मेट्रो दौड़ाने की कवायद तेज: बरेली में लाइट मेट्रो नहीं, कानपुर-लखनऊ की तर्ज पर मेट्रो चलाने की संस्तुति
बरेली मेट्रो की डीपीआर इसी माह होगी फाइनल! प्रति किमी. ₹280 करोड़ लागत का अनुमान। बैरियर-टू के पास डिपो का स्थान तय। 22 किमी के दो रूटों पर मेट्रो चलाने की कवायद तेज। नवंबर 2025 के अंत तक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) शासन को भेजी जाएगी।
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प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, बरेली। शहर में मेट्रो दौड़ाने की कवायद तेज हो गई है। राइट्स ने प्राथमिक डीपीआर लगभग तैयार कर ली है। इसमें प्रति किलोमीटर लगभग 250 से 280 करोड़ रुपये खर्च आने की संभावना जताई गई है। इसमें स्टेशन का विकास भी शामिल है। जबकि बिना स्टेशन-जंक्शन के विकास के यह धनराशि डेढ़ सौ करोड़ आने की संभावना जताई गई है।
अधिकारियों के अनुसार डिपो का स्थान बैरियर- टू के पास तय कर लिया गया है। अब एयरफोर्स की ओर से फनल जोन में ऊंचाई से जुड़े बिंदुओं पर क्लीयरेंस मिलने का इंतजार किया जा रहा है। जिसके बाद विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को शासन को प्रेषित कर दिया जाएगा। इसके लिए नवंबर के अंतिम सप्ताह तक शेष प्रक्रिया पूरी होने की संभावना जताई गई है।
शासन से स्वीकृति मिलने के बाद बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने मेट्रो के संचालन से पहले डीपीआर बनाने की जिम्मेदारी मेट्रो निर्माता विशेषज्ञ राइट्स को दी है। राइट्स ने कई चरणों की सर्वे के बाद 22 किमी. के दो रूट पर मेट्रो संचालन की संभावना जताई है। जिसमें पहले चरण में दो कोच की मेट्रो होगी, यात्रियों की संख्या बढ़ने के साथ इसकी संख्या आठ कोच तक भी बढ़ाई जा सकेगी।
इसमें प्रतिघंटे 14 से 16 हजार यात्री आवागमन कर सकेंगे। बीडीए उपाध्यक्ष डा. मनिकंडन ए. ने बताया कि राइट्स की ओर से सर्वे कर डीपीआर को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके लिए डिपो के लिए तय स्थान पर एयरफोस के साथ फनल जोन को लेकर मंथन किया जा रहा है। एयरफोर्स की डिपो निर्माण पर सहमति के साथ ही मेट्रो के डीपीआर को शासन की स्वीकृति को भेज दिया जाएगा।
अध्ययन के दौरान पता लगा कि प्रदेश में कहीं भी लाइट मेट्रो परियोजना संचालित नहीं है। यूपी के कानपुर, लखनऊ समेत देश के विभिन्न महानगरों में मेट्रो परियोजनाएं ही चल रही हैं। अब बरेली में भी मेट्रो चलाने की संस्तुति करते हुए राइट्स ने बीडीए उपाध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट को मंडलायुक्त के सामने रखा जाएगा। अंतिम निर्णय वही लेंगी।
इसके लिए प्रारंभिक आकलन के साथ प्रस्तावित मार्ग पर मेट्रो का ट्रैक बनाने के लिए मिट्टी की जांच की जा चुकी है। बताया कि विशेषज्ञों ने प्रति किलोमीटर मेट्रो रूट की लागत करीब 250 से 280 करोड़ आने की संभावना जताई है। इसमें मिट्टी की खोदाई, पटरी निर्माण, पुल, सुरंग, पटरियां, स्टेशन, प्लेटफार्म, पार्किंग स्थल, प्रतीक्षालय और प्रशासनिक भवन, ओवरहेड विद्युतीकरण, आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली समेत अन्य कई आवश्यक कार्यों कराए जाएंगे।
राइट्स ने इन दो मार्गों पर तलाशी है संभावनाएं
पहला रूट : रेलवे जंक्शन से चौकी चौराहा, गांधी उद्यान, सेटेलाइट बस अड्डा, बीसलपुर चौराहा, रुवि वाया बैरियर-टू तक (करीब 12.5 किमी)।
दूसरा रूट : चौकी चौराहा से पटेल चौक, कुतुबखाना, कोहाड़ापीर, डेलापीर, नार्थ सिटी एक्सटेंशन से बैरियर टू तक (करीब 9.5 किमी)
(इसमें पटेल चौक से प्रेमनगर धर्मकांटा तक भूमिगत लाइन की संभावना तलाशी गई है।)
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