Rural Tourism: यूपी का वो गांव, जो पारंपरिक खान-पान से लोक कला तक के लिए कर रहा आकर्षित; मिलेगा ICRT अवॉर्ड
बहराइच का कारीकोट गांव ग्रामीण पर्यटन में वैश्विक पहचान बना चुका है। यह गांव संस्कृति हस्तशिल्प लोक कला और विरासत को सहेजे हुए है जो पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। ग्रामीण पर्यटन बढ़ने से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं। कारीकोट गांव को आईसीआरटी अवार्ड 2025 से सम्मानित किया जाएगा। ग्रामीणों ने अपने घरों को होम स्टे में बदल दिया है

संतोष श्रीवास्तव, बहराइच। भारत-नेपाल सीमा सटा कारीकोट गांव ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में वैश्विक पहचान बना चुका है। 27 हजार की आबादी वाला यह गांव जंगल इलाके से सटा है। मनोरम दृश्य, दुर्लभ वन्यजीव, पारंपरिक खान-पान, होम स्टे के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों का जीवन, संस्कृति, हस्तशिल्प, लोक कला और अपनी विरासत को सहेजे यह गांव पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
ग्रामीण पर्यटन के बढ़ने से यहां के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित हुए हैं। अब 13 सितंबर को नई दिल्ली में आईसीआरटी अवार्ड 2025 से इस गांव को सम्मानित किया जाएगा।
लखनऊ से 245 व बहराइच जिला मुख्यालय से लगभग 110 किलोमीटर दूर संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करते हुए स्थानीय समुदायों को आर्थिक और सामाजिक लाभ प्रदान करने वाला कारीकोट गांव अब रोजगार भी दे रहा है।
यहां के ग्रामीण होमस्टे व फार्म स्टे की शुरुआत के साथ अपने लोकल उत्पादों को बाजार देने का काम कर रहे हैं। गांव की संस्कृति, खान-पान, हस्तशिल्प और लोक कलाओं के साथ ग्रामीणों ने सामुदायिक नेतृत्व के जरिए पर्यटन को एक नई दिशा भी दी है।
गांव निवासी बच्चे लाल चौहान ने बताया कि गांव में एक माह तक पारंपरिक मेला भी लगता है। इसमें लगने वाली दुकानों में ग्रामीणों द्वारा बनाए गए उप्ताद को ही बाजार में उतारा जाता है।
अभिमन्यू प्रजापति ने बताया कि मिट्टी के उत्पाद बनाने के साथ ग्रामीण जंगल में मिलने वाली बेत से कुर्सी , मेज, अलमारी समेत कई अन्य सामान बनाते हैं। गांव निवासी मंजू, परमानंद, राज कुमारी आदि ने बताया कि ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उन्होने गांव में ही अपने मकानों को होम स्टे में तब्दील कर दिया है। इसमें पर्यटकों के ठहरने का इंतजाम किया गया है।
इनसे मिली प्रेरणा
पर्यटन विभाग के अधिकारी मनीष श्रीवास्तव प्रेरणा से ग्रामीणो को गांव में रोजगार के लिए प्रेरित किया गया । ग्रामीण प्रर्यटन की जानकारी देने के साथ ग्रामीणों को होम स्टे की जानकारी व डिजाइन के बारे में भी अवगत कराया गया। उन्हें अपने उत्पादों को कैसे गांव में ही बाजार तैयार कर उसे बेचना है उसकी पूरी रूप रेखा भी तैयार कराई।
ऐसे बना सम्मान का हकदार
यहां के ग्रामीणों ने लोकनृत्य के अलावा पारंपरिक व्यंजन और हस्तशिल्प को संरक्षित किया। ग्रामीण क्षेत्रों का जीवन, थारू संस्कृति, हस्तशिल्प, लोक कला, खान-पान के अलावा धरोहर, जंगल का मनोरम दृश्य देखने के बाद पर्यटकों का रुझान इस ओर बढ़ने के बाद ग्रामीणों को नया बाजार भी मिला, जिससे रोजगार बढ़ा।
पर्यटकों को रिझा रहा कारीकोट का देशी अंदाज
लगभग 500 पर्यटक इस गांव के होम स्टे में रुकने के साथ गांव की संस्कृति और सभ्यता से परिचित हो चुके हें। देशी व्यंजनों का आनंद भी ले चुके हैं। चुल्हे पर बनी रोटी, तड़का लगी दाल , चावल, लिट्टी-चोखा समेत कई अन्य देशी व्यंजन व पारंपरिक अंदाज लोगों को भी पसंद आ रहा है।
कारीकोट पहुंचने के लिए लखनऊ से बस व ट्रेन के माध्यम से पहले बहराइच जिला मुख्यालय आना पड़ेगा। इसके बाद यहां से कतर्निया वन्यजीव प्रभाग के कारीकोट के लिए टैक्सी बुक कराकर मिहींपुरवा होते आगे की यात्रा तय की जा सकती है।
प्रदेश सरकार ने प्रर्यटन को बढ़ाने के लिए जो नीतियां बनाकर सराहनीय प्रयास किया है, उसका असर भी दिखने लगा है। इसी क्रम में जिले का कारीकोट अब ग्रामीण पर्यटन का वैश्विक माडल बनेगा, जो गर्व की बात है। इससे अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी।
- अक्षय त्रिपाठी, जिलाधिकारी बहराइच
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