दान नहीं करने चाहिए। यदि आप किसी जरूरतमंद व्यक्ति को कुछ दान करना चाहते हैं, तो ऐसे कपड़े दें, जो पहनने लायक हों। यदि आपके पास काले कपड़े हों, तो उन्हें शनिवार के दिन दान करने से शनि दोष कम होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, बेरंग हो चुके कपड़े पहनने या उन्हें घर में रखे रहने से आपकी जिंदगी भी बेरंगी होने लगती है। इसी तरह दाग-धब्बे लगे कपड़े भी घर में नहीं रखने चाहिए। इसलिए इन कपड़ों को भी फेंक दें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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