Google Maps का सीक्रेट फॉर्मूला: कैसे एक सेकंड में बता देता है कितनी देर में पूरा होगा सफर?
गूगल मैप्स ने ट्रेवल को काफी आसान बना दिया है। इससे आप आज मिनटों में किसी जगह जाने का सबसे फास्ट रूट और वहां पहुंचने में लगने वाला टाइम कुछ क्लिक करते ही देख सकते हैं लेकिन सवाल ये है कि आखिर गूगल मैप कैसे इस टाइम को कैलकुलेट करता है। आज हम आपको इसी बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। गूगल मैप्स ने ट्रेवल को काफी ज्यादा आसान बना दिया है। आजकल तो इसमें कई ऐसे एडवांस फीचर्स भी आ गए हैं जिससे आप एक क्लिक पर ये तक जान सकते हैं कि आपके आसपास कहां शॉपिंग मॉल है या कहां पेट्रोल पंप मौजूद है। इतना ही नहीं मेप में आपको एक क्लिक पर यह भी पता चल जाता है कि आखिर किसी जगह पर पहुंचने में आपको कितना वक्त लगने वाला है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गूगल मेप आपके सफर का ये टाइम इतनी सटीकता से कैसे कैलकुलेट करता है? तो चलिए आज हम आपको इसी के बारे में विस्तार से बताएंगे...
पहले मापता है दूरी
सबसे पहले तो गूगल मैप्स के पास एक खास डेटाबेस होता है जिसे Geographical Information System यानी GIS कहा जाता है। इसके अंदर सड़क नेटवर्क के हर पॉइंट के Longitude, Latitude और Elevation का डेटा पहले से ही स्टोर होता है। इसके बाद सॉफ्टवेयर एल्गोरिथम शुरुआती पॉइंट से सही डायरेक्शन में जाने वाले रास्तों को ट्राई करता है और डेस्टिनेशन तक पहुंचने के लिए सबसे फास्ट रूट सेलेक्ट करता है। इस प्रोसेस में सभी डेटा को जोड़कर दूरी तय की जाती है।
स्पीड लिमिट करता है चेक
डेस्टिनेशन की दूरी चेक करने के बाद यह टाइम निकालने के लिए गूगल GIS डेटा में मौजूद स्पीड लिमिट, रोड का नाम, डेस्टिनेशन और ट्रैफिक जानकारी का भी यूज करता है। जिसके बाद यह हर सड़क के हिसाब से टाइम का बेसिक अनुमान लगाता है। इसके अलावा गूगल कुछ पुराने डेटा का भी यूज करता है जैसे किस टाइम किसी यूजर ने उस सड़क पर कितनी स्पीड से ट्रेवल किया था।
रियल-टाइम यूजर और रोड कंडीशन
दूरी और स्पीड लिमिट जैसे डेटा को भी चेक करने के बाद गूगल बेसिक टाइम को और सटीक बनाने के लिए रियल-टाइम डेटा के साथ साथ यूजर्स के फीडबैक का भी इस्तेमाल करता है। बता दें कि 2009 में गूगल ने कैमरा और सेंसर की जगह यूजर्स के लोकेशन डेटा पर भरोसा करना शुरू किया। यानी अगर किसी जगह पर कोई यूजर स्लो ट्रेवल करता या रुकता तो गूगल इसे ट्रैफिक मान लेता था।
हालांकि इसके बाद साल 2013 में गूगल ने Waze खरीदी, जो यूजर्स से ट्रैफिक, दुर्घटना, रोड ब्लॉक, पुलिस चेक और स्पीड कैमरे की रिपोर्ट भी लेता था। इन सभी डेटा का यूज करके गूगल जर्नी टाइम को कैलकुलेट करता है। इसके अलावा गूगल कभी कभी टेलीकॉम कंपनियों के साथ मिलकर मोबाइल टॉवर के जरिए भी दूरी मापता है।
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