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    शोध कार्यों में Jananayak Chandrashekhar University का नया प्रयास, आसान हो गया शोध करना

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 05:26 PM (IST)

    जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया और मगध विश्वविद्यालय बोधगया के बीच शोध को लेकर समझौता हुआ है। इस समझौते से विद्यार्थी और प्राध्यापक क्षेत्रीय आवश्यकतानुसार शोध कर सकेंगे। दोनों विश्वविद्यालय सांस्कृतिक गतिविधियों को भी प्रोत्साहित करेंगे जिससे क्षेत्रीय संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता ने कहा कि इससे दोनों विश्वविद्यालयों का विकास होगा क्योंकि बलिया और बिहार में सामाजिक जीवन में समानता है।

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    गुणवत्तापूर्ण शोध के लिए जेएनसीयू और मगध विश्वविद्यालय के बीच हुआ समझौता।

    जागरण संवाददाता, बलिया। पूर्वांचल में श‍िक्षा के स्‍तर पर प्रयासों को और बल म‍िलने जा रहा है। इसी कड़ी में बल‍िया स्‍थ‍ित जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय और मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, बिहार के मध्य गुणवत्तापूर्ण शोध एवं संसाधनों के प्रयोग के लिए समझौता (एमओयू) हुआ है।

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    अब इस समझौते के तहत विद्यार्थी, शोधार्थी एवं प्राध्यापक अपनी क्षेत्रीय आवश्यकता के अनुरूप आवश्यक अन्तर- अनुशासनात्मक शोध परियोजनाओं के लिए मिलकर कार्य करेंगे। सोमवार को जेएनसीयू के कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता और मगध विवि के कुलपति प्रो. शशि प्रताप शाही ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही अब बल‍िया और आसपास के क्षेत्रों में छात्रों के ल‍िए बेहतर उच्‍च श‍िक्षा के अवसर उनके ज‍िले में ही उपलब्‍ध होने जा रहा है।  

    अब इस समझौते के तहत शोध एवं अध्यापन के लिए प्राध्यापक लघु या दीर्घ समयावधि के लिए दूसरे विश्वविद्यालय में जा सकेंगे। इससे किसी प्राध्यापक की विषय विशेषज्ञता का उपयोग दोनों विश्वविद्यालयों की अकादमिक गुणवत्ता की वृद्धि के लिए किया जा सकेगा। दोनों विश्वविद्यालय सांस्कृतिक गतिविधियों को भी प्रोत्साहित करेंगे। इससे न केवल क्षेत्रीय संस्कृति के प्रचार- प्रसार को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों के बीच बेहतर समन्वय भी स्थापित होगा।

    कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता ने विश्वास जताया कि इस एमओयू का लाभ दोनों विश्वविद्यालयों के साथ ही वहां के समग्र क्षेत्रीय विकास को भी मिलेगा। गया और बलिया दोनों ही जिले अपने सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व के लिए ख्यात हैं। भाषा, सामाजिक जीवन और सांस्कृतिक मूल्यों के आधार पर बलिया और बिहार में कोई विशेष अंतर नहीं है। इसलिए दोनों ही विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी सहजता से दूसरे विश्वविद्यालय की सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे। उम्मीद जताई कि यह एमओयू दोनों ही क्षेत्रों के विकास के लिए उपयोगी साबित होगा।