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    बलिया में अवैध कोचिंग सेंटरों पर प्रशासन की चुप्पी, बच्चों की सुरक्षा पर मंडरा रहा खतरा

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 04:50 PM (IST)

    बलिया जिले में अवैध कोचिंग सेंटर बिना किसी रोक-टोक के चल रहे हैं, जहां सुरक्षा मानकों का उल्लंघन हो रहा है। प्रशासन की चुप्पी के कारण बच्चों की सुरक्षा खतरे में है। इन कोचिंग सेंटरों में आग से बचाव के कोई इंतजाम नहीं हैं, और न ही पर्याप्त जगह है। अधिकारियों से संपर्क करने पर भी कोई जवाब नहीं मिला है।

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    अवैध कोचिंग सेंटरों और डिजिटल लाइब्रेरियों पर प्रशासन की चुप्पी।

    जागरण संवाददाता, नवानगर (बलिया)। सिकंदरपुर तहसील क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित हो रहे कोचिंग सेंटरों और डिजिटल लाइब्रेरियों पर प्रशासनिक सख्ती की कमी अब गंभीर खतरे का रूप ले रही है। क्षेत्र में दर्जनों कोचिंग सेंटर और लाइब्रेरी बिना अनुमति, बिना पंजीकरण और बिना सुरक्षा मानकों के खुलेआम चल रहे हैं।

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    इनमें न अग्निशमन उपकरण हैं, न आपातकालीन निकास, और न ही सुरक्षित भवन व्यवस्था। भीड़भाड़ वाले छोटे कमरों में बड़ी संख्या में बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जाना किसी बड़े हादसे को दावत दे रहा है।

    स्थानीय लोगों का कहना है कि अधिकांश इमारतें मानकों के अनुरूप नहीं बनी हैं और गर्मी के दिनों में अव्यवस्थित वायरिंग व बिजली के अत्यधिक उपयोग से आग लगने की आशंका दोगुनी हो जाती है। इसके बावजूद संचालक सुरक्षा से जुड़े किसी भी नियम का पालन नहीं कर रहे हैं।

    कई कोचिंग सेंटर तो विद्यालय के समय में ही चालू रहते हैं, जिससे आसपास के स्कूलों की उपस्थिति प्रभावित हो रही है और बच्चों की पढ़ाई पर भी विपरीत असर पड़ रहा है।

    निर्धारित मानकों के अनुसार कोचिंग सेंटरों में मजबूत भवन, पर्याप्त वेंटिलेशन, रोशनी, शौचालय, अग्नि सुरक्षा उपकरण अनिवार्य हैं। हर 20 छात्रों पर एक योग्य शिक्षक, मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, करियर गाइडेंस, शुल्क में पारदर्शिता और बिना अनुमति झूठे व भ्रामक विज्ञापनों पर रोक जैसे नियम स्पष्ट रूप से लागू हैं।

    बीच में फीस बढ़ाने और कोर्स छोड़ने पर 10 दिनों के भीतर शेष राशि वापस करना अनिवार्य है।
    डिजिटल लाइब्रेरियों के लिए भी साफ निर्देश हैं।

    डिजिटल सामग्री का सुरक्षित उपयोग, सिस्टम सुरक्षा सुनिश्चित करना, बिना अनुमति सॉफ्टवेयर इंस्टॉल न करना, कंप्यूटर सेटिंग में बदलाव पर रोक और सभी उपयोगकर्ताओं को समान संसाधन उपलब्ध कराना। निजी गैजेट लाने या सिस्टम साझा करने पर भी प्रतिबंध है।

    क्षेत्रवासियों ने बताया कि मनमानी फीस वसूलना भी आम बात हो गई है। छात्रों से 1000 से 1500 रुपये तक मासिक शुल्क लिया जा रहा है, जबकि न सुविधाएँ हैं और न ही गुणवत्ता। अभिभावकों व विद्यालय प्रबंधकों ने कई बार अधिकारियों को शिकायत दी, लेकिन कार्रवाई शून्य रही।

    क्षेत्रवासियों का कहना है कि यदि प्रशासन समय रहते कार्रवाई नहीं करता, तो किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। लोगों ने मांग की है कि सभी अवैध कोचिंग सेंटरों और डिजिटल लाइब्रेरियों की जांच कर तत्काल कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा और भविष्य सुरक्षित रह सके।

    इसी बीच किकोढा निवासी छात्र सुमित यादव ने बताया कि वह भी कुछ महीने पहले एक कोचिंग सेंटर में पढ़ता था, लेकिन भीड़भाड़, गर्मी और सुरक्षा के अभाव के कारण उसे पढ़ाई में ध्यान लगाना मुश्किल हो गया।

    'कमरे में 40–50 बच्चे भर दिए जाते थे। न पंखा ठीक, न रोशनी और न जगह ही ठीक है। कई बार वायरिंग से चिंगारी निकलते देखी, लेकिन संचालक ने कभी ध्यान नहीं दिया' सुमित ने कहा। उसने बताया कि फीस हर महीने बढ़ाने की धमकी दी जाती थी, जबकि सुविधाएं शून्य थीं।

    जिला विद्यालय निरीक्षक देवेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि सिकंदरपुर का यह मामला संज्ञान में आया है जांच करके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।