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    ऐतिहासिक ददरी मेले में भीड़ उमड़ने से लौटी रौनक, झूला-चरखी पर चढ़ आसमान छू रहे लोग

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 03:12 PM (IST)

    बलिया के ददरी मेले में भारी भीड़ उमड़ी, जिससे मेले की रौनक वापस आ गई। लोग झूला और चरखी का आनंद ले रहे हैं। दुकानदारों की बिक्री बढ़ने से वे खुश हैं। प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।

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    ददरी मेले में भीड़ उमड़ने से लौटी रौनक।

    जागरण संवाददाता, बलिया। पूर्वांचल के ऐतिहासिक ददरी मेला में पहले रविवार को उमड़ी भीड़ ने मेला की रौनक को काफी हद तक लौटा दी है। आधी-अधूरी तैयारियों के बीच सजी दुकानों पर खरीदारी के लिए लोगों की अच्छी-खासी भीड़ देखी गई। जबकि पहले संडे से चालू हुई चरखी पर झूलने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी रही।

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    उम्मीद के अनुसार पहुंची भीड़ ने दुकानदारों को कुछ हद तक राहत पहुंचाने का काम किया। जबकि पांचें दिन भी मेला बिजली-पानी के संकट से जूझता रहा। यहां बिजली विभाग के पाेल और तार शाम तक बिछते रहे, लेकिन मेला में जरनेटर के सहारे बिजली की सप्लाई पूरी हुई।

    कार्तिक पूर्णिमा के दिन से आयोजित हुए ददरी मेला में शुरुआत के पांच दिन मेलार्थी ना के बराबर पहुंचे। जबकि दुकानें और झूला-चरखी को स्थापित होने में ही पूरा समय बीत गया, लेकिन रविवार तक केवल आधा मेला ही सज सका।

    ऐसे में पांच दिनों से मंदी और नुकसान की मार झेल रहे दुकानदारों की चिंताएं पहले संडे की भीड़ से कुछ कम हो गई है। छुट्टी के दिन मेले में उमड़ी भीड़ अधिकांश गर्म कपड़ों और हरएक माल के सेल पर नजर आई। जबकि काफी मशक्कत के बाद चालू हुई एकलौती चरखी पर झूलने के लिए मेलार्थी वेटिंग में लगे रहे।

    चीनीमिट्टी और लकड़ी के सामानों के साथ घरेलू वस्तुओं की दुकान पर भी महिलाओं की भीड़ लगी रही। मेला में पहुंची भीड़ को ऊबड़- खाबड़ रास्तों से भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

    सजने लगा मौत का कुंआ और जलपरी का शो

    बलिया में ददरी मेला अगले दो-चार दिन में ही पूरे शुमार पर नजर आएगा। इसके लिए मौत का कुंआ और जलपरी शो को लगाने का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। इसके अलावा मेला में इस बार पहुंचे 25 प्रकार के झूलों में से रविवार को केवल एक ही चरखी संचालित हो सकी, लेकिन अन्य झूला-चरखी को भी मजदूरों की संख्या बढ़ाकर अगले कुछ दिनों में पूरी तरह तैयार कर लिया जाएगा।

    मेला में बढ़ी टैटू बनवाने की डिमांड

    बलिया में ददरी मेला में टैटू बनवाने का भी अलग ही ट्रेंड है। पूर्व जमाने में गोदना से शुरु हुई यह परंपरा आज के लेटिस्ट और डिजिटल टैटू तक पहुंच गई है। ऐसे में मेला में जहं पुरानी परंपरा से गोदना गोदने की दुकान सली है।

    वहीं, मशीनों से डिजीटल टैटू बनवाने की भी खासी डिमांड है। खासकर युवा और युवतियों की पसंद डिजीटल टैटू है। जबकि उम्रदराज लोग आज भी गोदना गोदवाना ही पसंद कर रहे है।

    बच्चों ने मस्ती के साथ खरीदे पढ़ाई के सामान

    बलिया में ददरी मेला में संडे की छुट्टी के दिन माता-पिता के साथ बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे भी पहुंचे। बच्चों ने मेला में जहां चरखी का आनंद अठाने के साथ चाट-जलेबी का लुत्फ उठाया। वहीं मेला में सजी पठन-पाठन सामग्री की दुकान भी आकर्षण का केंद्र रही। बच्चों ने अपनी पढ़ाई से संबंधित काफी सामानों की खरीदारी की, जिसका माता- पिता ने पढ़ाई के नाम पर खुशी से खर्च किया।