बलिया के जमालपुर में जर्जर छतों के नीचे सांसत में नौनिहालों की जान, ढहते सपने और अंधेरे में भविष्य
बलिया जिले के जमालपुर में जर्जर छतों के नीचे सांसत में नौनिहालों की जान है तो ढहते सपने और अंधेरे में भविष्य को सहज ही बदहाली के रूप में देखा जा सकता है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का दौरा भी होता है लेकिन बदहाली को मानो इग्नोर करके ही चल रहे हैं।

जागरण संवाददाता, बलिया। राजस्थान के झालवाड़ में सरकारी स्कूल का भवन गिरने से सात मासूमों की जान चली गई। इसके बाद अब जब अभिभावक अपने बच्चे को स्कूल भेजते हैं तो उन्हें सुरक्षा को लेकर चिंता सताए रहती है। स्कूलों के कायाकल्प के लिए हर साल बजट खर्च किया जाता है।
इसके बाद भी उनकी बदहाल व्यवस्था में नौनिहालों की जान सांसत में हैं। गुरुवार को 10.30 बजे जागरण टीम प्राथमिक विद्यालय जमालपुर पहुंची। जर्जर छतों के नीचे नौनिहाल पढ़ाई कर रहे थे। बीच-बीच में पानी टपक रहा था। छत में बनी दरार देख वह डरे हुए थे। यहां पर 58 बच्चे पंजीकृत हैं। इसका निर्माण 2002 में कराया गया था। एक बरामद के अलावा दो कक्षा कक्ष हैं।
एक ही कक्षा में एक से तीन तथा दूसरे कक्षा में चार और पांच के बच्चे पढ़ते हैं। शौचालय में झाड़ियां उग आई हैं तो बाउंड्रीवाल क्षतिग्रस्त हो चुकी है। अभी तक जहां बिजली नहीं पहुंच पाई है तो वहीं क्षतिग्रस्त खिड़कियां सुरक्षा में सेंध लगा रही हैं। पेश है दैनिक जागरण बलिया टीम की रिपोर्ट
कक्षा संचालित होते समय ही टूटकर गिर जाता छत का प्लास्टर
जागरण टीम 11.35 बजे प्राथमिक विद्यालय बघौली में पहुंची। इस भवन का निर्माण 2002 में कराया गया था। इसके निर्माण पर दस लाख रुपये खर्च किए गए थे। इतने कम समय में ही भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है। कक्षा चलता रहता है इसी बीच कभी-कभी टूटकर छत का प्लास्टर गिर जाता है। संयोग अच्छा है कि अभी तक किसी बच्चे को चोट नहीं लगी। यहां पर 160 बच्चे पंजीकृत हैं। दरवाजा से लेकर खिड़की तक जर्जर हो चुके हैं। बिजली, पेयजल और शौचालय की व्यवस्था पूरी तरह बदहाल है। शौचालयों में गंदगी होने के कारण बच्चे खुले में शौच करते हैं। प्रधानाध्यापक मानवेंद्र नारायण सिंह ने बताया कि भवन के ध्वस्तीकरण की रूपरेखा तैयार की जा रही है और जल्द ही समस्या से निजात मिलने की उम्मीद है।
मनियारी जसाव स्कूल में बारिश में थम जाती है पढ़ाई
मनियारी जसाव स्थित यह प्राथमिक विद्यालय मनियारी जसाव में जागरण टीम 12.10 बजे पहुंची। भवन बदहाल स्थिति में है। दीवारें जहां चटक गई हैं तो वहीं छत से पानी टपकता है। इसका निर्माण 2002 में कराया गया था। बारिश के दिनों में सुबह स्कूल खुलने पर छत से पानी टपकने लगता है। इससे पढाई पूरी तरह बाधित रहता है। विद्यालय में बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है। दीवारों से लगातार पानी की बूंदें टपकती रहती हैं। वर्षों से शौचालय खराब पड़ा है। इस विद्यालय के 85 बच्चों पंजीकृत हैं। तीन कक्षा कक्ष हैं। खिड़की पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। नौनिहालों की सुरक्षा को लेकर कोई बंदोबस्त नहीं है। प्रभारी प्रधानाध्यापक वर्षा सिंह बताया कि समस्या को लेकर सूचना मुख्यालय भेजी गई है।
जर्जर छत होने के कारण एक ही कमरें में चलती हैं दो-दो कक्षाएं
- कंपोजिट विद्यालय परसिया में जागरण टीम 11:00 बजे पहुंची। इस भवन का निर्माण 2001 में कराया गया है। इसमें कक्षा कक्षों की संख्या पांच है लेकिन जर्जर होने के कारण एक ही कमरे में दो-दो कक्षाएं संचालित होती हैं। हर कमरों की छत से पानी टपक रहा था। इसके निर्माण पर 10 लाख से भी ऊपर बजट खर्च किया गया था। यहां पर 90 बच्चें पंजीकृत हैं। छत से पानी टपकने के कारण सीलन से पूरी दीवारें जर्जर हो चुकी हैं। कब ढह जाए कोई भरोसा नहीं है। विद्यालय के कमरों की खिड़कियां पूरी तरह से टूटी थी। स्कूल के पास मिले अभिभावक रामकुमार राजभर का कहना है कि छत जर्जर होने से बच्चों पर खतरा बना रहता है। इसकी हर समय चिंता बनी रहती है। प्रधानाध्यापक आनंद ज्योति सिंह ने बताया कि इस समस्या को खंड शिक्षा अधिकारी के माध्यम से जिले तक अवगत कराया गया है फिर भी बच्चे सीमित संसाधन में ही बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
वहीं दैनिक जागरण की ओर से चलाए गए कितने सुरक्षित हैं स्कूल को लेकर शिक्षा विभाग में हलचल मच गई है। विद्यालयों की विभागीय आडिट भी शुरू कर दिया गया है। स्कूलों की बाउंड्रीवाल, भवन, शौचालय, पेयजल और बिजली आदि सुविधाओं को लेकर विभाग की ओर से कवायद तेज कर दी गई है। खंड शिक्षा अधिकारी नगरा राम प्रताप सिंह ने बताया कि नगरा ब्लाक में 191 के सापेक्ष 40 स्कूलों में शौचालय की समस्या है। इसके लिए बजट शासन से मिल चुका है। शीघ्र ही इस पर काम कराया जाएगा। पंद्रह दिन के अंदर स्वच्छता सामग्री, टायलेट क्लोनर,फिनायल,साबून,चूना,झाडू व तौलियां व नेलकटर,हैंडवाश व सैनेटाइजर सभी स्कूलो पर उपलब्ध हो जायेगा। पंद्रह दिन के अंदर सभी स्कूलों की व्यवस्था ठीक कर ली जाएगी।
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