आजमगढ़ के परिषदीय विद्यालयों में जर्जर भवनों की दरकती दीवारों से झांकते शिक्षा के मंदिर
आजमगढ़ जिले में तमाम स्कूलों के जर्जर भवन हैं जहां पर छत ही नहीं बल्कि दीवारों से भी हादसे की संभावनाएं झांक रही हैं। खुले मैदान में कक्षाएं चल रही हैं तो दूसरी ओर हादसों की संभावनाओं वाले स्कूलों में पढ़ाई अनवरत जारी है। जबकि अधिकारियों का दौरा इन स्कूलों में अनवरत जारी रहता है।

जागरण संवाददाता, आजमगढ़। परिषदीय विद्यालयों में जर्जर भवनों की दरकती दीवारें, शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले विद्यालय की यह हालत न सिर्फ छात्रों व शिक्षकों की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है बल्कि प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही को भी उजागर कर रही है। सरकार परिषदीय विद्यालयों के कायाकल्प को पर्याप्त बजट अवमुक्त कर रही है।
बावजूद इसके स्कूलों में मौत के साए में बच्चों का भविष्य संवर रहा है। राजस्थान में एक विद्यालय की छत गिरने से सात बच्चों की मौत ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। ऐसे में दैनिक जागरण ने सामाजिक दायित्व के तहत स्कूलों की सुरक्षा को लेकर दस दिवसीय राष्ट्रव्यापी समाचारीय अभियान शुरू किया है। दूसरे दिन गुरुवार को आजमगढ़ के विद्यालयों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर पड़ताल में ऐसे विद्यालय परिसर में जर्जर भवन मिले। इससे बच्चों का जीवन खतरे में है। खासकर जब वे खेलते समय या कक्षा में पढ़ाई करते समय भवन के पास होते हैं। प्रस्तुत है पड़ताल करती दूसरी रिपोर्ट।
खुले आसमान के नीचे चलती है एक से तीसरी तक की कक्षाएं
मार्टीनगंज विकास खंड के पिछौरा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय परिसर में दो भवन हैं। एक जर्जर हो चुका है, जबकि दूसरा अभी नया बना है। जर्जर हो चुके भवन का निर्माण 2001 में हुआ था। विद्यालय में कुल 52 बच्चे पढ़ते हैं। जर्जर भवन की वजह से नौनिहालों पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है। एहतियातन शिक्षक जर्जर भवन के बाहर खुले आसमान के नीचे बच्चों को पढ़ाते हैं। ऐसे में अगर बारिश हो जाए स्थिति और भी विकट हो जाती है। नए भवन के दो कमरों में एक से लेकर पांचवीं तक कक्षाएं एक साथ चलती हैं। प्रधानाध्यापक प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि विवश होकर बच्चों को मैदान में पढ़ाना पड़ता है। अतिरिक्त भवन नहीं होने की वजह से कार्यालय भी जर्जर भवन में संचालित होता है। जर्जर भवन के ध्वस्तीकरण को तीन बार नीलामी प्रक्रिया की गई, लेकिन अनुमानित कीमत अधिक होने की वजह से नीलामी पूरी नहीं हो सकी।
भय के साए में बच्चे करते हैं पठन-पाठन
क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय दुबरा में कुल 248 बच्चे पढ़ते हैं। 2004 में बने भवन के जर्जर होने के बाद कक्षाएं अतिरिक्त भवन में चलती है। परिसर में जर्जर भवन की वजह से हर समय बच्चों और शिक्षकों में भय का माहौल बना रहता है। लंच के समय या छुट्टी के समय शिक्षक खड़े होकर निगरानी करते हैं कि बच्चे जर्जर भवन की तरफ न चले जाएं। भवन को तो बंद किया गया, लेकिन टूटी हुईं खिड़कियां, गिरते हुआ प्लास्टर से बारिश के मौसम में हर समय खतरा बना रहता है। प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार ने बताया कि जर्जर भवन को नीलाम करने की प्रक्रिया कई बार हो चुकी है, लेकिन अभी तक ध्वस्तीकरण नहीं हो सका है।
बरामदे में चल रहीं कक्षाएं, जर्जर भवन दे रहा हादसे को आमंत्रण
सठियांव विकास खंड के मुबारकपुर नगरपालिका क्षेत्र में संचालित कंपोजिट विद्यालय परिसर में जर्जर भवन हर समय दुर्घटना को दावत दे रहा है। जर्जर भवन से सटे बरामदे में विद्यार्थी बैठक कर पठन-पाठन का कार्य करतीं हैं। विद्यालय में कुल 365 विद्यार्थी पढते हैं। विद्यालय परिसर में मौजूद भवन 1965 में बना था। भवन की दरकती दीवारें और गिरते प्लास्टर से हर समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। बारिश के मौसम में यह आशंका और भी प्रबल हो जाती है। जर्जर भवन के नीलामी की प्रक्रिया अभी चल रही है।
शौचालय का प्रयोग नहीं कर पाते हैं बच्चे
विकासखंड मार्टीनगंज के धंगवल ग्राम पंचायत के कंपोजिट विद्यालय में विद्युत कनेक्शन नहीं होने से बच्चे गर्मी में पढ़ने को विवश हैं। विद्यालय में कुल 193 बच्चे पढ़ते हैं। विद्यालय में पानी की टंकी मौजूद है, लेकिन बिजली नहीं होने की वजह से पानी ऊपर नहीं चढ़ पाता है। इससे बच्चे और शिक्षक शौचालय का प्रयोग नहीं कर पाते हैं। ऐसे में बच्चों को घर या फिर बाहर जना पड़ता है। सबसे अधिक परेशानी छात्राओं को होती है। प्रधानाध्यापक पुनवासी ने बताया कि विद्युत विभाग और उच्च अधिकारियों को इसके बारे में अवगत कराया गया है। पानी के लिए काफी जिल्लत उठानी पड़ती है।
डीहपुर में प्राथमिक विद्यालय में स्थित जर्जर भवन बना खंडहर
प्राथमिक विद्यालय डीहपुर स्थित जर्जर भवन का निर्माण 1989 में हुआ था। इस समय विद्यालय में कुल 104 बच्चे पढ़ते हैं। विद्यालय परिसर में मौजूद पुराना भवन पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो गया है। जर्जर भवन को ध्वस्तीकरण के लिए चिह्नित किया गया है। विभाग द्वारा सुधि नहीं लेने की वजह से नौनिहालों की जान का खतरा बना हुआ है।
- जर्जर भवन के ध्वस्तीकरण के लिए जिले से एस्टीमेट बनाकर आया है। इसकी नीलामी प्रक्रिया के लिए तीन बार बैठक की गई, किंतु एस्टीमेट में नीलामी राशि 75 हजार होने के कारण कोई भी बोली लगाने के लिए तैयार नहीं हुआ है। इस वजह से ध्वस्तीकरण प्रक्रिया नहीं पूरी हो सकी। जल्द ही उच्चाधिकारियों से विचार विमर्श कर इसका कोई समाधान किया जाएगा। - राजीव यादव, खंड शिक्षा अधिकारी, फूलपुर।
जर्जर भवन को ध्वस्तीकरण के लिए चिह्नित किया गया है, तीन बार नीलामी की प्रक्रिया की गई। कीमत अधिक होने की वजह से नीलामी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है। वरीय अधिकारियों सहित खंड शिक्षा अधिकारी को सूचित किया गया है। पूरा प्रयास रहता है कि विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे जर्जर भवन की ओर नहीं जाए। - दिलीप कुमार यादव, प्रधानाध्यापक दुबरा विद्यालय।
मेरे तीन बच्चे विद्यालय में पढ़ते हैं। बच्चों के विद्यालय जाने के बाद हर समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। जब तक बच्चे वापस नहीं आ जाते तब तक चैन नहीं मिलता है। कई बार विद्यालय के शिक्षकों से शिकायत कर चुकी हूं की जर्जर भवन को जल्द से जल्द गिरवाएं, नहीं तो बारिश के समय बच्चों को नहीं भेजूंगी। - पूनम देवी, अभिभावक
मेरी बेटी अंजली आठवीं कक्षा की छात्रा है। जबतक वह विद्यालय में रहती है तब तक चिंता सताती रहती है। उसके घर लौटने के बाद ही राहत महसूस होती है। बारिश के समय विद्यालय परिसर में मौजूद जर्जर भवन की वजह से हर समय भय बना रहता है। - यशोधरा देवी, अभिभावक
मेरी बेटी अंशिका कक्षा पांच में पढ़ती है, जर्जर भवन के कारण चिंता बनी रहती है। विद्यालय में बना पुराना भवन गिरने के कगार पर है इसके आसपास बच्चे खेलते हैं। कई बार इसकी शिकायत की गई किंतु अभी तक जर्जर भवन को ढहाया नहीं गया। प्रशासन को इसपर पहल करनी चाहिए। - संजय कुमार, अभिभावक
मेरी भतीजी सृजा कक्षा तीन में पढ़ती है। विद्यालय का पुराना भवन कई वर्षों से जर्जर अवस्था में पड़ा है, विभाग द्वारा उसे ढहाया नहीं जा रहा है। इससे नौनीहालों की जान के लिए खतरा बना हुआ है। बच्चे जब तक घर नहीं पहुंचते हैं तब तक चिंता बनी रहती है। - रंजीत कुमार, अभिभावक
चिह्नित जर्जर भवनों को ध्वस्त करने की नीलामी प्रक्रिया की जा रही है। लोक निर्माण विभाग की ओर से ध्वस्तीकरण की राशि अधिक होने की वजह से नीलामी प्रक्रिया में थोड़ा विलंब हो रहा है। वैकल्पिक व्यवस्था की तलाश की जा रही है। जल्द से जल्द जर्जर भवन को ध्वस्त कर दिया जाएगा। खंड शिक्षा अधिकारी और प्रधानाचार्यों को सख्त निर्देश दिया गया है कि बच्चे किसी हाल में जर्जर भवन के पास न जाएं और न हीं उस भवनों में पढ़ाई हो। - राजीव पाठक, बीएसए, आजमगढ़ ।
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