Updated: Sun, 07 Sep 2025 07:21 PM (IST)
बदायूं में पीईटी परीक्षा के दौरान परिवहन निगम की व्यवस्था बिगड़ गई जिससे अभ्यर्थियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। शुरुआत में कुछ बसें मिलीं लेकिन बाद में अभ्यर्थी देर रात तक वाहनों के लिए भटकते रहे। मथुरा-आगरा रूट पर बसों की कमी रही जबकि बरेली के लिए बसें उपलब्ध थीं। एआरएम ने चौराहे पर व्यवस्था संभाली।
जागरण संवाददाता, बदायूं । प्रारंभिक अर्हता परीक्षा (पीईटी) के दौरान दोनों दिन परिवहन निगम का बुरा हाल रहा। दो-तीन घंटे तक तो बसें उपलब्ध रहीं। बाद में जो बसें आती गईं, उन्हें अभ्यर्थियों को देखकर रवाना किया जाता रहा लेकिन इसके बावजूद तमाम अभ्यर्थी देर रात तक सड़कों पर भटकते रहे और वाहनों को तलाश करते दिखे। उन्हें अपने गंतव्य तक पहुंचाने के लिए रोडवेज बसें नहीं मिल पाईं। इससे उन्हें दूसरे वाहनों का भी सहारा लेना पड़ा।
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शनिवार और रविवार को पीईटी की परीक्षा थी। रविवार को परिवहन निगम ने पहले दिन दोपहर 12 बजे तक तो रोडवेज बसों का इंतजाम कर लिया था। जब पहली पाली समाप्त हुई तो 30 बसों को बरेली और 30 बसों को मथुरा-आगरा रवाना कर दिया गया। शाम पांच बजे दूसरी पाली समाप्त हुई। तब तक बरेली जाने वाली बसें भी लौटकर आ गई थीं लेकिन मथुरा-आगरा वाली बसें लौटकर नहीं आई, जिससे देर रात तक यातायात व्यवस्था खराब रही।
रात तक अभ्यर्थियों का बुरा हाल रहा
रात तक अभ्यर्थियों का बुरा हाल रहा। बताया जा रहा है कि रात 11 बजे तक तमाम अभ्यर्थी रोडवेज बस अड्डे से लेकर भामाशाह चौक तक भटकते रहे। हालांकि बाद में किसी तरह उन्होंने दूसरे वाहनों का सहारा लिया। कुछ अभ्यर्थी तो किराये की टैक्सियां करके अपने गंतव्य तक पहुंचे। इसी तरह रविवार को भी रोडवेज बसों में मारामारी रही। परीक्षा छूटने के दो-तीन घंटे तक बसें उपलब्ध कराई जाती रहीं लेकिन शाम को फिर से वही हालत हो गई।
परिवहन निगम ने एक काम अच्छा किया कि अभ्यर्थियों की संख्या के हिसाब से बसों का संचालन कराया। अगर रूट के हिसाब से बसों का संचालन कराया जाता तो शायद आधे से ज्यादा अभ्यर्थी अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाते। वह रातभर बदायूं की सड़कों पर ही भटकते रहते। इसके बावजूद फर्रुखाबाद, मथुरा, आगरा और एटा की बसों की कमी रही। बरेली के लिए पर्याप्त बसें और दूसरे वाहन उपलब्ध रहे।
यातायात व्यवस्था संभालते रहे एआरएम
एआरएम राजेश पाठक स्वयं रविवार दोपहर रोडवेज चौराहे पर आकर खड़े हो गए। वह स्वयं अभ्यर्थियों को बसों में बैठातें दिखे और यातायात व्यवस्था भी संभालते रहे। उन्होंने दोपहर और शाम को कोई बस चौराहे पर खड़ी नहीं होने दी। तत्काल अभ्यर्थियों को बैठाकर बसों को रवाना कर दिया था।
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