काशी से खजुराहो तक सनातन संग ऐतिहासिक व प्राकृतिक स्थलों की सैर कराएगी वंदे भारत
वाराणसी से खजुराहो के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस शुरू होने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यह ट्रेन विंध्याचल, प्रयागराज और चित्रकूट जैसे धार्मिक स्थलों को जोड़ेगी। प्रधानमंत्री आठ नवंबर को इसका शुभारंभ करेंगे। चित्रकूट अपने धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, जहां भगवान राम ने वनवास का समय बिताया था। खजुराहो अपने मंदिरों के लिए जाना जाता है। इस ट्रेन से यात्रा का समय कम होगा और पर्यटन उद्योग को नया आयाम मिलेगा।

वंदे भारत एक्सप्रेस चलने से वर्तमान में संचालित विशेष ट्रेनों की तुलना में लगभग तीन घंटे की बचत होगी।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। बनारस से खजुराहो के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस चलने से वर्तमान में संचालित विशेष ट्रेनों की तुलना में लगभग तीन घंटे की बचत होगी। साथ ही यह ट्रेन धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक स्थलों के साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य का दर्शन कराएगी। इसलिए समय की बचत के साथ ट्रेन का पर्यटन की दृष्टि से विशेष महत्व है। इस ट्रेन का प्रधानमंत्री आठ नवंबर को शुभारंभ करेंगे।
बनारस से चल कर यह सबसे पहले तो मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ पहुंचाएगी। इसके बाद संगम नगरी प्रयागराज (छिवकी) ले जाएगी। वाराणसी के लोगों की अपेक्षा बाहर से आने वालों के लिए विंध्याचल, प्रयागराज पहुंचना आसान होगा। इसके बाद ट्रेन चित्रकूट पहुंचेगी। चित्रकूट धार्मिक और पौराणिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
यह वह स्थान है जहां भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास के दौरान निवास किया था। यहां कई प्रसिद्ध पर्यटन और तीर्थ स्थल हैं। जिनमें रामघाट, कामदगिरी, हनुमान धारा, गुप्त गोदावरी और सती अनुसुुइया आश्रम शामिल हैं। इतना ही नहीं बहुत से श्रद्धालु चित्रकूट के साथ मैहर यात्रा का प्लान बनाते हैं। चित्रकूट से मैहर लगभग 120 किलोमीटर दूर है।
अभी वाराणसी से लोग मीरजापुर, सतना के रास्ते जाते हैं। चित्रकूट के बाद बांदा मुख्य रूप से कालिंजर किला, माहेश्वरी देवी मंदिर, कुरसेजा धाम और वेदव्यास की जन्मस्थली (बसधारी) पर्यटन स्थल के लिए प्रसिद्ध है। प्रकृति से जोड़ेगी यह ट्रेन: वंदे भारत एक्सप्रेस का अगला स्टापेज महोबा है। यह ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां खासकर 9वीं शताब्दी के सूर्य मंदिर, आल्हा-ऊदल की वीर गाथाओं और चंदेल काल की कलाकृतियां हैं। दिन में जब वंदे भारत इस रूट से गुजरेगी तो दोनों तरफ पहाड़ियों और हरियाली का नजारा यात्रा के सुखद एहसास को दोगुना कर देगा।
बागेश्वर धाम सरकार तक पहुंचना होगा आसान
वंदे भारत का अंतिम स्पाटपेज खजुराहो है। यह स्थल अपने मंदिरों की लंबी शृंखला के लिए प्रसिद्ध है। खजुराहो का कंदरिया महादेव मंदिर सबसे विशाल और प्रसिद्ध मंदिर है। यह वास्तुशिल्प का बेजोड़ नमूना है। इसके अलावा लक्ष्मण मंदिर, भगवान विष्णु को समर्पित चतुर्भुज मंदिर, 64 योगिनी मंदिर सनातन की आस्था का प्रसिद्ध केंद्र है।
इतना ही नहीं यहां उतर कर आज के सनातन के सबसे बड़े झंडाबरदार बागेश्वर धाम सरकार तक जाया जा सकता है। साथ ही खजुराहो का पार्श्वनाथ मंदिर दिगंबर जैन धर्मावलंबियों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र है। वाराणसी से सीधा खजुराहो पहुंचकर लोग पन्ना टाइगर रिजर्व, पन्ना टाइगर सफारी, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का भी आनंद ले पाएंगे।
वंदे भारत एक्स. का ट्रायल रन कराया गया
आगामी आठ अक्टूबर को प्रधानमंत्री के हाथों शुभारंभ होने वाली वाराणसी-खजुराहो वंदे भारत एक्सप्रेस का गुरुवार को ट्रायल रन कराया गया। ट्रेन बनारस रेलवे यार्ड में दौड़ लगाई, जिसकी निगरानी रेलवे के विशेषज्ञ करते रहे। पूरे दिन की परीक्षा में वंदे भारत एक्सप्रेस पास हुई। आठ कोच की वंदे भारत एक्सप्रेस को दिल्ली की शकूर बस्ती से वाराणसी लाया गया है।
पर्यटन उद्योग को नया आयाम
सामान्य ट्रेन से खजुराहो जाने में लगभग दस घंटे लगते हैं। वंदे भारत से लगभग 2:40 घंटा कम समय लगेगा। इस ट्रेन के शुरू होने से वाराणसी, विंध्याचल, प्रयागराज, चित्रकूट और खजुराहो जैसे धार्मिक स्थल जुड़ जाएंगे। नई ट्रेन न सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को मजबूत करेगी, श्रद्धालुओं और यात्रियों को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल खजुराहो तक तीव्र यात्रा कराएगी। इससे पर्यटन उद्योग को भी नया आयाम मिलेगा।
520 लोगों के बने पास, जाएंगे खजुराहो
खजुराहो के लिए उद्धाटित वंदे भारत एक्सप्रेस शनिवार को 520 लोगों को लेकर रवाना होगी, जिसमें 40 बच्चे भी शामिल होंगे। प्रधानमंत्री वंदे भारत का उद्घाटन करने से पूर्व ट्रेन के एक कोच में बैठे बच्चों से मिलने के बाद उसे हरी झंडी दिखाएंगे। बच्चों की इच्छा पर उनका सफर निर्धारित करेगा।
सुरक्षा निगरानी में पीएम से मिलने वाले बच्चे सेंट्रल हिंदू स्कूल (सीएचएस ) के अलावा डीएलडब्ल्यू व कैंटोमेंट क्षेत्र स्थित केंद्रीय विद्यालय के बच्चे प्रधानमंत्री से मिलेंगे। जिला प्रशासन ने 40 बच्चों को प्रधानमंत्री से मिलवाने के लिए चयनित भी कर लिया है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा के दृष्टिगत एसपीजी निगरानी रख रही है।
प्रधानमंत्री देख सकते हैं रोपवे की प्रगति
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दो दिवसीय काशी दौरे पर सात नवंबर को आ रहे हैं। प्रधानमंत्री पहले दिन शाम को पदाधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में दर्शन- पूजन कर सकते हैं। रोपवे, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम की प्रगति देख सकते हैं। हालांकि प्रोटोकाल नहीं है लेकिन प्रशासन की ओर से इसकी तैयारी है। रोपवे को लेकर गुरुवार को फ्लीट का रिहर्सल कैंट रेलवे स्टेशन परिसर तक हुआ। यह भी कहा जा रहा है कि 451 करोड़ की लागत से गंजारी में निर्माणाधीन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को देख सकते हैं।

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