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    लोगों के रुपये जमा कराते-कराते साइबर ठगी की दुनिया में रखा कदम, गैंग लीडर अंकुश ने यूं बना ली टीम

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 05:30 AM (IST)

    अंकुश ने लोगों के पैसे जमा कराने के दौरान साइबर ठगी की दुनिया में प्रवेश किया और धीरे-धीरे एक टीम बनाई। उसने तकनीकी रूप से कुशल लोगों को शामिल करके एक संगठित गिरोह बनाया, जिसने कई लोगों को झूठे वादे करके साइबर ठगी का शिकार बनाया और उनसे पैसे ऐंठे।

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    जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही)। जनपद में मंगलवार को पकड़े गए सात साइबर ठगों की कुंडली खंगालने पर पुलिस के हाथ कई अहम सुराग लगे हैं। इनके नीचे भी ठगों की लंबी चेन है और ऊपर भी तमाम ठगों से इनका संपर्क मिला है। पुलिस ने जिस पांच करोड़ की ठगी को पकड़ा है, वह घूम फिर कर लखनऊ व बाराबंकी के बैंकों में ट्रांसफर हुए हैं।

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    हालांकि, किन-किन बैंकों में यह जमा हुए हैं या यहां से भी कहीं और गया है। इसकी पुलिस जांच कर ही है। इससे यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि उक्त दोनों जिलों में भी साइबर गैंग सक्रिय है। वैसे पूर्वांचल के जिलों में साइबर ठगी करने वाला गैंग लीडर अंकुश सोनी की हिस्ट्री भी सर्वे कंपनी से जुड़ी है।

    लोगों को कम अवधि में दोगुना लालच देकर पैसा जमा कराता था। पुलिस अधीक्षक अभिमन्यु मांगलिक ने बताया कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, पर्दा हटता जा रहा है। पूरी जांच हो जाए तो यह धनराशि ज्यादा होगी। वैसे सभी सातों आरोपितों के मोबाइलों की अभी जांच चल रही है, साइबर ठगी कर पैसा कहां जाता था, इसके क्लू मिले हैं।

    यू-ट्यूब चैनल से गैंग को किया ट्रेंड, अपने खातों से ही ठगी की शुरुआत की

    दो साल पहले गैंग लीडर ने वाराणसी के नाम से आनलाइन एडीपीएल डिजिटल मार्केटिंग कंपनी, एमेजोन सेलर, जाब हाल डाट काम कंपनी खोल ली। इन्हीं कंपनियों के जरिए लोगों का रुपये जमा कराने व खातों से लेनदेन करने के बाद साइबर ठगी की दुनिया में कदम रखा।

    पुलिस के अनुसार, इसने अपने विश्वासपात्र सात लोगों को साथ जोड़ा और सभी को एक-एक काम बांटते हुए यू-ट्यूब चैनल के माध्यम से ट्रेनिंग दिलानी शुरू की। सभी ने पहले कई चक्र में एक दूसरे के खाते में पैसा निकाले और ट्रांसफर कर अभ्यास किया।

    जब सातों लोग ठगी में परिपक्व हो गए तो इन्हें इनके काम बांटते हुए यह निर्देश देकर छोड़ा कि कोई अपने जिले में ठगी नहीं करेगा। जिले में ठगी की तो पकड़े जाएंगे। इससे इन्होंने अपने जिलों को छोड़कर देश भर में ठगी करनी शुरू कर दी।

    की जा रही संपत्ति की जांच

    पुलिस ने साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद जांच प्रक्रिया तेज कर दी है। सभी की संपत्ति की जांच की जा रही तो विभिन्न बैंकों के सात सौ खातों की हर एंट्री व रिकार्ड भी चेक किए जाएंगे। चूंकि बैंकों में अवकाश है इससे खातों की जांच अभी रुकी है, लेकिन इनकी संपत्तियों का विवरण जुटाया जा रहा है।

    एक खाते में पैसा हुए और वह सौ में ट्रांसफर हुए थे

    नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर दर्ज शिकायतों में मोबाइल नंबर व बैंक खातों के लेनदेन के आधार पर भदोही पुलिस का सूचना दी गई कि मोबाइल नंबरों और खातों की जांच की जाय। पुलिस को सभी नंबर बंद मिले, लेकिन बैंक खाता नंबरों से पता चला कि सातों के खातों में पैसा जमा हुए, लेकिन वह लगभग सौ बैंक खातों में ट्रांसफर होकर लखनऊ व बाराबंकी जिले के बैंकों में पहुंचे। पुलिस को अब यह शक है कि यह गिरोह यही तक है या इसके आगे भी नेटवर्क है, इसकी जांच की जा रही है।

    मंगलवार को हुई थी सातों साइबर ठगों की गिरफ्तारी

    पुलिस विभाग की साइबर क्राइम टीम ने गैंग लीडर अंकुश सोनी, प्रयागराज के मंसूराबाद स्थित नवाबगंज, कमलेश बिंद, भदोही के ऊंज स्थित पूरे नगरी का, शनि सिंह गोपीगंज के नवलपुर स्थित जखांव का, अवधेश कुमार चौधरी उर्फ दीपू उर्फ दीपक मीरजापुर स्थित नारायणपुर के हाजीपट्टी का, राहुल पासी भदोही के ज्ञानपुर स्थित भिदिउरा का, शहजाद गोपीगंज नगर पालिका के वार्ड 12 का और शोएब अंसारी उर्फ राजा वाराणसी के बड़ा गांव का निवासी है। गैंग के दो सदस्य बड़ागांव वाराणसी का सुधांशु गुप्ता और जखांव गोपीगंज भदोही का अवधेश बिंद फरार है।