न सिंगल यूज प्लास्टिक, न ही दोने-पत्तल की जरूरत... क्रॉकरी चाहिए तो बर्तन बैंक आइए
बागपत जिले में पर्यावरण संरक्षण के लिए एक नई पहल की जा रही है। जिलाधिकारी अस्मिता लाल ग्वालीखेड़ा में बर्तन बैंक का शुभारंभ करेंगी। इसका उद्देश्य शादी व अन्य आयोजनों में प्लास्टिक के उपयोग को कम करना है। ग्राम पंचायत द्वारा संचालित इस बैंक में ग्रामीणों को बाजार से कम किराए पर बर्तन मिलेंगे, जिससे पर्यावरण को लाभ होगा और ग्राम पंचायतों की आय भी बढ़ेगी।

बागपत का बर्तन बैंक। सौ. सूचना विभाग
जागरण संवाददाता, बागपत : पर्यावरण संरक्षण की अनोखी पहल की गई है। अब ग्राम पंचायतों में बर्तन बैंक खुलेंगे। डीएम अस्मिता लाल तीन नवंबर को ग्वालीखेड़ा में बर्तन बैंक का शुभारंभ करेंगी। गांवों में बर्तन बैंक खोलने का उद्देश्य ग्रामीणों को शादी अथवा अन्य आयोजन पर मामूली किराए पर बर्तन देकर प्लास्टिक तथा पत्तल-दोने के उपयोग में कमी लाना है साथ ही प्लास्टिक के उपयोग को कम करना है।
बर्तन बैंक को ग्राम पंचायत संचालित करेगी। बाजार शुल्क के आधे मूल्य पर बर्तन उपलब्ध होंगे, जिसमें खाना पकाने से लेकर परोसने तक के सभी बर्तन शामिल हैं। यह पहल प्रत्येक विकास खंड में लागू की जा रही है। बागपत में ग्वालीखेड़ा, बड़ौत में मलकपुर, बिनौली में दाहा और निरपुडा, खेकड़ा में काठा, छपरौली में रमाला और पिलाना गांव को इस योजना में शामिल किया गया।
खाना पकाने से लेकर परोसने तक के बर्तन होंगे शामिल : बर्तन बैंक में थाली, ग्लास, चम्मच, जग, परात (स्टील एवं सिल्वर), भगौने, बाल्टी, कुकर, सिल्वर टब और कलचे, पोनी, पलटे आदि शामिल हैं। इसे ग्राम पंचायत घर में स्थापित किया जाएगा, जहां से ग्रामीण आवश्यकतानुसार सामूहिक या निजी आयोजनों के लिए बर्तन ले सकेंगे।
प्लास्टिक का उपयोग घटेगा और ग्राम पंचायत की आय बढ़ेगी : बताते चलें कि प्लास्टिक के बर्तनों में खाना खाने के बाद उसे फेंक देते हैं। जो पर्यावरण को दूषित करती है साथ ही यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। स्टील एवं सिल्वर के बर्तनों के उपयोग से प्लास्टिक का उपयोग घटेगा और बर्तनों को किराए पर देने से ग्राम पंचायतों की आय होगी तथा ग्रामीणों को बाजार किराया से आधे किराए पर मिलेंगे। इन गांवों में प्रयोग सफल होने के बाद बाकी 230 ग्राम पंचायतों में भी बर्तन बैंक खोलने को लेकर विचार किया जाएगा।

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