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    Bareilly News: बरेली में स्टाफ को चाय-पानी कराने में झोंकी ताकत, 400 रुपए देकर भी नहीं बचा सके नवजात की जान

    By Jagran NewsEdited By: Ravi Mishra
    Updated: Sat, 08 Oct 2022 07:57 AM (IST)

    Bareilly News बरेली में स्टाफ को चाय पानी कराने के लिए परिजनों ने पूरी ताकत लगा दी। एसएनसीयू स्टाफ द्वारा मांगी गई 1800 की रिश्वत के बदले वह 400 ही दे पाए लेकिन बच्ची की जान नहीं बचा सके।

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    Bareilly News: बरेली में चाय-पानी कराने में झोंकी ताकत, 400 रुपए देकर भी नहीं बचा सके नवजात की जान

    बरेली, जागरण संवाददाता। Bareilly News : जिला महिला अस्पताल (Women District Hospital) में नवजात की इलाज के दौरान मौत हो गई। स्वजन का आरोप है कि स्पेशल न्यू बार्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) के स्टाफ ने 1800 रुपये की मांग की। मात्र चार सौ रुपये ही दे पाए, जिस कारण बच्चे का ठीक से इलाज नहीं किया।

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    आखिरकार लापरवाही के चलते नवजात ने दम तोड़ दिया। मामले की शिकायत पर सीएमएस ने जांच को फिर एक कमेटी गठित कर दी, जबकि ऐसी कितनी ही जांचों में अब तक कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है।

    सुभाष नगर की रहने वाली मीना ने जिला महिला अस्पताल में बुधवार को एक बेटी को जन्म दिया। इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। डाक्टरों ने कहा कि उसे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है। बाद में इलाज के लिए उसे गुरुवार शाम करीब साढ़े छह बजे एसएनसीयू भेजा गया।

    मीना की जेठानी पार्वती ने बताया कि जब वह बच्ची को लेकर गईं तो एसएनसीयू (SNCU) में बैठे स्टाफ ने भर्ती करने के नाम पर पहले पांच सौ रुपये मांगे। पार्वती के पास पांच सौ रुपये नहीं थे, इस पर उसे भर्ती करने से मना कर दिया। इसके बाद किसी तरह से पार्वती ने उन्हें चार सौ रुपये दिए। आरोप है कि कुछ देर बाद 1800 रुपये की मांग करने लगे।

    जब उन्होंने पैसे देने से मना किया तो कहा कि एसएनसीयू में आक्सीजन खत्म हो गई। कुछ देर बाद बोले- बच्चे को वेंटिलेटर की जरूरत है, जो यहां पर नहीं है। जब पार्वती ने कहा कि बच्चे से मिलना हैं तो उन्होंने मिलने नहीं दिया। गुरुवार रात को करीब ढाई बजे कहा कि उनके बच्चे की मृत्यु हो गई है। इससे स्वजन में रोष है।

    उनका कहना है कि पैसे नहीं दिए तो स्टाफ ने बच्चे को इलाज नहीं दिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। गरीबों से भी प्रसव के नाम पर धन उगाही नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की जारी पांचवीं रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि की गई थी कि बरेली में हर डिलीवरी पर मुफ्त सुविधाओं के अलावा भी एक व्यक्ति की जेब से करीब 1919 रुपये अतिरिक्त खर्च होता है।

    यह भी उसी का एक उदाहरण हैं। डिलीवरी कराने आने वाली हर महिला के परिवार वालों से इलाज के नाम पर धन उगाही की जा रही है। यदि नहीं देते हैं तो उन्हें बेहतर इलाज नहीं दिया जाता। ऐसा ही इस मामले में भी हुआ। पीड़ित के पास पैसे नहीं होने की वजह से वह कर्मचारियों को 1800 रुपये नहीं दे पाई।

    मीना के पति करते हैं मजदूरी पार्वती ने बताया कि मीना के पति मनोज मेहनत मजदूरी करके परिवार की गुजर बसर कर रहे हैं। इन दिनों उनके पैर में इंफेक्शन हो गया है। जिसकी वजह से वह मजदूरी पर भी नहीं जा पा रहे हैं। किसी तरह से जिला अस्पताल में पत्नी की डिलीवरी कराई। लेकिन पैसे नहीं थे तो बच्चे को गोद में भी नहीं खिला पाए।

    पहले भी कई बार लग चुके हैं गंभीर आरोप

    ऐसा नहीं है कि महिला जिला चिकित्सालय के कर्मचारियों पर पैसे लेने का यह आरोप पहली बार लगा है। यहां पर आए दिन पीड़ितों से इलाज के नाम पर वसूली की जाती है। बीते दिनों भी एक व्यक्ति से पैसे लिए गए थे, उसका बच्चा भी नहीं बचा तो उसने मुख्यमंत्री पोर्टल पर इसकी शिकायत की थी। मामले में क्या जांच रिपोर्ट गई इस बात का अभी तक किसी को भी पता नहीं चला। हर बार अस्पताल प्रशासन कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की बात करता है, लेकिन हर बार वो ठंडे बस्ते में चली जाती है।

    बच्चे की मृत्यु और स्टाफ के पैसे मांगने की जानकारी मिली है। इसके लिए एक जांच कमेटी गठित कर दी है। जांच में दोषी पाए जाने पर कर्मचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही एक-एक दिन का वेतन भी काटा जाएगा। -डा. अलका शर्मा, सीएमएस, जिला महिला चिकित्सालय