बांदा के मुस्लिम युवक ने संत प्रेमानंद को एक किडनी देने की जताई इच्छा, चिट्ठी लिखकर कही ये बात
बांदा के एक मुस्लिम युवक ने संत प्रेमानंद महाराज को किडनी दान करने की इच्छा जताई है। बुंदेलखंड इंसाफ सेना के अध्यक्ष ए एस नोमानी ने पत्र लिखकर यह पेशकश की। नोमानी ने इसे सांप्रदायिक सद्भाव में योगदान बताया। संत प्रेमानंद महाराज पिछले दो दशकों से पॉलीसिस्टिक किडनी रोग से पीड़ित हैं और डायलिसिस पर हैं। नोमानी ने कहा कि महाराज समाज को नई दिशा देते हैं, इसलिए उनकी कुशलता के लिए प्रयास करना सबका दायित्व है।

जागरण संवाददाता, बांदा। बांदा शहर के एक मुस्लिम युवक ने प्रेमानंद महाराज को किडनी दान करने की इच्छा जताई है। युवक ने संत के नाम लिखी चिट्ठी में कहा कि महाराज आप समाज के प्रेरक हैं। आप पूरी दुनिया को अमन चैन का पैगाम देते हैं। पथ प्रदर्शक होने के नाते आपको स्वस्थ्य रखने की जिम्मेदारी समाज के हर वर्ग की है।
प्रेमानंद महाराज के जीवन और संदेश से प्रभावित होकर बांदा में बुंदेलखंड इंसाफ सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ए एस नोमानी ने संत प्रेमानंद जी महाराज को पत्र लिखकर अपनी किडनी देने की पेशकश की है। बांदा शहर के जरैली कोठी के रहने वाले एक 35 वर्षीय मुस्लिम युवक ए एस नोमानी ने संत प्रेमानंद जी महाराज’ को अपनी एक किडनी दान करने की इच्छा जताई है।
युवक ने इसे सांप्रदायिक सद्भाव में अपना योगदान बताया है। राधा वल्लभ संप्रदाय से जुड़े वृंदावन निवासी संत लगभग दो दशकों से पालीसिस्टिक किडनी रोग से पीड़ित हैं। लगभग 18-19 साल पहले दोनों किडनी खराब होने के बाद, वे नियमित डायलिसिस पर जीवित हैं।
फिर भी, 56 वर्ष की आयु में, वे अपनी दैनिक आध्यात्मिक साधना जारी रखते हैं। उनकी इसी निष्ठा के साथ अनुयायी उनकी आस्था और दृढ़ता की तारीफ करते हैं। ए एस नोमानी ने कहा कि संत प्रेमानंद महाराज सामाजिक सद्भाव के प्रतीक हैं, समाज को निरंतर एक नई दिशा देते हैं ऐसे में समाज में रहने के नाते हम सभी का दायित्व है कि हम उनकी कुशलता के लिए प्रयत्नशील हों।
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