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'आप मनी लॉन्ड्रिंग में संलिप्त हैं, आपको डिजिटल अरेस्ट किया जाता है...', अलीगढ़ की मह‍िला से 75 लाख की ठगी

ड‍िजि‍टल अरेस्‍ट के जर‍िए लोगों को ठगने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। यूपी के अलीगढ़ में भी ठगों ने दस्‍तक दे दी है। साइबर ठगों ने शराब कंपनी की महिला अधिकारी को तीन द‍िन तक ड‍िजि‍टल अरेस्‍ट रखा और उनके साथ 75 लाख रुपये की ठगी कर ली। साइबर क्राइम थाना पुलिस ने केस दर्ज कर ल‍िया है और मामले की जांच कर रही है।

By Sumit Kumar Sharma Edited By: Vinay Saxena Updated: Thu, 19 Sep 2024 11:16 AM (IST)
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यूपी के अलीगढ़ में साइबर ठगों ने दी दस्‍तक।

जागरण संवाददाता, अलीगढ़। 'आपके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत दर्ज हुई है। केस सीबीआई के पास है। आपको डिजिटल अरेस्ट किया जाता है।' इस तरह का फोन कॉल आपके पास आए तो सावधान हो जाएं। साइबर ठगों के सबसे नए तरीके डिजिटल अरेस्ट ने अलीगढ़ में दस्तक दे दी है। तीन माह में तीन लोग शिकार हो चुके हैं, जिनसे 82 लाख रुपये से अधिक की ठगी हो चुकी है। इनमें शराब कंपनी की महिला अधिकारी के साथ 75 लाख रुपये की ठगी हुई। उन्हें तीन दिन तक शातिरों ने डिजिटल अरेस्ट रखा। साइबर क्राइम थाना पुलिस तीनों मामलों में मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है।

दुबे का पड़ाव मानिक चौक की महिला हरियाणा में शराब कंपनी में अधिकारी हैं। उन्होंने बताया कि आठ सितंबर को उनके पास फोन आया। शातिर ने कहा कि तुम्हारे खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत दर्ज हुई है। सीबीआई जांच के आदेश हुए हैं। मैं इसका अधिकारी हूं। मेरा नाम राजेश प्रधान है। तुम्हारे अकाउंट से 23 करोड़ का ट्रांजेक्शन हुआ है।

महिला ने मनी लॉन्ड्रिंग से लिप्त होने से मना किया तो शातिर ने कहा कि सीबीआई क्राइम ब्रांच में मुकदमा दर्ज है। हम तुम्हें डिजिटल अरेस्ट कर रहे हैं नहीं तो पुलिस आपको अरेस्ट करने के लिए निकल जाएगी। इसके बाद कुछ कागज भेजे और कुसुम को इस केस में संलिप्त बताया। आठ से 12 सितंबर तक वे महिला के संपर्क में रहे। वीडियो कॉल कट जाती तो तत्काल दोबारा कर देते। कहा कि तुम्हारे अकाउंट की सारी डिटेल हैक हो गई है। तुम्हें ईडी का अकाउंट देता हूं। उसमें अपने रुपये ट्रांसफर कर दो। इसकी रसीद मिलेगी। जब केस खत्म हो जाएगा तो पूरा पैसा वापस आ जाएगा।

महिला ने 15 लाख 30 हजार रुपये का ट्रांजेक्शन किया तो गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एनफोर्समेंट ऑफ डायरेक्टोरेट के नाम से रसीद मिली। इसके बाद 60 लाख रुपये और ट्रांसफर कर दिए। बाद में उन्होंने अपने एक रिश्तेदार को फोन किया। तब जाकर ठगी का एहसास हुआ।

केस-1: स्वर्ण जयंती नगर में रहने वाले सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने बताया कि एक जुलाई को शातिर ने निजी बैंक का कर्मचारी बनकर फोन किया। कहा कि आपने लोन लिया है। एक ऐप डाउनलोड करने को कहा। इसके बाद मुंबई पुलिस के लोगो के साथ काल आना शुरू हो गईं। कहा गया कि कार्रवाई से बचना है तो व्यक्तिगत जानकारी दे दें। धमकी दी कि यह नेशनल क्राइम है। आपके नाम अरेस्ट वारंट है। कभी भी अरेस्ट किया जा सकता है। मनी लांड्रिंग का केस है। 90 दिन के लिए कस्टडी में रखा जा सकता है। इस दौरान किसी ने मिलने भी नहीं दिया जाएगा। इस तरह चार लाख रुपये ट्रांसफर करने के लिए मजबूर कर दिया।

केस-2: विद्यानगर में रहने वाले व्यक्ति मल्टीनेशनल कंपनी में अधिकारी हैं। उन्होंने बताया कि 26 जून को फोन आया। शातिर ने खुद को ट्राइ अधिकारी बताया और कहा कि तुम्हारे नाम से मुंबई में एक सिम जारी किया गया है। इससे गैरकानूनी मैसेज किए गए हैं। इसलिए आपके सभी नंबर बंद किए जा रहे हैं। फोन चालू रखना चाहते हैं तो पुलिस अधिकारी से कान्फ्रेंस पर बात करा देता हूं। इसके बाद राजेश चौबे के नाम के अफसर ने वीडियो काल पर बयान लेना शुरू कर दिया। कहा कि आपके खिलाफ गैर-जमानती वारंट व बैंक खाता सीज करने के आदेश हैं। इसकी कापी भी भेज दी। क्लीनचिट देने के नाम दो लाख 90 हजार रुपये ट्रांसफर करा लिए।

ये सतर्कता व सावधानी बरतें

  • कोई भी अनजान नंबर से फोन काल आए तो सावधान हो जाएं। कोई जानकारी साझा न करें।
  • अगर जानकारी आपको भेजनी भी पड़ी तो पहले काल करने वाले की पहचान जरूर कर लें।
  • डिजिटल अरेस्ट नाम की कोई चीज नहीं होती। संदिग्ध गतिविधियां प्रतीत होने पर शिकायत करें।
  • ध्यान रखें कि सरकार, बैंक या फिर कोई भी जांच एजेंसी काल पर आपको धमका नहीं सकती है।
  • अगर किसी को भी रुपये ट्रांसफर कर रहे हैं तो पहले उसका सत्यापन जरूर करें।

डिजिटल अरेस्ट संबंधी मामले सामने आ रहे हैं। इससे बचने के लिए जागरूकता ही विकल्प है। इसके लिए पुलिस की ओर से लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। प्रचार-प्रसार किया जा रहा है कि किसी के झांसे में न आएं।- संजीव सुमन, एसएसपी

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