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    Death Sentence: बच्ची से दरिंदगी व मौत के दोषी को फांसी, 58 दिन में कोर्ट ने सुनाई सजा

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 07:15 PM (IST)

    बांदा में 2025 में एक तीन वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी सुनील निषाद को पास्को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषी पर 65 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह फैसला 58 दिनों के भीतर आया है जिसमें 10 गवाह पेश किए गए। फैसले के बाद दोषी को पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।

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    बच्ची के साथ दुष्कर्म व हत्या करने के दोषी को फांसी की सजा।

    जागरण संवाददाता, बांदा। तीन वर्षीय मासूम के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने वाले आरोपित को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश पास्को एक्ट प्रदीप कुमार मिश्रा की अदालत ने सोमवार को सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाते हुए दोषी सुनील कुमार निषाद को मृत्युदंड की सजा सुनाई। इसके साथ ही अदालत ने अन्य धाराओं में सजा और कुल 65 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न अदा करने पर दोषी को एक-एक वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

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    घटना से तीन माह पांच दिन बाद फैसला आया । जबकि चार्ज बनने के बाद 58 दिन में पूरी सुनवाई की प्रक्रिया चली है। फैसला सुनाए जाने के बाद न्यायाधीश ने परंपरा अनुसार अपनी कलम तोड़ दी।

    मामला चिल्ला थाना क्षेत्र के एक गांव का है। पीड़ित पिता ने तीन जून 2025 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि उनकी तीन वर्षीय पुत्री को पड़ोसी सुनील कुमार निषाद टाफी खिलाने के लिए बहला-फुसलाकर घर ले गया। इसके बाद बच्ची अचानक लापता हो गई। स्वजन और ग्रामीणों ने काफी खोजबीन की लेकिन बच्ची का पता नहीं चल सका। पिता को शुरू से ही सुनील कुमार पर शक था। जांच में आरोप पुख्ता हुआ और विवेचक राम दिनेश तिवारी ने 14 जून 2025 को अदालत में आरोप पत्र पेश कर दिया। 

    सुनील निषाद।

    इसके बाद मुकदमे की सुनवाई तेजी से चली। नौ जुलाई को आरोप तय हुए और 14 जुलाई से 30 जुलाई तक लगातार गवाहों के बयान दर्ज किए गए। इनमें पीड़िता के पिता, माता, दादी, दुकानदार, चिकित्सक और विवेचक शामिल थे। चार अगस्त को अदालत ने आरोपित का बयान दर्ज किया। इसके बाद 8 और 14 अगस्त को बहस हुई। 

    सोमवार को न्यायालय में जिला शासकीय अधिवक्ता विजय बहादुर सिंह परिहार और जिला शासकीय अधिवक्ता पास्को कमल सिंह गौतम ने अदालत में कहा कि यह मामला समाज को झकझोर देने वाला है। तीन वर्षीय मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या करना एक जघन्य अपराध है, जिसे किसी भी हालत में क्षमा नहीं किया जा सकता। उन्होंने तर्क दिया कि इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कठोरतम दंड आवश्यक है। अभियोजन पक्ष ने मेडिकल रिपोर्ट, गवाहों के बयान और विवेचक की जांच को अदालत में मजबूत साक्ष्यों के साथ पेश किया। 

    वकीलों ने कहा कि आरोपित के विरुद्ध सभी सबूत स्पष्ट रूप से उसके अपराध को साबित करते हैं। इसलिए उसे मृत्युदंड की सजा देना ही न्यायसंगत है। अदालत ने अभियोजन की दलीलों से सहमति जताते हुए अपने फैसले में कहा कि इस जघन्य अपराध के लिए केवल मृत्युदंड ही उचित दंड है, जिससे समाज में भय और न्याय दोनों का संदेश जाएगा। 

    अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपित सुनील कुमार को दोषी ठहराया और मृत्युदंड का आदेश दिया। निर्णय के दौरान अदालत में माहौल भावुक हो उठा। दोषी के माता-पिता भी मौजूद थे। बेटे को फांसी की सजा सुनते ही उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। दूसरी ओर पीड़ित परिवार और गांव के लोगों ने अदालत के इस फैसले को न्याय की जीत बताया और कहा कि दरिंदे को मिली यह सजा समाज के लिए एक कड़ा संदेश है।

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