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    डॉक्टर बने महंत की करतूत- पथरी की जगह निकाला पेट का अंदरूनी हिस्सा, मरीज की मौत होने पर सामने आई एक और कहानी

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 05:35 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में एक महंत द्वारा डॉक्टर बनकर पथरी के ऑपरेशन के दौरान मरीज के पेट का अंदरूनी हिस्सा निकालने से उसकी मौत हो गई। इस घटना ने चिकित्सा क्षेत ...और पढ़ें

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    बिना पथरी निकाले आमाशय काटकर सिल दिया पेट।

    संवाद सूत्र, कोठी (बाराबंकी)। पित्त में पथरी का ऑपरेशन करने के नाम पर झोलाछाप ने महिला का पेट फाड़कर पित्त की जगह अमाशय काट डाला।पेट को उल्टा सीधा सिल डाला। जिससे पेट के अंदर हो रही भीतरी रक्तस्राव से करीब चार लीटर खून भर गया जिससे उसकी मौत हो गई। तीन डॉक्टरों के पैनल से हुए पोस्टमार्टम में इसका पता चला है। उधर आरोपित पीड़ित से मुकदमा न दर्ज कराने के लिए समझौते की कोशिश में लगा है।

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    कोठी के डफरापुर गांव निवासी फतेहबहादुर रावत का कहना है कि मुनिशरा रावत पेट में दर्द का इलाज कराने के लिए कोठी चौराहा के बाजार परिसर में स्थित एक निजी औषधालय के संचालक व डॉक्टर उपचार के लिए संपर्क किया। उन्होंने पेट में पथरी होने और उसके ऑपरेशन के लिए कहा।

    पांच दिसंबर को मुनिशरा को उस अस्पताल में भर्ती कर छह दिसंबर को ऑपरेशन किया गया। जिसके कुछ देर बाद ही हालत बिगड़ने लगी और उसकी मौत हो गई तो डॉक्टर फरार हो गया। आक्रोशित परिवारजन ने शव सड़क पर पहुंच गए थे, लेकिन पुलिस के मनाने पर परिवारजन ने पोस्टमार्टम कराके शव का अंतिम संस्कार कर दिया था।

    तीन डॉक्टर के पैनल से पाेस्टमार्टम

    शव का पोस्टमार्टम तीन डॉक्टर के पैनल ने किया है। पोस्टमार्टम में मानवीय संवेदनाओं को शर्मसार करने के साक्ष्य मिले। महिला मुनेश्वरी के पेट में चार लीटर खून भर पाया गया, आपरेशन से पथरी तो नहीं निकाली गई थी, लेकिन अमाश्य को काट डाला गया था।

    जांच करने पहुंचे एसीएमओ बताया अवैध

    निजी अस्पताल व क्लीनिक पंजीकरण नोडल अधिकारी व एसीएमओ डा. लव भूषण गुप्ता व सीएचसी अधीक्षक सिद्धौर डा. संजय कुमार पांडेय सोमवार को मौके पर पहुंचकर जांच पड़ताल की। अस्पताल के मुख्य दरवाजे में ताला लगा होने के कारण वह वापस लौट गए। उन्होंने बताया कि अस्पताल का पंजीकरण नहीं है और अवैध है। मामले में डाक से नोटिस भेजी जाएगी।

    ग्राम प्रधान, महंत फिर बना झोलाछाप

    आरोपित करीब 15 वर्ष पूर्व ग्राम प्रधान था। बताया जाता है कि इसके पिता डॉ. पुरुषोत्तम शरण मिश्रा श्री कांता नाथ प्रथम चित्रकूट धाम के महंत थे। उनके निधन के बाद छह माह के लिए उसको वहां के कार्यवाहक महंत के रूप में रखा गया था। जहां विवादों के कारण उनको हटा दिया गया।

    वह पहले जानवरों का इलाज करता था और फिर झोलाछाप बनकर उपचार करते हुए ऑपरेशन भी करने लगा। अप्रशिक्षित और अज्ञात के चलते उसने महिला की जान ले ली।