हे भगवान! विद्यालय में हाइटेंशन तार से खतरे में नौनिहालों की जान, निराकरण का प्रयास तक नहीं
आजमगढ़ में विद्यालय में हाइटेंशन तार से खतरे में नौनिहालों की जान है लेकिन फिक्र किसी को नहीं। हादसे को दावत दे रहा विद्यालय परिसर में मौजूद जर्जर भवन में तारों ने बढ़ाई स्कूल में दहशत तो विद्यालय के जर्जर भवन की नीलामी में उच्च दर होने के कारण नहीं मिल रहे कोई खरीदार।

जागरण संवाददाता, आजमगढ़। परिषदीय विद्यालयों में जर्जर भवनों की दरकती दीवारें, परिसर से गुजरता हाइटेंशन तार हर समय दुर्घटना को दावत दे रहा है। शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले विद्यालय की यह हालत न सिर्फ छात्रों व शिक्षकों की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है, बल्कि प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही को भी उजागर कर रही है। परिसर के ठीक ऊपर से गुजर रही 33 व 11 हजार वोल्ट की विद्युत लाइन बच्चों के लिए हमेशा खतरा बनी रहती है। तेज हवाओं या बारिश के दौरान तारों के हिलने से करंट फैलने का डर बना रहता है। जरा सी चूक भी जानलेवा साबित हो सकती है। कई बार, प्रशासन इन जर्जर भवनों को ध्वस्त करने या मरम्मत करने का प्रयास किया लेकिन विफल रहा है। विद्यालयों में बच्चों का जीवन खतरे में है, खासकर जब वे खेलते समय या कक्षा में पढ़ाई करते समय भवन के पास होते हैं। इन्हीं आवाजों को बल देने और समाधान कि दिशा में पहल करने का अभियान दैनिक जागरण अखबार चला रहा है प्रस्तुत है पड़ताल करती सौरभ सिंह कि रिपोर्ट।
जनपद में शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले विद्यालय की स्थिति बदहाल होती जा रही है। जिले के कई सरकारी विद्यालयों में भवन जर्जर अवस्था में पहुंच चुके हैं, जो किसी भी समय गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बन सकते हैं। इन विद्यालयों को चिह्नित कर विभाग की ओर से ध्वस्तीकरण करना है, लेकिन बारिश शुरू होने के बाद भी इसपर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। हालांकि ऐसे अधिकतर भवनों में पढ़ाई नहीं होती है, लेकिन विद्यालय परिसर में जर्जर भवन के स्थिति होने पर कभी भी हादसा हो सकता है। विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं और शिक्षक रोजाना डर के साए में अपनी पढ़ाई का कार्य पूरा कर रहे हैं। बारिश के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है, भवन के गिरने का डर बना रहता है। वहीं विद्यालय परिसर के ऊपर से गुजर रहे हाइटेंशन तार से नौनिहालों के सिर खतरा मंडरा रहा है।
मार्टिनगंज तहसील क्षेत्र के मार्टिनगंज-गंभीरपुर मार्ग के किनारे स्थित अमनावे गांव में कंपोजिट विद्यालय में 305 विद्यार्थी पंजीकृत है। इसी विद्यालय में आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित होता है। विद्यालय के मुख्य गेट के ऊपर से 33 हजार, 11 हजार और 440 वोल्ट का तार एक साथ गुजर रहा है। गेट से तार की दूर महज एक फीट है। ऐसे में विद्यालय में हर समय भय का माहौल बना रहता है। सबसे भयावह बात यह है कि बच्चों के पीने के लिए हैंडपंप भी दीवार से सटा हुआ है जहां से तार गुजर रहा है। ऐसे में बारिश होने या तेज हवा चलने की वजह से दुर्घटना की आशंका प्रबल हो जाती है। बरदह थाना क्षेत्र के बरौनापट्टी स्थित प्राथमिक विद्यालय परिसर में मौजूद जर्जर भवन हर समय दुर्घटना को दावत दे रहा है। विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को की संख्या 52 के करीब है। ध्वस्तीकरण के लिए चिह्नित भवन का निर्माण 1992 में हुआ था। अभी तक उक्त भवन का ध्वस्तीकरण नहीं किया गया है। बरदह क्षेत्र के गांधी इंटर कालेज, लालगंज क्षेत्र के करियागोपालपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय की भी स्थिति भी कुछ ऐसी है।
विद्यालय की ओर से विद्युत विभाग, खंड शिक्षा अधिकारी सहित बीएसए को लिखित सूचना दी गई है। हालत इतनी खराब है कि जर्जर तार कब गेट के ऊपर गिर जाएगा यह कहना मुश्किल है। बड़ी विडंबना यह है कि कई बार पत्राचार होने के बाद भी आज तक कोई जांच पड़ताल नहीं हुई।
- राज नारायण, प्रधानाचार्य, कंपोजिट विद्यालय अमनावे
जर्जर भवन को ध्वस्तीकरण के लिए चिह्नित किया गया है, तीन बार नीलामी की प्रक्रिया की गई। लेकिन कीमत अधिक होने की वजह से लोग वापस चले जाते हैं। इसकी सूचना विभाग को दे दी गई है। पूरा प्रयास रहे कि विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे जर्जर भवन की ओर नहीं जाए। लेकिन खतरा हर समय बना रहता है।
- चंद्रेश, प्रधानाध्यापक, प्राथमिक विद्यालय बरौना पट्टी
बताया कि मेरा बच्चा आदर्श आठवीं का और बेटी संस्कृति छठवीं कक्षा की छात्र है। कई बार विद्यालय में आकर के हाथ जोड़कर के प्रार्थना कर चुका हूं कि तार को हटवाइए नहीं तो कभी बच्चों के ऊपर गिर जाएगा। आंधी-पानी में तार टूट कर गिरने से बड़ा हादसा हो सकता है। लेकिन अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं हो सकी है।
-संतोष कुमार, अभिभावक
मेेरा बेटा अनूप राजभर छठवीं और आर्यन कक्षा एक में पड़ता है। बच्चों के विद्यालय जाने के बाद हर समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है, जबतक बच्चे वापस नहीं आ जाते तबतक चैन नहीं मिलता है।कई बार विद्यालय के शिक्षकों से शिकायत कर चुका हूं की तार को हटवाएं अथवा ऊपर कराएं नहीं तो बच्चों को विद्यालय नहीं भेजेंगे।
- सुशील कुमार, अभिभावक
मेरा बेटी अकांक्षा कक्षा चार में पढ़ती है, जबतक वह विद्यालय में रहती है तब तक चिंता सताती रहती है। उसके घर लौटने के बाद ही राहत महसूस होती है। बारिश के समय
विद्यालय परिसर में मौजूद जर्जर भवन के पास बच्ची खेलते हुए उधर न चली जाए यह डर बना रहता है।
-ममता बिंद, अभिभावक
मेरी बेटी रिया कक्षा पांचवीं में पढ़ती है। हर समय यही चिंता रहती है कि वह खेलते खेलते जर्जर भवन की तरफ न चली जाए। कई बार प्रधानाचार्य व शिक्षकों से शिकायत कर चुका हूं कि जर्जर भवन को ध्वस्त करा दें नहीं तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है। लेकिन अभी तक इस दिशा कोई पहल नहीं हो सकी है।
-इंद्रजीत, अभिभावक
चिह्नित जर्जर भवनों को ध्वस्त करने की योजना है। सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को नोटिस भेज अविलंब जर्जर भवनों को क्षतिग्रस्त करने का निर्देश दिया गया है। जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। खंड शिक्षा अधिकारी और प्रधानाचार्यों को सख्त निर्देश दिया गया है कि बच्चे किसी हाल में जर्जर भवन के पास न जाएं और नाहीं उस भवनों में पढ़ाई हो। विद्यालयों के ऊपर से जर्जर तार हटान को विद्युत विभाग को लिखा गया है। जल्द ही तार को हटाने की कार्रवाई की जाएगी।
-राजीव पाठक, बीएसए, आजमगढ़।
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