15 हजार रुपये नहीं लौटाने पर यूपी के बिल्डर को चुकाने पड़े 1.69 लाख, ऐसा कैसे हुआ?
उत्तर प्रदेश में एक बिल्डर को 15 हजार रुपये का रिफंड समय पर न लौटाने के कारण 1.69 लाख रुपये चुकाने पड़े। उपभोक्ता फोरम में शिकायत के बाद, बिल्डर को हर्जाना और कानूनी खर्च सहित भुगतान करने का आदेश दिया गया। यह मामला वित्तीय विवादों को गंभीरता से लेने की सीख देता है।

जागरण संवाददाता, आगरा। कालोनी में मकान की बुकिंग करने के बाद बिल्डर ने मकान नहीं दिया। लिए गए एडवांस में से 15 हजार रुपये कम वापिस किए। पीड़ित ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम के समक्ष वाद प्रस्तुत किया। 25 वर्ष बाद पीड़ित को आयोग के अध्यक्ष सर्वेश कुमार ने ब्याज समेत 1.69 लाख रुपये का चेक सौंपा।
पीड़ित कमलानगर के दिनेश चंद शुक्ला ने 1999 में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम के समक्ष वाद प्रस्तुत किया था। आरोप था कि सिंह स्टेट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर एसपी सिंह से शास्त्री नगर,खंदारी में कालोनी के अंदर मकान बुक किया था।
एडवांस के तौर पर दो लाख रुपये चेक से और 10 हजार रुपये नकद दिए थे। उक्त जमीन पर मुकदमा न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण मकान नहीं बन सका। बिल्डर ने 1.85 हजार रुपये ही लौटाए। पीड़ित ने मुकदमा दर्ज कराया। 23 जुलाई 2009 को आयोग ने वादी के पास दस हजार नकद देने की कोई रसीद न होने का हवाला देकर शेष 15 हजार रुपये को 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ देने के आदेश दिये।
बिल्डर ने मामले पर राज्य उपभोक्ता आयोग के समक्ष अपील कर दी। वहां से अपील खारिज होने के बाद अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को यथावत रखा गया। आयोग ने बिल्डर को नोटिस देकर रकम जमा करने को बाध्य किया गया। चेक जमा होने के बाद आयोग के अध्यक्ष सर्वेश कुमार और सदस्य राजीव सिंह ने वादी को चेक सौंपा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।