Agra Flood: बेलनगंज बाजार तक पानी आया, 152.80 मीटर पर पहुंचा यमुना का जलस्तर; बाजार में दहशत का आलम
Agra Flood आगरा में यमुना नदी का जलस्तर 152.80 मीटर पर पहुंच गया है लेकिन मंगलवार को इसमें कमी आई है। गोकुल बैराज से कम पानी छोड़े जाने के कारण जलस्तर स्थिर हो गया है और अगले 8-10 घंटों तक स्थिर रहने के बाद कमी आने की संभावना है। शहर के 63 गांव और 32 कॉलोनियां बाढ़ से प्रभावित हैं जिससे कई क्षेत्रों में जलभराव हो गया है।

जागरण संवाददाता, आगरा। अन्य दिनों के मुकाबले जिस तरीके से यमुना नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा था। मंगलवार को उसमें कमी आई। नदी का जलस्तर 152.80 मीटर पर पहुंच गया। गोकुल बैराज से कम पानी छोड़े जाने के चलते आगरा में यमुना नदी का जलस्तर स्थिर हो गया है। 8 से 10 घंटे तक जलस्तर स्थिर रहेगा। इसके बाद इसमें कमी के आसार हैं।
सिंचाई विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि हथिनीकुंड से यमुना नदी में 33000 क्यूसेक, ओखला बैराज से 84 हजार क्यूसेक उससे पानी छोड़ा जा रहा है। शहर में 63 गांव और 32 कालोनियां बाढ़ की चपेट में हैं। नालो के बैक मरने से हाथी घाट यमुना किनारा रोड पर पानी भर गया है।
लोगों की धड़कनें बढ़ रहीं
कालिंदी की तेज गति से बहती लहरें किनारे बसे लोगों की धड़कड़ बहा रही है। जीवनी मंडी स्थित कृृष्णा कालोनी से यमुना सटकर बह रही है। पानी कॉलोनी में घुस चुका है, वहीं कुछ घरों में दो से चार फीट तक पानी भर गया है। ऐसे में करीब 10 परिवार अपने ही घर में शरणार्थी बनने को मजबूर हो गए हैं। कमरों में यमुना जल भरने पर उन्हे परिवार सहित छतों पर शरण लेनी पड़ी है। ऐसे में वह छत पर तिरपाल डालकर जैसे-तैसे समय काट रहे हैं। वहीं जिन घरों तक पानी नहीं पहुंचा है, वहां चेतावनी पोस्टर लगाए गए हैं।
जीवनी मंडी में लोग परेशान
जीवनी मंडी स्थित कृष्णा कॉलोनी में यमुना किराने श्रीवास्तव परिवार रहता है। उनके घर में करीब 30 सदस्य हैं, जो इस बाढ़ के बाद से परेशान हैं। यमुना का जलस्तर बढ़ने पर पानी ने उनके घर में तीन दिन पहले ही प्रवेश कर दिया था। लेकिन अब बढ़ते-बढ़ते पानी दो से चार फीट तक पहुंच गया है। स्थिति यह है कि परिवार के आठ कमरों में जलभराव हो गया है, जिससे सारा सामान पानी में भीग गया है। रहने का कोई अन्य विकल्प न होने के कारण उन्होंने बच्चों और महिलाओं के साथ छतों पर तिरपाल डालकर शरण ले ली है।
दो दिन बाहर से थोड़ा बहुत खाना मंगवाकर गुजारा किया, लेकिन कोई मदद न मिलने पर छत पर ही अस्थाई चूल्हा बनाकर उन्होंने उपलब्ध संसाधनों से भोजन बनाया और बच्चों को खिलाया।
2010 से ज्यादा खराब हैं हालात
65 वर्षीय विमलेश देवी भी इस बाढ़ से प्रभावित हैं। वह बताती हैं कि वर्ष 2010 में भी यमुना ने अपना रौद्र रूप दिखाया था, लेकिन तब भी जलस्तर इतना नहीं बढ़ा था, लेकिन इस बार पानी के साथ यमुना का वेग भी अधिक है, जो डरा रहा है। हरिकिशन बताते हैं कि परिवार की चिंता सता रही है। तीन दिन से तो पंगल के नीचे पत्थर लगाकर काम चल रहा था, लेकिन अब छत पर शरण ली है। डर लग रहा है किसी के साथ कोई अनहोनी न हो जाए।
यमुना किराने थमे वाहनों के पहिया
यमुना के जलस्तर ने बढ़ते-बढ़ते यमुना किनारा रोड के आवागमन को पहले ही प्रभावित कर दिया था लेकिन सोमवार को भी इससे राहत नहीं मिली। हालांकि काली देवी मंदिर के पास पुल के नीचे हुए जलभराव को यमुना में गिरते नालों में रेत के बोरे लगाकर टैप कर दिया, जिससे वहां की जलभराव की समस्या दूर हो गई। लेकिन कामाख्या देवी मंदिर के पास स्थित तिराहा पर नालों से होते हुए यमुना जल जमा होने से भारी जलभराव हो गया।
करीब ढ़ाई से तीन फीट जलभराव के बीच से निकलने का प्रयास करते हुए कई वाहन बीच में ही बंद हो गए, जिन्हें लोगों की सहायता से निकाल गया। कई दो, तीन और चार पहिया वाहनों को धकेल कर वाहन निकाला गया। वहीं कई ईवी वाहन भी जलभराव में फंस कर बंद हो गए। मार्ग पर जलभराव होने से यातायात भी प्रभावित रहा, जिस कारण यमुना किनारा, बिजलीघर, रावतपाड़ा, आदि क्षेत्रों में जाम की स्थिति भी बनी रही।
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