Yamuna Floods in Agra: यमुना का जलस्तर बढ़ने से कई गांवों में तबाही, किसानों की फसलें डूबीं और रास्तों पर पानी
आगरा में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से कई गांवों में तबाही मची है। किसानों की फसलें डूब गई हैं और ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। प्रशासन द्वारा राहत कार्य जारी हैं लेकिन किसान नुकसान का सही आकलन कर मुआवजे की मांग कर रहे हैं। यमुना के उफान से किसानों के सपने चकनाचूर हो गए हैं।

जागरण टीम, आगरा। जिस तरीके से यमुना का जलस्तर बढ़ रहा है। शनिवार शाम तक तनौरा गांव का तहसील मुख्यालय से संपर्क टूट जाएगा। अधिकांश ग्रामीण गांव को खाली करने के लिए तैयार नहीं हैं। कुछ यही स्थिति समोगर गांव की भी है। तनौरा में नायब तहसीलदार रजनीश रंधावा और समोगर में नायब तहसीलदार राजपाल सिंह की ड्यूटी लगाई गई है।
ढाई घंटे की मशक्कत के बाद ग्रामीण सौदान सिंह ने घर किया खाली
वहीं शुक्रवार को ढाई घंटे की मशक्कत के बाद बुजुर्ग दंपती सौदान सिंह को मेहरा नाहरगंज के ठार से निकाल कर सुरक्षित स्थल पहुंच गया। सौदान ने घर छोड़ने से मना कर दिया था। तहसील सदर की टीम नाव लेकर पहुंची। बुजुर्ग दंपती से साथ चलने के लिए कहा। लगातार अनुरोध के बाद दंपती नाव में सवार हुए।
एसडीएम ने दी जानकारी
एसडीएम सदर सचिन राजपूत ने बताया कि पीड़ित ग्रामीणों को खाना और पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं समोगर गांवों में यमुना का पानी खेतों से होकर आबादी की ओर बढ़ रहा है। हालांकि अभी स्थिति नियंत्रण में है और ग्रामीण सुरक्षित हैं। तनौरा नूरपुर के ग्राम प्रधान मनोज कुमार का कहना है कि जलस्तर जरूर बढ़ा रहा है।
तनौरा के ग्रामीण सुधीर सिंह का कहना है कि दो खंड का मकान है। सामान पहली मंजिल पर रख लिया है। पूरा सामान ले जाना आसान नहीं होगा। इसी के चलते घर को खाली नहीं कर रहे हैं।
यमुना के उफान में डूब गए किसानों के सपने
जिन खेतों से बच्चों की पढ़ाई, घर का खर्च और परिवार का गुज़ारा चलता था, वे खेत अब यमुना की धारा में समा गए हैं। यही आह भरते हुए तटवर्ती गांवों के किसान अपने हालात बयां कर रहे हैं। यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और इसके उफान ने गांव-गांव में तबाही मचा दी है। खेतों में खड़ी फसलें पानी में डूब चुकी हैं। किसान आंखों के सामने अपनी मेहनत का सब कुछ बहते देख बेबस खड़े हैं।
हर साल मेहनत की कमाई बहा ले जाती है नदी, अब कौन सुने किसानों का दुखड़ा
नदी की तेज धारा गांवों तक पहुंच रही है और उपजाऊ भूमि को अपने आगोश में ले रही है। किसानों की लौकी, गोभी, बाजरा, परमल, धनिया, मिर्च, सेम और तोरई जैसी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। खेतों से बाजार तक केवल तबाही और नुकसान की चर्चा है। ग्रामीणों का कहना है कि यह सिलसिला हर साल दोहराया जाता है।
अफसर मौके पर पहुंचते हैं, सर्वे की बात करते हैं और राहत का आश्वासन देकर चले जाते हैं। लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि मुआवजा या तो देर से मिलता है या फिर बहुत ही कम। किसान पूछ रहे हैं कि जब जमीन ही नदी में समा जाएगी तो साल भर परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा? बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और शादी-ब्याह जैसे खर्चे कैसे पूरे होंगे?
यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से 10 बीघा धनिया की फसल नष्ट हो गई है। इसकी भरपाई आसान नहीं होगा। मुआवजा न के बराबर मिलेगा। जिला प्रशासन को नुकसान के आधार पर मदद करनी ही चाहिए। किसान टिंकू वर्मा
कई सालों बाद यमुना में इतना पानी देखा जा रहा है। मेरी सात बीघा जमीन नदी में समा चुकी है। प्रशासन को धरातल पर सही सर्वे कराकर आर्थिक सहायता देनी चाहिए। किसान हरिमोहन सिंह
लगभग सात बीघा खेत यमुना नदी अपने साथ बहा ले गई है। विभाग को चाहिए कि नदी किनारे ठोकरें बनवाए, ताकि कटान पर रोक लग सके। किसान महावीर सिंह
खून-पसीना बहाकर फसल तैयार की थी, लेकिन यमुना ने सब लील लिया। अब परिवार की रोज़ी-रोटी का संकट और गहरा गया है। बच्चों की पढ़ाई तक रुकने की नौबत आ गई है। किसान लाल सिंह
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