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    घाघरा के जलस्तर में गिरावट से कटान का बढ़ता जा रहा खतरा, 50 मीटर दूर बह रही नदी

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 03:38 PM (IST)

    अंबेडकरनगर के राजेसुल्तानपुर में घाघरा नदी के जलस्तर में गिरावट के कारण कटान का खतरा बढ़ गया है। मांझा कम्हरिया स्थित निषाद बस्ती नदी के कटाव के कारण खतरे में है जहाँ 50 एकड़ से अधिक खेत और फसलें नदी में समा गई हैं। ग्रामीणों ने कटान रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है।

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    50 मीटर दूर बह रही घाघरा, कटान का खतरा मंडराया।- सांकेत‍िक तस्‍वीर

    संवाद सूत्र, राजेसुल्तानपुर। नदी के जलस्तर में गिरावट से कटान का खतरा बढ़ता जा रहा है। सोमवार को नदी का पानी मांझा कम्हरिया स्थित निषाद बस्ती से महज 50 मीटर दूर बह रहा था। नदी के तेज वेग एवं कटान से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र की लगभग 50 एकड़ से अधिक खेत एवं फसलें नदी में समा गई हैं, वहीं कटान और बढ़ी तो निषाद बस्ती किसी भी समय नदी में समाहित हो सकती है। बाढ़ खंड मांझा कम्हरिया में बंबू क्रेट एवं ट्री-स्पर लगाकर कटान रोकने के प्रयास भी विफल हो रहा है।

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    गत शुक्रवार से घाघरा नदी का जलस्तर लगातार घट रहा है। सोमवार को नदी का जलस्तर घटकर 92.770 मीटर पर पहुंच गया, जो एक दिन पहले 93.060 पर रहा। जलस्तर खतरे के निशान 92.730 से थोड़ा ही ऊपर है। जलस्तर घटने के साथ कटान का खतरा भी अत्याधिक बढ़ता जा रहा है। नदी के तेज बहाव से कटान इतना अधिक हो रही है कि मांझा कम्हरिया स्थित निषाद बस्ती से महज कुछ ही मीटर की दूरी पर नदी पहुंच गई है।

    इससे अब निषाद बस्ती की पूरी आबादी के अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीणों की माने तो किसी भी समय निषाद बस्ती नदी में समाहित हो सकती है। इसके इतर प्रवाहित क्षेत्र के लोगों की सैकड़ों बीघा उपजाऊ जमीन व लहलहाती फसलें अब तक नदी में समां चुकी हैं, वहीं बाग-बगीचे भी इसकी चपेट में हैं। कटान का खामियाजा सबसे ज्यादा मांझा कम्हरिया के निषाद बस्ती, आराजी देवारा, सिद्धनाथ, घिनहापुर, सरायहंकार, गोपापुर, करिया लोनी का पुरवा एवं इटौरा ढोलीपुर आदि गांवों में देखने को मिल रहा है। यहां सर्वाधिक किसानों की फसलें एवं उपजाऊ भूमि नदी की चपेट में है।

    ग्रामीण मधुवन सिंह, तालुकदार सिंह, परमात्मा सिंह, हृदय नारायण त्रिपाठी, कृपाशंकर सिंह, जयप्रकाश लाल श्रीवास्तव, बलजोर निषाद ने बताया कि यदि समय रहते ठोस कदम उठाया गया होता तो यह समस्या नहीं होती। कहा कि अब हम लोगों का गांव व घर सरयू मैया के हाथ में है। बताया कि यदि कटान बढ़ी तो मांझा कम्हरिया की निषाद बस्ती का नदी में विलीन होना तय है। प्रभावित क्षेत्र के किसानों ने नदी के कटान को रोकने संबंधी ठोस उपाय किए जाने की मांग किया है।

    दीवार तोड़कर पिलर निर्माण की मांग

    मांझा कम्हरिया में नदी पर बने दो ओवरब्रिज में पिलर की जगह दीवार बना दी गई है। इससे नदी के पानी का बहाव उत्तर-पूर्व के बजाय दक्षिण-पूर्व की तरफ ज्यादा हो गया है। इसी तरफ आबादी होने से इस बार सबसे अधिक कटान हो रहा है। ग्रामीणों ने ओवरब्रिज निर्माण में दोनों तरफ निर्मित की गई दीवार को तोड़कर पिलर निर्माण कराने की मांग किया है।

    घाघरा नदी का पानी घटने से कटान का खतरा बढ़ता है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र की नियमित निगरानी की जा रही है। किसानों के फसल नुकसान का सर्वे करा रहा है। रिपोर्ट मिलने पर जिला प्रशासन को प्रेषित कर किसानों के फसलों की क्षतिपूर्ति कराई जाएगी।- सुभाष सिंह धामी, एसडीएम