गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर सतनाम वाहेगुरु... से गूंजा बरेली कालेज, देशभर से आए रागी जत्थों ने किया कीर्तन
बरेली कॉलेज गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर 'सतनाम वाहेगुरु' के जाप से गुंजायमान हो गया। देशभर से आए रागी जत्थों ने कीर्तन किया और श्रद्धालुओं ने लंगर छका। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया और गुरु नानक देव जी के उपदेशों को सुना।
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जागरण संवाददाता, बरेली। गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर बुधवार को बरेली कालेज परिसर में भव्य दीवान सजाया गया। सुबह से ही परिसर में श्रद्धालुओं की आवाजाही शुरू हो गई। सभी धर्म और समुदायों के लोग गुरु साहिब के स्वरूप के आगे नतमस्तक हुए और विश्व कल्याण की कामना की। मुख्य दीवान में शहर सहित जिले के सभी गुरुद्वारों की प्रतिनिधि संगत उपस्थित रही।

कालेज परिसर को फूलों, प्रकाश और धार्मिक झंडों निशान साहिब से सजाया गया था। दीवान की शुरुआत शबद कीर्तन से हुई। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड से आए रागी जत्थों ने गुरु महिमा का बखान करते हुए अपनी मधुर वाणी से सभी को भावविभोर कर दिया। कीर्तन की धुन पर संगत देर तक ध्यानमग्न रही।
इस दौरान भाई गुरमीत सिंह, ज्ञानी जगतार सिंह और अन्य वक्ताओं ने गुरु नानक देव जी के जीवन, उनकी यात्राओं, निरंकार एक के संदेश और मानवता, समता एवं सेवा भाव पर आधारित शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी ने इंसान को धर्म की दीवारों से ऊपर उठकर सब में एक देखने की प्रेरणा दी।

दीवान के उपरांत कराह प्रसाद का वितरण किया गया। वहीं सुबह से देर शाम तक विशाल लंगर का आयोजन चलता रहा। संगत पंक्ति में बैठकर प्रेम और समानता के भाव के साथ लंगर छकती रही। लंगर सेवा में पुरुषों के साथ महिलाओं और युवाओं ने भी बढ़-चढ़कर योगदान दिया। कार्यक्रम में शहर के समाजसेवी, शिक्षाविद, छात्र, व्यापारी वर्ग सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
सेंट्रल गुरु पर्व कमेटी के प्रधान परमजीत सिंह ओबेराय ने बताया कि प्रकाश पर्व पर होने वाला यह दीवान सद्भाव, एकता और भाईचारे का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को गुरु साहिब की शिक्षाओं से जोड़ना समय की आवश्यकता है। कार्यक्रम के सफल संचालन में बरेली कालेज प्रशासन, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों और स्वयंसेवकों का विशेष योगदान रहा।

परिसर देर शाम तक सतनाम वाहेगुरु के जयकारों से गूंजता रहा। इस दौरान महासचिव हरप्रीत सिंह खालसा, मनजीत सिंह नागपाल आदि ने सहयोग किया।

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