Updated: Wed, 10 Sep 2025 05:58 AM (IST)
जट्टारी क्षेत्र में यमुना और गंगा नदी का जलस्तर घटने के बावजूद हालात गंभीर हैं। दो दर्जन से अधिक गांवों में अभी भी पानी भरा हुआ है जिससे बीमारियां और दुर्गंध फैल रही है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार जांच और फागिंग कर रही हैं। पशुओं में भी संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। कई मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं और प्रभावित लोगों को मुआवजे का आश्वासन दिया गया है।
संवाद सूत्र, जट्टारी। यमुना और गंगा नदी में जलस्तर भले घटा है, मगर लोगों की दिक्कतें कम नहीं हुईं हैं। करीब दो दर्जन से अधिक गांवों में पानी भरा हुआ है। इसके चलते दुर्गंध फैल रही है। साथ ही बीमारियां पैर फैला रही हैं। गांव महाराजगढ़, शेरपुर, मिर्जापुर पखौदना, नगला स्वरूपा, रामगढ़ी, लालपुर, ऊंटासानी, चंडीगढ़, धारागढ़ी, घरबरा आदि में अनेक लोग बीमार हैं।
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किसी को उल्टी दस्त तो किसी को बुखार है और किसी को आंखों में दिक्कत है। 1323 लोगों की जांच स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने की है। पानी कम होने के साथ इन गांव में बीमारी के चलते स्वास्थ्य विभाग की टीम ने फागिंग करा रही है।
गांवों के अलावा राहत शिविरों में रुके लोगों की भी जांच की जा रही है। सीएमओ नीरज त्यागी ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग टीम को कार्य में तेजी लाने के साथ- साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर शिविर लगाकर जांच व दवा वितरण के लिए निर्देश दिए। स्वास्थ्य विभाग की तीन टीमों ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर लोगों के स्वास्थ्य का परीक्षण करने में जुटी हुई हैं।
पशुओं में भी बीमारी देखी जा रही है। 1250 पशुओं की जांच पशु चिकित्सा अधिकारी मोहम्मद नदीम की टीम ने की है। उन्होंने बताया कि पशुओं में संक्रामक रोग फैलने का खतरा बढ़ गया है। इसके चलते टीकाकरण कराया जा रहा है। हर रोज पांच टीमें गांव गांव जाकर जांच में जुटी हैं।
कुछ गांवों में मृत पशुओं के शव से बदबू उठने लगी है। तीन मकान गिरे, 12 में दरार अधिकारियों के अनुसार मंगलवार को यमुना का जलस्तर डेढ़ मीटर कम हुआ है। प्रभावित क्षेत्र में तीन मकान गिरने व 12 मकानों में दरार आने की सूचना है। 572 एकड़ कृषि भूमि में फसलों का नुकसान का अनुमान हैं।
सामान्य हालात होने पर निरीक्षण कराकर प्रभावित लोगों को मुआवजा उपलब्ध कराया जाएगा। एसडीएम शिशिर कुमार के अनुसार महाराजगढ़ के ग्रामीणों के लिए अलग क्षेत्र में आवासीय भूमि आवंटित की गई है लेकिन निजी कारण से ग्रामीण इस जगह को छोड़ना नहीं चाह रहे हैं।
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