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    चंद्रग्रहण पर बंद रहे मंदिरों के पट, ग्रहण के बाद लगी डुबकी, बड़े-बच्चों ने देखा लालिमा वाला चांद

    By Sharad DwivediEdited By: Ankur Tripathi
    Updated: Tue, 08 Nov 2022 08:53 PM (IST)

    ग्रहण काल में अधिकतर लोगों ने साथ बैठकर जप किया। आराध्य के नाम का स्मरण करते हुए उनकी कृपा प्राप्ति की कामना की। ग्रहण खत्म होने के बाद उसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए लोगों ने स्नान-दान किया। धुलाई करने के बाद मंदिरों के पट दर्शन-पूजन के लिए खोले।

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    कार्तिक पूर्णिमा तिथि पर मंगलवार की शाम 5:15 बजे चंद्रोदय हुआ। चंद्रोदय के साथ ग्रहण लगा रहा

    प्रयागराज, जेएनएन। कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रमा को ग्रहण लगा लगा। चंद्रोदय के साथ ग्रहण आरंभ हो गया। ग्रहण काल में अधिकतर लोगों ने एक स्थान पर बैठकर जप किया। आराध्य के नाम का स्मरण करते हुए उनकी कृपा प्राप्ति की कामना की। ग्रहण खत्म होने के बाद उसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए लोगों ने स्नान-दान किया। धुलाई करने के बाद मंदिरों के पट दर्शन-पूजन के लिए खोले गए।

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    सुबह साढ़े पांच बजे सूतक लगने पर बंद कर दिए गए थे कपाट

    कार्तिक पूर्णिमा तिथि पर मंगलवार की शाम 5:15 बजे चंद्रोदय हुआ। चंद्रोदय के साथ ग्रहण लगा रहा। चंद्रमा पर ग्रहण शाम 6:19 बजे समाप्त हुआ। परंतु ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले सुबह 5:30 बजे से आरंभ हो गया था। सूतक लगने के साथ मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए थे। बड़े हनुमान मंदिर, मां अलोपशंकरी, मां कल्याणी देवी, मां ललिता देवी, हनुमत निकेतन, श्रीराम जानकी मंदिर सहित समस्त मंदिरों के कपाट बंद रहे।

    चंद्र ग्रहण खत्म होने के बाद खुले मंदिर और किया गया गंगा स्नान

    शाम को ग्रहण खत्म होने के बाद मूर्ति की धुलाई, श्रृंगार व पूजन करने के बाद पट खोला गया। इसके बाद दर्शन-पूजन आरंभ हुआ। वहीं, ग्रहण काल समाप्त होने के बाद संगम, यमुना व गंगा के पवित्र जल में स्नान करने वालों की भीड़ जुटी। स्नान के बाद लोगों ने तीर्थपुरोहितों के निर्देशानुसार पूजन करके यथासंभव दान दिया।

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