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    23 साल पहले किशोरी से हुआ था सामूहिक दुष्कर्म, दो सेवानिवृत्त कोतवालों सहित 7 को हुई सजा

    Updated: Wed, 15 Oct 2025 11:26 PM (IST)

    23 साल पहले एक किशोरी के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। दो सेवानिवृत्त कोतवालों समेत सात आरोपियों को सजा सुनाई गई है। इस फैसले से पीड़िता और उसके परिवार को न्याय मिला है। यह मामला वर्षों से अदालत में चल रहा था।

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    जागरण संवाददाता, अलीगढ़। खैर क्षेत्र में 23 साल पहले एक अनुसूचित जाति की किशोरी के अपहरण के बाद सामूहिक दुष्कर्म में अदालत ने दो सेवानिवृत्त कोतवालों सहित सात दोषियों को बीस-बीस साल की सजा सुनाई है। दोषियों में केस का विवेचक व खैर थाने का तत्कालीन कोतवाल भी है। किशोरी ने बयान में बसपा नेता राकेश मौर्य का भी नाम लिया। राकेश मौर्य ने बसपा सरकार में मुकदमा वापस करा लिया था।

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    खैर क्षेत्र के गांव निवासी पिता ने 30 अक्टूबर 2002 को खैर थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया था। जिसमें उसने कहा था कि उसकी नाबालिग बेटी सुबह पांच बजे शौच के लिए गई थी। इसके बाद नहीं लौटी। आरोप लगाया कि गांव के तीन नामजद रामेश्वर, प्रकाश व साहब सिंह हत्या के इरादे से अगवा कर ले गए। पुलिस ने जांच व प्रयास के बाद 26 दिसंबर को टप्पल के हामिदपुर के पास से किशोरी को उसके ही गांव के बोना व पप्पू उर्फ बिजेंद्र से कब्जा मुक्त कराया। दोनों जेलने के बाद चार्जशीट भी दायर कर दी। मुकदमा में नामजद लोगों के नाम चार्जशीट से हटा दिए। पीड़ित पक्ष ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी।

    तीन बार में हुई चार्जशीट दायर

    हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीसीआइडी ने विवेचना करते हुए तीन बार में चार्जशीट दायर की। जिसमें गांव के रामेश्वर, प्रकाश, साहब सिंह, खेमचंद्र, राकेश मौर्या, गांव के ही सेवानिवृत्त एसएचओ रामलाल वर्मा, उसका बेटा बाबी, इगलास के गांव अनुपिया के जयप्रकाश व सेवानिवृत्त मुकदमा विवेचक तत्कालीन खैर एसएचओ लखनऊ के सरोजनी नगर एलडीए कालोनी निवासी पुत्तूलाल प्रभाकर को आरोपित बनाया गया। सत्र परीक्षण के दौरान साहब सिंह की मृत्यु हो गई।

    जबकि राकेश मौर्या का नाम शासन की मुकदमा वापसी की सिफारिश के चलते उन्मोचित कर दिया गया। एडीजे फास्ट ट्रैक प्रथम अंजू राजपूत की अदालत सात आरोपितों रामेश्वर, प्रकाश, खेमचंद्र, जयप्रकाश, सेवानिवृत्त एसएचओ रामलाल वर्मा, बाबी व तत्कालीन खैर एसएचओ पुत्तूलाल प्रभाकर को सामूहिक दुष्कर्म का दोषी करार देकर 20-20 वर्ष की सजा सुनाई है। रामेश्वर, प्रकाश व रामलाल पर 60-60 हजार व बाकी चार पर 50-0 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। जुर्माने में से 75 प्रतिशत राशि पीडि़त को देने के आदेश दिए हैं।

    सत्ता के दबाव में आरोपितों से मिला गया विवेचक

    अभियोजन पक्ष के अनुसार विवेचक घटना में तो शामिल रहा ही, नामजद अभियुक्तों की मदद भी की। दोषियों को बचाने के लिए चार्जशीट तो दायर कर दी लेकिन पीड़िता के अदालत में बयान तक दर्ज नहीं करााए। सत्ता के दबाव में नामजदों के नाम तक हटा दिए। इसके चलते ही किशोरी के पिता ने हाईकोर्ट में किशोरी के बयान कराने की अर्जी दायर की।

    हाईकोर्ट के निर्देश पर 17 फरवरी 2003 को किशोरी के बयान हुए। किशोरी ने बयान में कहा कि रामेश्वर, प्रकाश व साहब सिंह उसे खेत से मुंह में कपड़ा ठूंसकर उठाकर ले गए। एक गाड़ी में डाल ले गए। जिसे राकेश मौर्या चला रहे थे। रामलाल उसमें सवार थे। उसे एक गोदाम पर ले जाया गया। जहां कई दिन तक वह बेहोश रही व बंधक रखा गया।

    वहां उसके साथ नामजद व अन्य ने दुष्कर्म किया। चार दिन बाद उसे जयप्रकाश के गांव एक कमरे में बंधक रखा गया। वहां भी नामजदों व अन्य द्वारा दुष्कर्म किया गया। इसके बाद आरोपित हरियाणा में कई दिन लेकर घूमे। बाद में उसे हामिदपुर के पास छोड़ गए। जहां उसे गांव के बोना व पप्पू मिल गए। उन्होंने उसकी मदद की।

    जो खुद आरोपित हो, उसे न्याय की उम्मीद नहीं

    पीड़िता के पिता ने हाईकोर्ट में दूसरी अपील यह भी कि जिस घटना में खुद थाना प्रभारी आरोपित हो वहां से न्याय की आस नहीं की जा सकती। किसी अन्य एजेंसी से विवेचना कराई जाए। हाईकोर्ट के निर्देश पर मुकदमे की विवेचना सीबीसीआइडी को मिली। विवेचना के आधार पर सभी आरोपियों पर चार्जशीट दायर की गई। इसके बाद पीड़ित पक्ष को न्याय मिला।



    विवेचक घटना में तो शामिल रहा ही दोषियों की मदद भी की। हाईकोर्ट के आदेश पर हुए बयान के बाद सच्चाई सामने आई। राकेश मौर्य पर केस चलाने के लिए शासन को लिखा गया है।
    हर्षवर्धन सिंह, अभियोजन अधिकारी