मौलाना को अखरी अखिलेश की 'आला हजरत' से दूरी, शहाबुद्दीन बोले- गली-गली घूमे, लेकिन दरगाह ना आना कष्टदायी
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव शहर में आठ नेताओं से मिलने पहुंचे, लेकिन दरगाह आला हजरत नहीं गए। इस पर आल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन ने सवाल उठाते हुए कहा कि अखिलेश का दरगाह पर हाज़िरी न देना बरेलवी सुन्नी मुसलमानों के लिए दुखद है।

मनीस पांडेय, जागरण बरेली। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव शहर में आठ नेताओं से मिलने गए, मगर दरगाह आला हजरत से दूरी क्यों बनाए रहे...? सपाई खेमे में भले ही इसके मायने हों या न हों, परंतु आल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन ने सवाल उठा दिया। सोमवार को उन्होंने अखिलेश को घेरा कि उनका दरगाह पर हाजिरी न देना बरेलवी सुन्नी मुसलमानों के लिए कष्टदायी है।
उनके बयान पर सपा नेताओं से बात करनी चाही, मगर प्रतिक्रिया नहीं दी। कभी प्रत्यक्ष तो कभी परोक्ष रूप से सपा का झुकाव दरगाह की ओर रहा है। 2012 में मुख्यमंत्री बनने पर भी अखिलेश यादव ने अहमियत को ध्यान में रखा था। उन्होंने 2013 में दरगाह से जुड़े आबिद खां को राज्य एकीकरण परिषद का उपाध्यक्ष (दर्जा राज्यमंत्री) बनाया था। हालांकि, बाद में अंदरखाने उथल-पुथल होती रही थी। प्रत्येक वर्ष उर्स में सपा अध्यक्ष की ओर से चादर आती है, जिसे संगठन के प्रमुख नेता लेकर पहुंचते हैं।
दरगाह नहीं पहुंचने पर नहीं खड़े हुए सवाल
पूर्व में चुनावी सभाओं या राजनीतिक कार्यक्रमों में शहर आने के बावजूद अखिलेश के दरगाह नहीं पहुंचने पर सवाल खड़े नहीं हुए। 13 नवंबर को पांच घंटे यहां रहकर आठ नेताओं से मिलने गए, जोकि मौलाना शहाबुद्दीन रजवी को अखर गया। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि वर्ष 2027 के चुनाव की तैयारी हो रही, इसके बावजूद दरगाह पर हाजिरी न देना कष्टदायी है। जबकि उस दिन अखिलेश यादव बरेली में गली-गली घूमे थे।
उन्होंने चेताया कि उप्र में मुसलमानों में 60 प्रतिशत बरेलवी सुन्नी हैं। इतनी बड़ी आबादी को नजरअंदाज करना किसी भी पार्टी के लिए राजनीतिक रूप से घातक साबित हो सकता है। अखिलेश यादव देवबंद और नदवा तो जाते हैं, लेकिन कभी आला हजरत की दरगाह नहीं आए। मौलाना ने बरेलवी सुन्नी मुसलमानों का महत्व बताते हुए बिहार चुनाव परिणामों को उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन बिल के समय मुस्लिम पर्सनल बोर्ड की मुखालफत का केंद्र पटना रहा था।
मुख्यमंत्री आवास पर रोजा इफ्तार रखा
रमजान में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री आवास पर रोजा इफ्तार रखा, उनका निमंत्रण देवबंदी उलमा ने ठुकरा दिया था। बरेलवी उलमा उसमें शामिल हुए थे। उसके बाद से बिहार में मुसलमानों में दो धाराएं साफ दिखाई देने लगी थीं। रमजान के कुछ दिन बाद बरेलवी नेतृत्व को बिहार सरकार ने सम्मान दिया था। इसके परिणामस्वरूप बीते बिहार विधानसभा चुनाव में बरेलवी सुन्नी मुसलमानों ने नीतीश का साथ दिया, यह बात कम लोग समझ पा रहे हैं।
13 नवंबर को यहां गए थे अखिलेश यादव बहेड़ी विधायक अताउर रहमान एवं पूर्व विधायक सुल्तान बेग के यहां शादी समारोह में, भोजीपुरा विधायक शहजिल इस्लाम अंसारी एवं पूर्व जिलाध्यक्ष अगम मौर्य के घर, पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार, पूर्व राज्यसभा सदस्य वीरपाल सिंह, पूर्व एमएलसी प्रो. वसीम बरेलवी, राजेश कुमार सिंह के घर।

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