Johra Bagh Burj: 10 महीने पहले ढही थी ऊपरी मंजिल, अब दो चरणों में होगा जौहरा बाग के बुर्ज का संरक्षण
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) यमुना किनारे स्थित जौहरा बाग के बुर्ज का संरक्षण दो चरणों में करेगा। पहले चरण में भूतल पर स्थित अवशेषों को मजबूत किया जाएगा। पिछले वर्ष बुर्ज ढह गया था जिसकी वजह मिट्टी की चिनाई पर चूने का मसाला था। पहले चरण का काम 40 लाख रुपये से शुरू होगा जिसमे पहली मंजिल को मजबूती दी जाएगी।

जागरण संवाददाता, आगरा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा यमुना किनारा स्थित जौहरा बाग के बुर्ज का संरक्षण दो चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में भूतल पर स्थित बुर्ज के अवशेषों का संरक्षण कर उसे मजबूती प्रदान की जाएगी। इसमें पुराने मसाले की मजबूती को भी परखा जाएगा, यह लगभग खराब हो चुका है। दूसरे चरण में बुर्ज की दूसरी मंजिल और तीसरी मंजिल पर बुर्जी बनाई जाएगी। पहले चरण का काम अक्टूबर में शुरू हो सकता है।
पिछले वर्ष नवंबर में ढह गया था यमुना किनारा स्थित बुर्ज
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित जौहरा बाग का बुर्ज पिछले वर्ष नवंबर में ढह गया था। उसकी दूसरी मंजिल के साथ ही तीसरी मंजिल गिर गई थीं। पहली मंजिल को भी क्षति पहुंची थी। एएसआई की जांच में यह बात सामने आई थी कि मिट्टी की चिनाई के ऊपर चूने के मसाले की टीप कर दी गई थी। इससे वर्षा का पानी बुर्ज के अंदर पहुंचने से वह गिरा था।
पहले चरण के काम पर आएगी 40 लाख रुपये की लागत
एएसआई ने तब बुर्ज का संरक्षण करने की योजना तैयार कर दिल्ली मुख्यालय को स्वीकृति के लिए भेजी थी। यहां से मलबा हटाने के साथ ही बुर्ज की दूसरी व तीसरी मंजिल की ड्राइंग तैयार की गई थीं, जिससे कि भविष्य में उसका संरक्षण किया जा सके। 10 माह में यहां काम शुरू नहीं हो सका है। इन दिनों जौहरा बाग के बुर्ज से सटकर यमुना बह रही है। इससे यहां अभी काम शुरू होने की संभावना नहीं है। सितंबर में टेंडर के बाद अक्टूबर में यहां काम शुरू हो सकता है।
वरिष्ठ संरक्षण सहायक अंकित नामदेव ने दी जानकारी
एत्माद्दौला सब-सर्किल के वरिष्ठ संरक्षण सहायक अंकित नामदेव ने बताया कि जौहरा बाग के बुर्ज का पहले चरण का काम करीब 40 लाख रुपये से होगा। इसमें बुर्ज की पहली मंजिल को मजबूती प्रदान करने का काम होगा। उसके बाद ही दूसरी व तीसरी मंजिल पर काम हो सकेगा।
बुर्ज तक जाने का नहीं है रास्ता
यमुना किनारा स्थित बुर्ज तक जाने का सीधा रास्ता नहीं है। एएसआई ने चीनी का राेजा से यमुना किनारा होते हुए बुर्ज तक जाने को रास्ता तैयार किया था। यहां काम करने को इसी रास्ते से जाना होगा। ब्रिटिश काल में ही बाग का अस्तित्व मिट गया था और उसकी एकमात्र निशानी के रूप में यह बुर्ज बचा था।
लाखौरी ईंटों का बना है बुर्ज
जौहरा बाग के बुर्ज का निर्माण लाखौरी ईंंटों से हुआ है। दीवार पर बाहर की तरफ लाल बलुई पत्थर लगा था, जिसमें गुलदस्ते व सुराही के डिजाइन बने थे। बुर्ज के गिरने से यह काम नष्ट हो गया है। बुर्ज की छत 80 से 85 सेमी मोटी चूने की बनी थी। समय के साथ यह खराब हो चुका है।
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