भदोही जिले में स्नेह के बंधन में बांध उपेक्षितों को समता के सूत्र में पिरो रहीं स्नेहलता
भदोही में स्नेहलता श्रीवास्तव नामक एक महिला 23 वर्षों से वंचित बालिकाओं और महिलाओं को शिक्षा और अधिकारों के प्रति जागरूक कर रही हैं। वे झुग्गी-झोपड़ियों से बच्चों को निकालकर उन्हें शिक्षित करती हैं और महिलाओं को सरकारी योजनाओं की जानकारी देती हैं। उनकी संस्कारशाला से 800 से अधिक बालिकाएं उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुकी हैं।

जितेंद्र उपाध्याय, जागरण, भदोही। समाज में आज भी ऐसे लोग मौजूद हैं, जो भेदभाव के शिकार बालक, बालिकाओं को बराबरी का हक दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। झुग्गी-झोपड़ियों, कूड़ा बीनने, भीख मांगने जैसे वातावरण से निकालकर उन्हें शिक्षित कर शिक्षा के साथ सामाजिक व्यवस्था से जोड़ रहे हैं।
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ऐसी बालिकाओं, महिलाओं के स्वास्थ्य, सरकार की योजनाओं के प्रति जागरूक कर उनके अधिकार उन्हें बता रहे हैं। ऐसी ही एक महिला हैं भदाेही नगर के रजपुरा कालोनी फेज-1 निवासी स्नेहलता श्रीवास्तव। उन्होंने वंचितों को अपने स्नेह के बंधन में बांधा और समता के सूत्र में माला की तरह पिरोया है। 23 वर्षों से अपने घर में ही ज्योति पुंज शुल्क मुक्त संस्कारशाला से विद्यालय चला रही हैं। इनके पढ़ाए दो सौ ऐसे बच्चे अब व्यस्क हो गए हैं जो नौकरी, व्यवसाय से जुड़े हैं।
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यह पिपरीस, हरियावां, रेवड़ा, अहमदपुर फुलिया, सुरियावां की वनवासी, अनूसूचित जाति बस्ती में जाकर पहले शिविर लगाकर उन्हें शिक्षा के महत्व को समझाती हैं। बच्चों को शिक्षा देने के लिए प्रेरित करती हैं। इसके साथ महिलाओं को उनके अधिकारों को बताती हैं। आवास योजना हो या पेंशन, मातृ वंदना योजना, शादी अनुदान योजनाओं की विधिवत जानकारी देती हैं। उन्हें लेकर कार्यालय तक पहुंचती हैं। 55 वर्षीय स्नेहलता को महिला हों या बच्चे सभी मां कहकर पुकारते हैं। सम्पन्न परिवार की इस महिला का पूरा दिन इन्हीं के बीच कटता है। परिवार के लोग भी इनका भरपूर साथ देते हैं।
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23 साल में आठ सौ बालिकाओं को दिलाई उच्च शिक्षा
ज्योति पुंज शुल्क मुक्त संस्कारशाला में 23 वर्षों में आठ सौ ऐसी बालिकाएं हैं जो उच्च शिक्षा ले चुकी हैं। इनमें कुछ की शादी हो गई तो वह अपने पति के साथ हैं तो कुछ नौकरी कर रही हैं। वर्तमान में इनकी संस्कारशाला में ही पढ़ी दो युवतियां सुपर टेट की परीक्षा पास हैं और बच्चों को पढ़ा रही हैं। दो सौ बच्चे नौकरी और व्यवसाय से जुड़े हैं जो इन्हें मां कहकर पुकारते हैं।
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गरीब बच्चियों के स्वास्थ्य पर करती है बड़ा काम
अनुसूचित, जाति, वनवासी बस्ती की बच्चियों के स्वास्थ्य पर बड़ा काम किया है। उन्हें मासिक धर्म में साफ सफाई रखने के अलावा कोई बीमार होता है प्राथमिक उपचार के टिप्स देना। वह स्वस्थ रहें इसके लिए योग करना, गंभीर बीमारी पर अस्पताल पहुंचाती हैं।
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चलाती हैं योग की 17 कक्षाएं
स्नेह लता महिलाओं के लिए 17 स्थानों पर योग की कक्षाएं चलाती हैं। उद्देश्य यह कि वह स्वस्थ रहें। योग के माध्यम से उनकी हड्डियां मजबूत हों, पेट साफ रहे, मस्तिष्क ठीक रहे। योग के सारे आयाम उन्हें, इन्हीं की संस्कारशाला के माध्यम से यह कराया जाता है।
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परिवार वालों से मिली प्रेरणा
स्नेहलता कहती हैं कि उनका कोई एनजीओ नहीं है। पर स्कूल का रजिस्ट्रेशन 2002 का है। उनके पति यूपी बड़ौदा बैंक से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। परिवार में बेटा भी बैंक में है। उनके पास समाज सेवा के अलावा कोई अन्य कार्य ही नहीं है। परिवार के सभी सदस्यों को उनका यह कार्य खूब भाता है। उसके कार्यों को देखकर उनकी ससुराल वालों ने ही प्रेरणा दी कि वंचितों को बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए काम करो।
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