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    यूपी का ये जिला बना महिला सशक्ति का उदाहरण, पहली बार 6 थानों में महिलाओं की थानेदारी

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 02:22 AM (IST)

    एसएसपी नीरज कुमार जादौन ने महिला सशक्तिकरण के तहत पहली बार छह थानों की जिम्मेदारी महिलाओं को सौंपी। इससे महिलाओं में जिम्मेदारी के प्रति विश्वास बढ़ा और समाज में उन्हें कम आंकने की मानसिकता पर असर पड़ा। नई महिला थानेदारों ने उत्साह के साथ पहले दिन से ही कार्य शुरू कर दिया।    

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    जागरण संवाददाता, अलीगढ़। महिलाएं किसी से कम नहीं। पुलिस विभाग कुछ ऐसी ही नजीर के साथ अपनी भूमिका निभाता दिख रहा है। पहली बार महिला शक्ति का उदाहरण पेश करते हुए महिला सशक्तिकरण के तहत एसएसपी नीरज कुमार जादौन ने महिलाओं को छह थानों की जिम्मेदारी सौंपी है।

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    इससे जहां उन्होंने जिम्मेदारियों के प्रति महिलाओं में विश्वास बढ़ाया है तो वहीं उनके उदाहरण के साथ ही महिलाओं को कम आंकने की मानसिकता पर भी प्रभाव छाेड़ा है। नई जिम्मेदारी के साथ थानों में पहुंची महिला थानेदारों ने भी पूरे उत्साह के साथ पहले दिन से ही कार्य दिखाना शुरू कर दिया है।


    चुनौती सिर्फ बच्चों की देखभाल के साथ ड्यूटी की जिम्मेदारी निभाने में आती है। मगर, यह भी कुछ समय तक ही लगता है। मैं, 2017 बैच से हूं। इससे पहले औरैया जिले में चार माह महिला थाना प्रभारी और उससे पूर्व 14 माह चौकी प्रभारी रही हूं। वह अनुभव काफी काम आएगा। साथ ही हम अपने काम से महिलाओं के आत्मविश्वास को और बढ़ाने की जिम्मेदारी को भी बखूबी ध्यान रखेंगे। आगरा की निवासी हूं।
    निशा चौधरी, प्रभारी, महिला थाना

    वर्ष 2018 बैच की हूं। फिरोजाबाद के दत्तगढ़ की रहने वाली हूं। महिला थाने से मुझे पिसावा थाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। थाने में टीम का नेतृत्व करने का एक वर्ष का अनुभव है। यह काफी काम आने वाला है। चुनौतियां कुछ नहीं है, बस अपने काम को बेहतर और समझदारी से पूरा करना मेरे लिए तरीका होगा। अपने काम से बेहतर करने का प्रयास रहेगा।
    रेखा गोस्वामी, प्रभारी, पिसावा थाना

    महिला थाना की नंदनी चौकी प्रभारी के बाद पहली बार गोधा थाने की प्रभारी बनीं हूं। अच्छा लग रहा है। बड़ी जिम्मेदारी काफी सिखाती है और स्वयं में और ज्यादा गंभीरता लाती है। पुराने अनुभव काम आएंगे। महिलाओं को जिम्मेदारियां मिलना, महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ाने जैसा है। इसकाे पूरी ईमानदारी और लगन से निभाना हमारा कर्तव्य बन जाता है।
    लोकेश बेंसला, प्रभारी, गोधा थाना

    वर्ष 2001 बैच की हूं। इटावा की रहने वाली हूं। जिले में इससे पहले गोधा और महिला थाना में प्रभारी की जिम्मेदारी उठा चुकी हूं। मेरे लिए इस जिले में एक थाना प्रभारी के रूप में जिम्मेदारी उठाने का तीसरा अवसर है। पूरे आत्मविश्वास ओर जिम्मेदारी के साथ इसे पूरा करेंगे।
    सरिता द्विवेदी, प्रभारी, दादों थाना

    मैं वर्ष 1997-98 बैच की हूं। इससे पूर्व कई जिलों में रही हूं। वहां के थानों की जिम्मेदारी भी रही। शुरू में बेटा छोटा था, लेकिन उसका कोई खास दिक्कत नहीं रही। परिवार के साथ जिम्मेदारी को निभाने का अनुभव मिला। सहारनपुर, नोएडा, आमगढ़, आगरा, मथुरा आदि जिलों में जिम्मेदारियों के अनुभव से आत्मविश्वास बढ़ा है।
    सरिता सिंह, प्रभारी, देहलीगेट थाना

    मध्य प्रदेश के भिंड जिले से हूं और 2012 बैच से हूं। इससे पूर्व आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी में चौकी प्रभारी के तौर पर कई बार जिम्मेदारियां निभाने का अवसर मिला। महिला थाना प्रभारी भी रही। हर जिम्मेदारी में खुद को प्रूफ करने का प्रयास किया। इससे स्वयं में हमेशा ऊर्जा पायी और इसी के साथ आगे की भी जिम्मेदारी निभाने की कोशिश करूंगी।
    एकता सिंह, प्रभारी, एएचटीयू प्रभारी