बलिया के ददरी मेला में देसी उत्पादों की मांग, बिके समूह के तीन लाख के सामान
आधुनिकता के चकाचौंध में भी देसी सामानों की मांग कम नहीं हुई है। इसका बड़ा उदाहरण है ऐतिहासिक ददरी मेला। मेले में स्वयं सहायता समूहों द्वारा हस्त निर्मित उत्पादों की बिक्री खूब हो रही है। आज मेले का समापन हो जाएगा।

जागरण संवाददाता, बलिया : आधुनिकता के चकाचौंध में भी देसी सामानों की मांग कम नहीं हुई है। इसका बड़ा उदाहरण है ऐतिहासिक ददरी मेला। मेले में स्वयं सहायता समूहों द्वारा हस्त निर्मित उत्पादों की बिक्री खूब हो रही है। आज मेले का समापन हो जाएगा। गांव की महिला सदस्यों के हाथ से बने उत्पाद बैग, झोला, सजावट के सामान की प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
13 दिन में करीब तीन लाख रुपये से ऊपर के देसी सामानों की बिक्री हुई है। इससे समूह की महिलाएं उत्साहित हैं। मेले में पहुंची देसी सामानों की खरीदार माधुरी देवी ने कहा कि हाथ से निर्मित सामान खरीदने के लिए ही मेले में पहुंची हूं।
मेले में देश के कोने-कोने से एक से बढ़ कर एक दुकानें आई हैं। नाबार्ड के डीडीएम मोहित यादव व मां सुरसरी सेवा संस्थान द्वारा नाबार्ड से संचालित दो स्वयं सहायता समूह नगरा ब्लाक के लक्ष्मी स्वयं सहायता कोदई व सुहेलदेव स्वयं सहायता समूह तिलकारी के उत्पादों की प्रदर्शनी लगी है।
बाजार से कम दाम व मजबूत कपड़ा, लेदर व जुट से तैयार बैग, झोला, सजावट के सामान व बिंदी लोगों को ज्यादा भा रहे हैं। सबसे ज्यादा बैग व झोला की मांग है। सेवा संस्थान के सचिव सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की प्रदर्शनी का प्रमुख उद्देश्य दूसरे स्वयं सहायता समूहों को रोजगारपरक गतिविधियों के लिए प्रेरित करना है। समूह की महिलाएं अपने उत्पादों को नजदीकी मेला या बाजार में प्रदर्शनी के माध्यम से बिक्री कर अपनी आय में इजाफा कर सकती हैं।

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