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    दीपावली पर्व को यूनेस्‍को ने घोष‍ित क‍िया धरोहर, अयोध्‍या को म‍िली वैश्‍व‍िक पहचान

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Wed, 10 Dec 2025 12:42 PM (IST)

    यूनेस्को ने दीपावली को अमूर्त धरोहर के रूप में मान्यता दी, जिससे अयोध्या को वैश्विक पहचान मिली। यह निर्णय यूनेस्को की अंतरराष्ट्रीय समिति की बैठक में ...और पढ़ें

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    यूनेस्‍को ने अमूर्त धरोहर की सूची में दीपावली को शाम‍िल क‍िया है।

    जागरण संवाददाता, अयोध्‍या। दीपावली, जो भारत का एक प्रमुख पर्व है, उसको यूनेस्‍को ने बुधवार की सुबह धरोहर के रूप में मान्यता देते हुए इसे अमूर्त धरोहर की सूची में शामिल किया है। यह निर्णय यूनेस्‍को की अंतरराष्ट्रीय समिति की बैठक में लिया गया, जिससे भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर नई मान्यता मिली है।

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    दीपावली का यह पर्व केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिकता, विविधता और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। अयोध्‍या, जो भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है, इस पर्व का मूल केंद्र है। अयोध्‍या वासियों ने भगवान श्रीराम के लंका विजय पर उनकी घर वापसी की खुशी में सबसे पहले अमावस की रात को दीप जलाने की परंपरा शुरू की थी। इस परंपरा को अब वैश्विक मान्यता मिल गई है, जिससे अयोध्‍या की पुरातन पहचान और भी भव्य हो गई है।

    यूनेस्‍को द्वारा दीपावली को अमूर्त धरोहर घोषित करने का यह कदम न केवल अयोध्‍या को वैश्विक पहचान दिलाता है, बल्कि भारतीय परंपराओं को संरक्षित करने और उनके महत्व को बढ़ाने में भी सहायक होगा। यह भारत के लिए गर्व का क्षण है, क्योंकि इससे भारतीय संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है।

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    यूनेस्‍को के इस निर्णय से अयोध्‍या की पहचान और भी मजबूत हुई है। 10 दिसंबर को अयोध्‍या ने मानो वैश्विक स्तर पर अपनी जगह बना ली है। यह पर्व न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में मनाया जाता है और इसकी मान्यता से भारतीय संस्कृति को एक नई दिशा मिलेगी।

    दीपावली का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं और एक-दूसरे के साथ मिठाइयाँ बाँटते हैं। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और इसे मनाने का उद्देश्य एकता, भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देना है।

    यूनेस्‍को का यह कदम भारतीय परंपराओं को संरक्षित करने और उनके महत्व को बढ़ाने में मदद करेगा। यह न केवल अयोध्‍या के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इससे भारतीय संस्कृति को वैश्विक मंच पर पहचान मिलेगी और आने वाली पीढ़ियों के लिए यह एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

    अयोध्‍या की इस पहचान से न केवल स्थानीय लोगों को गर्व होगा, बल्कि यह पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। लोग अब अयोध्‍या को एक सांस्कृतिक धरोहर स्थल के रूप में भी व‍िश्‍व में देखेंगे, जहाँ वे दीपावली के दौरान विशेष कार्यक्रमों का हिस्सा बन सकेंगे।

    दीपावली का यूनेस्‍को द्वारा अमूर्त धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त करना एक ऐतिहासिक क्षण है। यह न केवल अयोध्‍या, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। यह भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता को दर्शाता है, और हमें अपने सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करने की प्रेरणा देता है।

    इस मान्यता के साथ, अयोध्‍या अब एक वैश्विक पहचान बन गई है, जो भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर को संजोए रखने में सहायक होगी। दीपावली का यह पर्व अब केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर बन गया है, जो हमें एकजुटता और प्रेम का संदेश देता है।दीपावली का यह पर्व अब न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और इसकी मान्यता से अयोध्‍या की पहचान और भी मजबूत हुई है।

    यूनेस्‍को ने जारी पोस्‍ट में ल‍िखा है : 

    दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, भारत भर में विभिन्न व्यक्तियों और समुदायों द्वारा प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला एक प्रकाश उत्सव है, जो वर्ष की अंतिम फसल और नए वर्ष व नए मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। चंद्र कैलेंडर के अनुसार, यह अक्टूबर या नवंबर में अमावस्या को पड़ता है और कई दिनों तक चलता है। यह एक खुशी का अवसर है जो अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस दौरान, लोग अपने घरों और सार्वजनिक स्थानों की सफाई और सजावट करते हैं, दीये और मोमबत्तियाँ जलाते हैं, आतिशबाजी करते हैं और समृद्धि और नई शुरुआत के लिए प्रार्थना करते हैं।