यूपी में भी होगी हिमाचली सेब की खेती, केवीके लेदौरा में तैयार की जा रही खास प्रजाति की पौध
उत्तर प्रदेश में अब हिमाचल प्रदेश जैसे सेबों की खेती संभव होगी। कृषि विज्ञान केंद्र, लेदौरा में सेब की विशेष किस्मों के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। यह पहल उत्तर प्रदेश के किसानों को सेब की खेती का एक नया अवसर प्रदान करेगी, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सकती है।

जागरण संवाददाता, आजमगढ़। हिमाचल प्रदेश की हरमन-99 सेब की प्रजाति की खेती अब जनपद में होगी। इस प्रजाति की सबसे खास बात यह है कि सामान्य व गर्म जलवायु में भी आसानी से उग सकती है। इसके रखरखाव के लिए कुछ खास झंझट नहीं करना पड़ता है। कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) लेदौरा में इसकी नर्सरी (पौधा) तैयार की जा रही है।
केवीके के कृषि वानिकी विज्ञानी डा.पीके आनंद ने बताया कि हरमन-99 सेब की खेती के लिए जनपद का जलवायु उपयुक्त है। कुछ प्रमुख बातों को ध्यान में रखकर हरमन-99 सेब की खेती किसान आसानी से कर सकते हैं।
यह पेड़ बहुत लंबा नहीं होता है, यह बोनसाइ किस्म का है। ग्राम दनियालपुर अहरौला के किसान पंकज कुमार श्रीवास्तव प्रयोग की तरफ से इसकी सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं।
कैसे करें खेती
हरमन-99 प्रजाति को हिमाचल प्रदेश के हरिमन शर्मा द्वारा विकसित किया गया था। यह स्व-परागण वाला पौधा है। सेब की यह प्रजाति गर्म जलवायु में भी अच्छी तरह से उगती है और समुद्र तल से 1800 फीट तक की ऊंचाई पर भी अच्छा प्रदर्शन करती है।
यह जैविक खेती के लिए भी उपयुक्त है। इसकी देख रेख करना भी आसान है। मिट्टी को सूखने पर ही पानी दें। गर्मियों में रोजाना या एक दिन छोड़कर पानी देने की जरूरत हो सकती है। जबकि बरसात के मौसम में कम पानी देना होगा। पौधे को कीड़ों और बीमारियों से बचाने के लिए नीम तेल जैसे जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।
एक पेड़ से 75 किलो प्रतिवर्ष निकलता है फल
हरमन-99 सेब का पेड़ पौधा लगाने के दो से ढाई साल में फल देना शुरू कर देता है। एक पेड़ से प्रति वर्ष लगभग 75 किलोग्राम तक फल मिलता है। हरमन-99 सेब में अन्य किस्मों की तुलना में अधिक पोषण मूल्य होता है, जिसमें कैल्शियम, विटामिन-ई और विटामिन-सी की मात्रा अधिक होती है। यह मीठा और खट्टा स्वाद वाले, कुरकुरे और रसदार फल देता है।
हिमाचल प्रदेश की हरमन-99 सेब की प्रजाति की खेती अहरौला ब्लाक के ग्राम दनियालपुर के किसान पंकज कुमार श्रीवास्तव सफलता पूर्वक कर रहे हैं। केंद्र के कृषि वानिकी विज्ञानी डा.पीके आनंद इस प्रजाजि के पौधों की तैयारी कर रहे हैं। जिससे दूसरे किसानों को भी दिया जा सके।
-डाॅ. एलसी वर्मा, अध्यक्ष, केवीके लेदाैरा।
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