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    5 मिनट से भी कम समय में राम मंदिर के शिखर पर फहरेगी धर्म ध्वजा, अब सेना के सुझाव का इंतजार

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 07:29 PM (IST)

    अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा 5 मिनट से भी कम समय में फहराई जाएगी। मंदिर ट्रस्ट इस प्रक्रिया को सुरक्षित बनाने के लिए सेना से सुझाव लेने की प्रतीक्षा कर रहा है। ध्वजारोहण की प्रक्रिया को सरल और त्वरित रखने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि यह सुचारू रूप से संपन्न हो सके।

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    लवलेश कुमार मिश्र, अयोध्या। राम मंदिर के 161 फीट ऊंचे मुख्य शिखर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच मिनट से भी कम समय में धर्म ध्वजा का आरोहण कर देंगे। यह संक्षिप्त आयोजन निर्बाध संपन्न हो, इसके लिए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से भारतीय सेना के अधिकारियों से भी परामर्श लिया जा रहा है।

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    गत दिनों सैन्य अधिकारियों के समक्ष परीक्षणोपरांत अब उनके सुझाव व सहमति की प्रतीक्षा की जा रही है। ध्वजारोहण का आयोजन 25 नवंबर को होना है, परंतु इससे पूर्व तीन-चार बार परीक्षण और कराए जाएंगे। इसी के बाद आयोजन को तकनीकी रूप से समृद्ध कर इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

    पीएम मोदी करेंगे आरोहण

    ट्रस्ट की ओर से मंदिर निर्माण की पूर्णता पर 25 नवंबर को प्रस्तावित वृहद उत्सव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राम मंदिर के मुख्य शिखर पर 22 फीट लंबी व 11 फीट चौड़ी धर्म ध्वजा का आरोहण करेंगे। इसमें कोई चूक न हो, इस कारण ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण की मुख्य कार्यदायी एजेंसी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के अभियंताओं के साथ सैन्य अधिकारियों को भी जोड़ा है। तीन दिन पूर्व अयोध्या, लखनऊ व दिल्ली के सैन्य अधिकारियों की उपस्थिति में धर्म ध्वजा का परीक्षण भी कराया गया था, परंतु अभी परीक्षण नहीं पूरा हो सका है।

    सूत्रों का कहना है कि सैन्य अधिकारियों की ओर से सुझाव व तकनीक के संबंध में अभी सहमति नहीं प्रदान की गई है। जल्द ही फिर उनका परिसर मेें आगमन होगा। उनके समक्ष धर्म ध्वजा का उनकी ओर से सुझाई गई तकनीक के आधार पर आरोहण व अवरोहण कराया जाएगा। इस दौरान यदि कोई कमी सामने आती है तो उसे फिर सुधार कर दोबारा परीक्षण होगा।

    तीन से चार बार के परीक्षणोपरांत अंतिम रूप से तकनीक को सहमति दी जाएगी। एलएंडटी के परियोजना निदेशक विनोद कुमार मेहता ने कहाकि ध्वजारोहण न्यूनतम पांच से सात मिनट में होना है। इसे निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए ही परीक्षण किया जा रहा है। सैन्य अफसरों की सहमति मिलने पर इसे फाइनल किया जाएगा। अब तक आधा दर्जन से अधिक परीक्षण हो चुके हैं।