तेजी से बदलती अयोध्या रच रही विकास के कीर्तिमान, धार्मिक पर्यटन के साथ ही बनी सेलिब्रेशन डेस्टिनेशन
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ तेजी से विकास हो रहा है। यह धार्मिक पर्यटन के अलावा सांस्कृतिक और व्यावसायिक गतिविधियों का केंद्र बन रहा है। स्वर्ण कलश की स्थापना से शहर की आभा बढ़ी है और राजमार्गों के विकास से आवागमन सुगम हुआ है। पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है जिससे होटल उद्योग और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला है।

अयोध्या। राम मंदिर अब अपनी पूर्णता की ओर है। मुख्य मंदिर के गर्भगृह के स्वर्ण शिखर पर स्वर्ण कलश स्थापित हो कर अपनी आभा चतुर्दिक विकीर्णित करने लगा है। यह केवल स्वर्ण आभा ही नहीं है।
इस स्वर्ण कलश में छिपा है वह पांच सौ साल का संघर्ष और बीते एक दशक में एक समावेशी सोच से संयुक्त विकास का नया इतिहास, जो राम मंदिर की तरह से ही कई शताब्दी तक अक्षुण्ण रहने वाला है।
उस कलश की आभा का प्रभाव केवल अयोध्या के पंचकोसी या चौदह कोसी परिक्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। यह चौदह कोसी परिक्रमा पथ से आगे चौरासी कोसी परिक्रमा पथ से होते हुए सुदूर मिथिला से लेकर रामेश्वर तक जहां-जहां प्रभु श्रीराम के चरण पड़े हैं, वहां-वहां तक विस्तारित है।
राजमार्ग और सुगम आवागमन की सुविधाएं जहां विकसित होती हैं. वहां का भाग्य और परिदृश्य दोनों बदल देते हैं। ऐसा ही कुछ राम मंदिर का निर्माण प्रारंभ होने की आशा जाग्रत होने के साथ ही प्रारंभ हो गया था, जो निकट भविष्य में भव्य भारत के रूप में परिणत होगा।
कभी अपनी वीतरागिता में निमग्न रहने वाली यह धर्मनगरी अब उत्सव के गीतों से गूंजने लगी है। यह गूंज भारत के हर कोने में यहां से पहुंची है और वहां की प्रतिध्वनि यहां सुनाई देने लगी है।
कभी बहुत शांत और उदासीन रहने वाली अयोध्या, अब दिन रात चहल-पहल से भरी रहती है। शाम होते ही सड़क पर जहां सन्नाटा छा जाता था और केवल मंदिरों से शयन आरती में बजते घंटे घड़ियाल से थोड़ी नीरवता भंग होती थी, वहां देर रात तक भीड़-भाड़ बनी रहती है।
गलियां गुलजार नजर आती हैं। यह बदलाव है 2019 के बाद से बदलती अयोध्या का। यह अनायास नहीं है। दस सालों में अयोध्या के विकास से जुड़ीं 85 हजार करोड़ रुपये की विकास योजनाएं आकार लेंगी, कुछ ले भी चुकी हैं, जिसमें रेल पथ का दोहरीकरण, सात फ्लाई ओवरों का निर्माण पूरा हो चुका है और तीन का प्रगति पर है।
जैसे-जैसे श्रीरामजन्मभूमि परिसर में मंदिरों का निर्माण अपनी पूर्णता को प्राप्त हो रहा है, वैसे-वैसे राम नगरी निखर भी रही है। इसके सकारात्मक पहलू तो हैं, साथ ही कुछ नकारात्मक पक्ष भी हैं। पर्व-त्योहार पर यहां के मूल निवासियों का इसके जुड़वा शहर फैजाबाद से आना-जाना, दैनिक आवश्यकताओं के लिए बाजार, दवा-इलाज तक के निकलना दूभर हो जाता है।
गली-गली में अटे पड़े तीर्थ यात्रियों के चलते रास्ते जाम हो जाते हैं और चार पहिया ही नहीं दो पहिया वाहनों का आवागमन भी प्रभावित रहता है।
हाल ही में महाकुंभ के दौरान यहां उमडे़ श्रद्धालुओं के ज्वार के चलते परीक्षार्थियों को बोर्ड की परीक्षा देने में कठिनाई हुई और घंटों पहले घर से निकल कर काफी देर बाद उनका घर पहुंचना संभव हो सका।
साकेत महाविद्यालय की परीक्षाएं प्रभावित हुईं, कई बार टाली गईं, यही नहीं अयोध्या धाम के निवासी विद्यार्थियों का स्कूली जीवन भी प्रभावित रहा, कुछ विद्यालय बंद रहे।
अयोध्या केवल बदल ही नहीं रही है बल्कि निखर भी रही है। उजड़े हुए मकान, खाली-खाली दुकानें, मेलों-पर्वों में कुछ जाग्रत होने वाली इस धर्म नगरी में सरकारी योजनाओं की आमद से तो जो परिवर्तन हुए हैं, वे तो स्पष्ट दृष्टिगोचर होने लगे हैं।
दस-दस फ्लाईओवर, चौड़ी सड़कें, जगमगाती स्ट्रीट लाइटें, सडकों के किनारे बने फसाड, धर्म पथ, राम पथ, भक्ति पथ के साथ ही दिव्य-भव्य राम मंदिर परिसर, बिल्कुल बदला हुआ अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन, दनदनाती हुई वंदे भारत रेल गाड़ियां, इलेक्ट्रिक बसें, गोल्फ कार्ट, उड़ते हवाई जहाज, हर कोने से सीधे रेल, सड़क और वायु मार्ग से जुड़ाव के साथ ही यात्रियों की सुविधाओं के लिए अयोध्या की तरफ आने वाले हर मार्ग पर जन सुविधा केंद्रों के निर्माण, फोरलेन मार्गों का निर्माण, छह लेन की तैयारी सहित अनेक ऐसे बदलाव हैं, जिसे इन पांच सालों में इस धर्म नगरी ने देखा है। और यह प्रक्रिया निरंतर जारी है।
इसके साथ ही कभी इस शहर में होटल और गेस्ट हाउस को कामचलाऊ धंधा माना जाता था और जिन्होंने भी होटल खोल रखे थे, उन्होंने कभी इतने बड़े बदलाव की आशा भी नहीं की थी। आज स्थिति पूरी तरह से बदल गई है।
आधा दर्जन बड़े होटलों के अलावा अब कई बड़े होटल या तो आकार ले चुके हैं, या फिर ले रहे हैं। कई नए तैयार होटलों को स्थानीय संचालकों से बड़े समूहों ने पार्टनरशिप के आधार पर लेकर संचालन अपने हाथ में ले लिया है।
142 होटल बन रहे हैं और लगभग साढ़े सात हजार अत्याधुनिक कमरे इनमें अतिथियों के लिए उपलब्ध होंगे। लगभग यह सब आने वाले पांच साल में होने जा रहा है। गैर पंजीकृत होम स्टे को मिला लें तो लगभग एक हजार होम स्टे यहां उपलब्ध हैं, जिनकी क्षमता लगभग चार हजार कमरों की है।
ताज होटल समूह की कंपनी इंडिया होटल्स लिमिटेड ने यहां पर तीन होटल बनाने की योजना पर कार्य प्रारंभ किया है, जिसमें से एक जिंजर और एक विवांता श्रेणी का होटल होगा, जिनमें लगभग 120 कमरे होंगे। ओ राम होटल्स प्रोजेक्ट्स, सालिटियर समूह, विश्रांति गढ़ यहां पर होटल बना रहे हैं। अभी रेडिसन पार्क इन, क्लार्क इन, अयोध्या रेजिडेंसी, द रामायना, क्रिनास्को, शाने अवध, कृष्णा पैलेस, पंचशील, तारा जी रिजार्ट्स जैसे बड़े होटल हैं।
उम्मीद है कि तकरीबन पांच हजार घर होम स्टे की श्रेणी में आ जा जाएंगे। यह अपेक्षित इसलिए भी है कि क्योंकि महाकुंभ के बाद से यहां विकास की जो रफ्तार सुस्त पड़ी थी, वह गति पकड़ चुकी है। जो परियोजनाएं रुक गई थीं, वे गतिशील हो गईं क्योंकि लगभग 13 करोड़ तीर्थ यात्री यहां पर केवल 45 दिन में पहुंचे, जिनके लिए यहां होटल, होम स्टे, धर्मशालाएं, मठ-मंदिर, सराय सब कम पड़ गए।
वर्ष 2024 में कुल 16 करोड़ 44 लाख 19 हजार 522 श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे, जबकि वर्ष 2023 में यह संख्या पांच करोड़ 75 लाख 70 हजार 896 थी। इस प्रकार एक वर्ष में 10 करोड़ 68 लाख 48 हजार 626 श्रद्धालुओं की वृद्धि हुई है, जिसमें महाकुंभ से आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या शामिल है। यानी औसत पांच करोड़ श्रद्धालु साल भर में यहां पहुंच रहे हैं, जो पहले की संख्या का कई गुणा है।
डोमिनोस, पिज्जा हट, ला पिनोज, जैसी चेन के साथ ही देशी खानपान की दक्षिण भारतीय शैली के उडुपी और करी लीफ के कई आउटलेट यहां खुल चुके हैं। रेस्टोरेंट और ढाबों की भरमार के साथ ही स्ट्रीट फूड के हब के रूप में बदलती अयोध्या को देखा जा सकता है।
इस बदलाव का एक ही कारण है, वह है राम मंदिर का निर्माण और सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई गई सुविधाएं। राम मंदिर का संचालन करने के लिए जिस न्यास का गठन किया गया है, श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र, इस न्यास ने सरकार को अकेले चार सौ करोड़ का राजस्व कर छूट के बाद जीएसटी सहित अन्य करों के रूप में भुगतान किया है।
यही नहीं जहां इस नगर में सात साल पहले केवल 34 हजार 752 व्यापारी जीएसटी के लिए पंजीकृत थे, वहां पर बीते वित्तीय वर्ष में यह संख्या 69 हजार 656 पहुंच गई। वर्ष 2023-24 में राजस्व संग्रह भी 384.50 करोड़ से बढ़कर 1788.22 करोड़ पहुंच गया है। जो लगभग चार गुणा है। जबकि व्यापारियों की संख्या दोगुणी हुई है। जब धंधा चल रहा है, तभी कर भी आ रहा है।
यह स्थिति तब है, जबकि बहुत सारा माल सीधे कानपुर मंडी से भी खरीद कर आ रहा है। इसके बावजूद अयोध्या ने कानपुर को वृद्धि दर में पीछे छोड़ दिया है। इस समय अयोध्या की राजस्व वृद्धि दर 11 प्रतिशत से अधिक है, जो प्रदेश में सर्वाधिक है।
केवल अयोध्या नगरी ही नहीं बदल रही है। आसपास के क्षेत्रों का भी विकास यहां के चलते हो रहा है। 84 कोसी परिक्रमा पथ के निर्माण की प्रक्रिया चालू हो गई है, जो गोंडा, सुलतानपुर व बस्ती जिले से हो कर गुजरता है। राम वन गमन मार्ग के निर्माण का एक चरण चित्रकूट से प्रयागराज पूरा हो चुका है। प्रयागराज से अयोध्या तक पहले फोर लेन मार्ग बनना था, जिसे अब सिक्स लेन का कर दिया है।
पर्यटकों के लिए और आकर्षण यहां रुकने का भी हो तो भगवान राम से जुड़े जो भी पौराणिक स्थल हैं, उनका विकास तो किया ही जा रहा है, साथ यहां की भविष्य में होने वाली प्रगति को देखते हुए आवासीय क्षेत्र की मांग को देखते हुए 1150 एकड़ में ग्रीन फील्ड टाउनशिप बसाने की प्रक्रिया उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद ने प्रारंभ की है।
इसके लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा कर लिया गया है। अयोध्या-लखनऊ मार्ग पर वशिष्ठ कुंज आवासीय योजना अयोध्या विकास प्राधिकरण ने चालू की है, जिसमें आवासीय बुकिंग पूरी हो चुकी है और निर्माण की प्रक्रिया चालू है।
पूरी अयोध्या को सौर ऊर्जा से संचालित किया जा सके इसके लिए एक सौर ऊर्जा पार्क का निर्माण किया जा चुका है, जिसे ग्रिड से जोड़ा गया है। इस पार्क की क्षमता 40 मेगावाट है, और यह सरायरासी माझा में 165 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। यही नहीं अयोध्या से गुप्तारघाट तक सरयू नदी के किनारे पक्का बांध बना कर हेरिटेज वाक तैयार किया गया है, जिसे सौर ऊर्जा से ही रोशन किया जा रहा है।
अयोध्या के पौराणिक कुंडों का भी विकास व सौंदर्यीकऱण किया जा रहा है। इनको सजाने-संवारने की प्रक्रिया में सूर्य कुंड को तैयार किया जा चुका है और यहां पर लाइट-साउंड लेजर शो भी प्रस्तुत किया जाता है।
भगवान राम से जुड़े दशरथ समाधि स्थल, भरत जी की तपस्थली भरतकुंड नंदी ग्राम, पुत्रेष्ठि यज्ञ से संबंधित मखभूमि (मखौड़ा) सहित ऐसे अनेक स्थानों के विकास के क्रम में दशरथ समाधि से अयोध्या-लखनऊ फोर लेन हाईवे तक 13 किलोमीटर का फोर लेन पथ तैयार किया जा रहा है, जिसके किनारे पचीस मीटर की हरित पट्टी भी होगी। सरयू नदी पर दो और पुलों का निर्माण प्रस्तावित है और एक आउटर रिंग रोड बनाने के लिए भूमि अर्जन की प्रक्रिया चल रही है, ताकि भीड़-भाड़, पर्व-त्योहार व उत्सव और मेलों के अवसरों पर अन्य जिलों का यातायात बाधित ना हो।
क्षेत्र का विकास केवल पर्यटन पर ही निर्भर ना रहे, इसके लिए जिले में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे यानी लखनऊ से बलिया तक छह लेन मार्ग के निकट औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की योजना है। यहां पर आयुर्वेद विश्वविद्यालय की नींव रखी जा चुकी है।
महर्षि वेद विज्ञान पीठ रामायण विश्वविद्यालय की स्थापना कर रहा है, जिसका संचालन इस सत्र से प्रारंभ हो जाएगा। पेट्रोलियम संस्थान राजकीय इंटर कालेज के परिसर में संचालित किया जा रहा है।
राजर्षि दशरथ मेडिकल कालेज संचालित होने के साथ ही उच्चीकरण की प्रक्रिया में भी है। महानगर में एक तीन सौ शैय्या का एक और अस्पताल बनाने की योजना का शिलान्यास कर दिया गया है।
सेलिब्रेशन डेस्टिनेशन के रूप में विकसित हो रही है अयोध्या
अयोध्या केवल धार्मिक पर्यटन के रूप में ही नहीं बल्कि एक सेलिब्रेशन डेस्टिनेशन के रूप में भी विकसित हो रही है। हाल ही में 18 से लेकर 20 अप्रैल तक स्पिक मैके का राज्य सम्मेलन यहां जिंगल बेल एकेडमी में आयोजित किया गया।
पीएचडी चेंबर आफ कामर्स ने यहां केंद्रीय पर्यटन विभाग की ओर से आध्यामिक पर्यटन पर संगोष्ठी आयोजित की। सहकार भारती का प्रदेश सम्मेलन और आल इंडिया इंश्योरेंस इंप्लाइज एसोसिएशन के उत्तर क्षेत्र का सम्मेलन भी यहां पर आयोजित किया गया। इंडियन साइकियाट्री सोसायटी का अधिवेशन यहां पर आयोजित किया गया। विटरो रेटिना सोसायटी आफ बिहार ने यहां पर अपना तीन दिवसीय सेमिनार किया।
क्रोनो मेडिसिन की वर्ल्ड कांग्रेस यहां राजर्षि दशरथ मेडिकल कालेज में परिसर में आयोजित की गई, जिसमें विशेष रूप से सर्केडियन क्लाक पर चर्चा की गई और दवा के समयकाल को लेकर विचार-विमर्श हुआ।
आध्यमिक जगत का रुझान बढ़ा
आध्यात्मिक जगत का रुझान भी यहां बढ़ रहा है। देश के प्रसिद्ध कथावाचक और धार्मिक संगठन यहां पर अपने कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान जगद्गुरु रामानंदाचार्य चित्रकूट पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य का प्रवचन चला, इसके बाद प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू की कथा भी हुई और नौ दिन की कथा रमेश भाई ओझा ने यहां श्रवण कराई। श्री अरबिंदो सोसायटी का तीन दिवसीय प्रदेश सम्मेलन भी अशर्फी भवन में हुआ।
देश के नामचीन कलाकारों ने रामलला के विग्रह की स्थापना के बाद रागसेवा के माध्यम से रामलला के दरबार में हाजिरी लगाई, जिसमें प्रख्यात नृत्यांगना वैजयंती माला बाली, पार्श्व गायिका ऊषा मंगेशकर, अनुराधा पौडवाल, अनूप जलोटा, शोभा नारायण जैसी हस्तियां सम्मिलित रहीं।
-रमाशरण अवस्थी (अयोध्या में दैनिक जागरण के प्रतिनिधि)
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