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    कच्ची फसलों और हरे पेड़ों पर दरांतियां चलाने के मजबूर किसान, गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर भाग रहे ग्रामीण

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 11:01 PM (IST)

    बदायूं के सहसवान में गंगा की बाढ़ से ग्रामीण परेशान हैं। पिछले डेढ़ महीने से कई गांव के लोग बांध पर शरण लिए हैं। गंगा का जलस्तर बढ़ने से आसे नगला गांव के पास कटान तेज हो गया है। ग्रामीणों को 2012 की घटना याद आ रही है जब कटाव के कारण गांव वालों को घर छोड़ने पड़े थे। अब फिर से कटाव होने से ग्रामीण डरे हुए हैं।

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    किसान कच्ची फसलों और हरे पेड़ों पर चला रहे दरांतियां। जागरण

    जागरण सहसवान, बतायूं । गंगा में आई बाढ़ ने बांध के पार बसे पांच गांवों के लोगों को हलकान कर रखा है। तकरीबन डेढ़ महीने से इन गांवों के ग्रामीण गंगा महावा बांध समेत सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए विस्थापितों वाला जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इनकी समस्या वाजिब है और प्रशासन की ओर से इन लोगों को सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। लेकिन इस बाढ़ का एक पहलू और भी है जो किसी की निगाह में नहीं है। वह यह कि लंबे समय से जलभराव की स्थिति बने रहने से बांध के इस पार भी रिसाव के कारण जलभराव बना हुआ है।

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    उधर गंगाजल और इधर दूषित पानी

    फर्क सिर्फ इतना कि उधर गंगाजल है और इधर दूषित पानी। पिछले तीन चार दिनों से उफान लेती गंगा की लहरों ने आसे नगला गांव के पास तेज कटान किया है। ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2012 में गंगा ने इसी स्थान पर कटान किया था। उस वक्त ग्राम पंचायत खिरकवारी मानपुर पुख्ता के मजरा आसे नगला, रज्जू नगला, तेलिया नगला गांव उस पार बसे हुए थे। जब गंगा ने कटान के रूप में कहर बरपाया तो इन गांवों के लोगों ने इससे बचने के लिए इस पार अपने आशियाने बना लिए। 12 साल बाद गंगा ने अब फिर इन गांवों के सामने तेज कटान शुरू कर दिया है।

    हालात यह हैं कि गंगा कभी भी बांध को काट सकती हैं। लहरों का यह रुप देख कर बांध के इस पार बसे आसे नगला, रज्जू नगला आदि के लोगों ने अपने घरों के सामान को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना शुरू कर दिया है। साथ ही कटान करती आ रही लहरों को देख वह लोग अपनी कच्ची फसलों और यूकेलिप्टस के पौधों को काट कर नावों से ला रहे हैं।

    कौन समझे पीड़ा

    सब कुछ नष्ट होने की दशा में कुछ बचा लेने की सोच के चलते ही ग्रामीण शायद अपनी फसलों और अपरिपक्व पौधों को काट रहे हैं। ऐसा करते समय उनके मन में उठ रही पीड़ा को सिर्फ वही समझ सकते हैं। फिलहाल बाढ़ खंड समेत बचाव कार्य में जुटे सभी लोग कटान रोकने की जुगत में लगे हुए हैं।

    इधर, ग्रामीण इस बात की भी चर्चा कर रहे थे कि गंगा मैया 12 साल बाद फिर आसे नगला, रज्जू नगला आदि गांव के लोगों को अपना रौद्र रूप दिखा रही हैं। घरों से सामान लेकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे लोगों ने बताया कि यदि बांध को क्षति हुई तो घरों से सामान निकालना भी मुश्किल हो जाएगा।

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