Illegal Petrol Pump: मिलावटी ईंधन का फैल रहा नेटवर्क, बिना बोर्ड-केनाेपी फिर कैसे चल रहे अलीगढ़ में पंप?
अलीगढ़ में अवैध बायोडीजल पंपों का जाल फैला हुआ है, जहां मिलावटी ईंधन बेचा जा रहा है। प्रशासन और पूर्ति विभाग की निगरानी पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि कई पंप बिना लाइसेंस के चल रहे हैं। इन पंपों पर मिलावटी साल्वेंट और केमिकल का मिश्रण बेचा जा रहा है, जिससे वाहन खराब हो रहे हैं। डीएम ने अब ऐसे पंपों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

पेट्रोल पंप।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। दादों क्षेत्र के कसेर में अवैध पेट्रोल पंप पर बड़ी कार्रवाई के बाद अब जिले के प्रशासन व पूर्ति विभाग के ढांचे पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। जानकारों का दावा है कि कसेर का पंप तो सिर्फ एक उदाहरण है, जबकि जिले में अन्य कई स्थानों पर भी धड़ल्ले से बायोडीजल के नाम पर खुलेआम फर्जी पंप संचालित हो रहे हैं।
इन पंपों पर न बोर्ड है न केनाेपी। परिसर में इंटरलाकिंग का औपचारिक ढांचा तक नहीं हैं, फिर भी यह महीनों से बेहिचक चल रहे हैं। सवाल यह है कि इतने लंबे समय से प्रशासन की निगरानी इन पंपों तक पहुंची क्यों नहीं?
निगरानी तंत्र पर उठे सवाल, बिना बोर्ड-बिना केनाेपी फिर कैसे चल रहे यह पंप?
जानकारों का दावा है कि इन बायोडीजल पंपों पर जो डीजल-पेट्रोल बेचा जा रहा है। यह मिलावटी साल्वेंट, लो-ग्रेड फ्यूल व केमिकल का मिश्रण होता है। इससे वाहन तेजी से खराब हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि इन पंपों से लिया गया ईंधन ट्रैक्टर व बाइक के इंजन तक जला चुका है।
पूर्ति विभाग के स्तर से जिले में एक भी बायोडीजल पंप को लाइसेंस नहीं है जारी
कुछ दिन पहले एसटीएफ ने आगरा रोड स्थित मुकुंदपुर में पराग पेंट्स एंड केमिकल फैक्ट्री पर छापा मारकर भारी मात्रा में मिलावटी ईंधन का भंडाफोड़ किया था। जांच में साफ हुआ कि फैक्ट्री में साल्वेंट से पेट्रोल-डीजल तैयार किया जा रहा था। तथ्य यह भी हैं कि यही मिलावटी ईंधन जिले के इन अवैध बायोडीजल पंपों तक सप्लाई किया जा रहा है।
एसटीएफ की कार्रवाई के बाद जागा विभाग, जिले के अन्य क्षेत्रों में भी हो रही जांच
जानकारों का कहना है कि अवैध पंप जिला मुख्यालय से 50 से 60 किलोमीटर दूर इलाकों में सबसे ज्यादा फैल रहे हैं। क्योंकि क्षेत्र निगरानी के लिहाज से प्रशासन से दूर मानते जाते हैं। विभाग की नियमित टीम यहां कम ही पहुंचती है, जिसका फायदा उठाकर फर्जी पंप लंबे समय से सक्रिय बने हुए हैं। जिम्मेदारी की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
कसेर की पंप पर कार्रवाई के बाद स्थानीय लोगों व ग्रामीणों का सवाल बना हुआ है कि यह पंप इतने लंबे समय तक बिना लाइसेंस कैसे चलता रहा। ग्रामीणों का आरोप है कि रोजाना दर्जनों वाहन यहां तेल भरवाते थे, फिर भी विभागीय निगरानी कैसे अदृश्य रही? शिकायत के बाद ही कार्रवाई क्यों हुई। यह तथ्य विभागीय शिथिलता पर प्रश्नचिन्ह उठाता है।
जिले में एक भी बायो पंप पर नहीं है लाइसेंस
जिले में एक भी बायो डीजल पंप को पूर्ति विभाग से लाइसेंस नहीं हैं। साढ़े चार वर्ष पहले भी पूर्ति विभाग की टीम ने अतरौली क्षेत्र में कार्रवाई की थी। इस दौरान दो बायो डीजल पंपों को बंद करा गया था।
कार्रवाई के लिए समिति का गठन
पूर्ति विभाग के अधिकारियों का दावा है कि डीएम संजीव रंजन ने अब बिना लाइसेंस संचालित पंप व मिलावटी डीजल पेट्रोल के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। तहसील स्तर पर प्रशासन, पुलिस व पूर्ति विभाग के सदस्यों को शामिल कर संयुक्त टीमों का गठन किया गया है। यह टीमें अपने क्षेत्रों में पड़ताल करेंगी।
विभाग अब ऐसे पंपों के खिलाफ व्यापक अभियान चला रहा है। जनता से भी अपील है कि बिना बोर्ड व बिना कंपनी वाले किसी भी पंप से ईंधन न खरीदें। ऐसे पंप बाजार से थोड़ा कम दाम पर डीजल-पेट्रोल बेचकर उपभोक्ताओं को आकर्षित करते हैं, जबकि उनका ईंधन घटिया होता है। सत्यवीर सिंह, जिला पूर्ति अधिकारी

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