रुवि के दीक्षा समारोह में आनंदीबेन बोलीं: पढ़े-लिखे भी भटक रहे, शिक्षा के साथ देशभक्ति जरूरी
रुहेलखंड विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षा समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने छात्रों से कहा कि चार अंक कम आएं तो भी देशभक्ति हृदय में रहनी चाहिए। उन्होंने शिक्षा में संतुलन, नैतिक मूल्यों और समाज सेवा की भावना को विकसित करने पर जोर दिया।
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जागरण संवाददाता, बरेली। रुहेलखंड विश्वविद्यालय में गुरुवार को आयोजित 23वां दीक्षा समारोह आयोजित किया। इस समारोह के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 111 शोधार्थियों को शोध उपाधि व 94 मेधावियों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया।झारखंड के राज्यपाल और पुरा छात्र संतोष गंगवार को लाइफटाइम अचीवमेंट दिया गया।
कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा, रुहेलखंड की पावन भूमि ने स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर अब तक सक्रिय भूमिका निभाई। वर्तमान समय में जरूरी है कि शिक्षा के प्रतिस्पर्धी समय में संतुलन की स्थिति बनी रहे।वह 2025 में 36 दीक्षा समारोह में जा चुकी हैं, हर जगह यह स्थिति बनी हुई है।छात्राएं सभी जगह आगे हैं, यह गौरवांवित और खुशी का विषय है, लेकिन छात्रों को भी आगे आना चाहिए।वह भी आगे आएं, यह प्रयास होना चाहिए।
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दिल्ली की आतंकवाद की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि कि वहां पढ़े- लिखे इंजीनियर, अकाउंटेंट, शिक्षक, चिकित्सक भी आतंकवादी बन रहे हैं। ऐसे में हमारी पढ़ाई व्यर्थ है। वो वीडियो वायरल कर रहे हैं कि हमारे इतने देश हैं, भारत एकमात्र हिंदू राष्ट्र है।हमें पढ़ते समय भी आसपास नजर रखनी होगी कि कौन किस तरह की गतिविधि कर रहे हैं।
प्रयोगशाला में जो आप सीख रहे हैं, उसका आगे चलकर दुरुपयोग न किया जाए।हमें समझना होगा कि पढ़ाई में चार अंक भले ही कम आएं, लेकिन देशभक्ति हमारे हृदय में भरी होनी चाहिए।छोटी छोटी चीजों के लिए लड़ने की बजाय माफ करना चाहिए। दहेज के लिए मारामारी कर रहे हैं, सड़क पर चलते हुए झड़प कर रहे हैं, यह गलत है।
भारत देश के स्वर्णिम अध्याय को लिख रहा है। यह दूरदर्शी सोच और प्रयास का परिणाम है। प्रधानमंत्री वही हैं, एसीएस से लेकर अन्य अधिकारी वही हैं, मोदी जी ने सभी का मार्गदर्शन किया। अगर पहले भी जनप्रतिनिधि मन से काम करते तो स्थिति कुछ और होती। पहले के प्रधानमंत्री में क्षमता थी, लेकिन वह बाहर नहीं निकाल सके।
सब जानते हैं कि सब हो जाता है, तभी फाइल एक टेबल से दूसरी टेबल तक पहुंचती है। भारत सरकार बजट देती है, लेकिन विभाग उसे खर्च नहीं कर पाते। अब कोई बिल्डिंग निर्माण होता है तो टेंडर करने में देरी की जाती है। भवन तैयार होने के बाद फर्नीचर का टेंडर किया जाता है, जबकि यह निर्माण संग होना चाहिए।

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