कितने सुरक्षित हैं स्कूल : जर्जर भवन में खतरे के साए में तराशा जा रहा है नौनिहालों का भविष्य
भदोही जिले के जर्जर भवन से खतरे के साए में नौनिहालों का भविष्य तराशा जा रहा है। छतें हाे गईं जर्जर टपक रहा पानी गिरता रहा है सीमेंट का चप्पड़ तो चारदीवारी न होने से परिसर में पहुंच जाते हैं मवेशी कुत्ते और बंदर। फर्नीचर की भी राह तकते बच्चे जमीन पर बैठकर होती है प़ढ़ाई।

जागरण संवाददाता, चौरी (भदोही) : देश के नौनिहालों का भविष्य जर्जर भवनों में खतरे के बीच तराशा जा रहा। वह भी इस स्थिति में जब सरकार शिक्षा पर पानी की तरह धन बहा रही है। विद्यालयाें को कायाकल्प योजना से 19 बिंदुओं पर संतृप्त करने के लिए मनमानी खर्च हुआ है। प्रधान, शिक्षकों ने विद्यालयों को तो चमका दिया, इसमें उनका हित भी सधा पर नौनिहालों की सुरक्षा को लेकर गंभीरता नहीं बरती।
कारण किसी भी भवन की उम्र 70 साल से कम नहीं होती पर जिले में 20 साल में ही विद्यालय भवनों के छत से सीमेंट के चप्पड़ गिर रहे हैं। छतों की ढलाई कैसी की गई हैं यह छूटे चप्पड़ बता रहे हैं। बरसात में कक्षाओं में पानी टपकता है तो बच्चों के ऊपर प्लास्टर गिर जाता है। इन विद्यालयों में तैनात शिक्षक जिम्मेदारों को सूचना देने तक सीमित हैं और जिम्मेदार नए बजट की इंतजार में हैं। राजस्थान के झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने की घटना के बाद सबक नहीं लिया गया। बुधवार को दैनिक जागरण ने भदोही ब्लाक के चौरी क्षेत्र के टिकैतपुर, बहुतरा खुर्द, गोड़ापार, दलापुर विद्यालयों की पड़ताल की। इसमें छतों की स्थिति जर्जर मिली तो चारदीवारी भी अधूरी थी जबकि बजट मिल चुका है। इन चारों विद्यालयों में 628 बच्चे पढ़ते हैं।
भवन जर्जर हुआ तो शिक्षकों ने बना लिया कार्यालय
कंपोजिट विद्यालय टिकैतपुर : विद्यालय में 277 बच्चों का पंजीयन है। 2006 में बने विद्यालय में तीन कमरे हैं पर कार्यालय कक्ष की छत जर्जर हो चुकी है। इसे देखकर लगता है कि यह अब गिरी कि तब। पहले इसमें छात्र बैठते थे लेकिन भवन की मरम्मत न होने पर शिक्षकों ने इसे अपना कार्यालय बना लिया। हालांकि बच्चों का इसमें आना जाना लगा रहता है। विद्यालय में साफ-सफाई, पेयजल, शौचालय व अन्य भवनों की स्थिति ठीक है। प्रधानाध्यापक राजेश कुमार सिंह ने बताया कि भवन की मरम्मत को बेसिक शिक्षा विभाग को पत्र लिखा है पर बजट न होने की बात कही जाती है।
चारदीवारी अधूरी, परिसर में आ जाते हैं पशु, बंदर
प्राथमिक विद्यालय बहुतरा खुर्द : विद्यालय में 94 बच्चों का पंजीयन है। यहां भवन, शौचालय, पेयजल की स्थिति तो ठीक ठाक है पर चारदीवारी अधूरी बनी है। विद्यालय का गेट भी आज तक नहीं लग पाया है। इसके चलते मवेशी, कुत्ते, बंदर विद्यालय परिसर में आ जाते हैं। इससे जगह-जगह गदंगी दिखती है, कुत्तों के चलते बच्चों की सुरक्षा को लेकर खतरा बना रहता है। चारदीवारी न बनने से रात्रि में अराजकतत्व भी आ जाते हैं। बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्कूल स्टाफ कुछ भी बोलने से बचता रहा। प्रधानाध्यापक रामचंद्र ने बताया कि चारदीवारी का निर्माण पूरा कराने का प्रयास किया जा रहा है।
जर्जर छत के नीचे पढ़्ते हैं नौनिहाल
प्राथमिक विद्यालय गोड़ापार : विद्यालय में 52 बच्चों का पंजीयन है। 2005 में बने एक कक्षीय भवन की छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। इसी कक्ष में बच्चे शिक्षा हासिल करते हैं। बरसात में छत से सीमेंट के टुकड़े गिरते रहते हैं। बरसात में भवन टपकता है। इससे किसी भी समय खतरा बना रहता है। बरसात होने पर कक्षों में पानी आ जाता है। प्रधानाध्यापक जितेंद्र तिवारी ने बताया कि जर्जर कक्ष के बारे में विभागीय अधिकारियों को अवगत कराया गया है।
2006 में बने भवनों की छतें हुई जर्जर
कंपोजिट विद्यालय दलापुर : कंपोजिट विद्यालय होने के कारण यहां कक्षा एक से आठ तक की पढाई होती है। सात भवनों में दो कमरों का छत जर्जर हो चुकी है। इन कमरों का निर्माण 2006 में कराया गया था। यहां पर 205 बच्चों का नामांकन है। कक्षों में बैठकर पढ़ाई करने वाले बच्चों के सिर पर हर समय खतरा मंडराता रहता है। हालांकि विद्यालय में पेयजल व्यवस्था, शौचालय ठीक हाल में है। चारदीवारी बनी है तो गेट भी लगा है। साफ सफाई ठीक है। यहां कुछ कमरों में बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं। फर्नीचर की व्यवस्था नहीं हो सकी है। कुछ कक्षों में फर्नीचर की व्यवस्था है। प्रधानाध्यापक आदित्य कुमार सिंह ने बताया कि जर्जर छत के बारे में विभाग को अवगत कराया गया है।
जिन विद्यालयों की छत खराब है, चारदीवारी नहीं बनी है। ऐसे विद्यालयों को चिन्हित किया जा रहा है। इनकी कंपोजिट ग्रांट से मरम्मत कराई जाएगी। सभी शिक्षकों को कहा गया है कि वह अपने भवन की स्थिति की रिपोर्ट दें। बच्चाें की सुरक्षा को लेकर विभाग पूरी तरह से संवेदनशील है।
विकास चौधरी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
बोले अभिभावक
विद्यालय में दो कमरों की छत जर्जर है। कुछ कमरों में डेस्क बेंच नहीं है। इससे बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ना पड़ता है। बाकी व्यवस्था ठीक है। छतों को देखकर बच्चों की चिंता बनी रहती है।
- सौरभ पटेल, दलापुर
प्राथमिक विद्यालय बहुतरा खुर्द में पेयजल व्यवस्था संग अन्य सुविधा सही है। पढ़ाई भी ठीक होती है। चारदीवारी अधूरी है, इससे बच्चों का खतरा बना रहता है। अभी तक गेट भी नहीं लग सका है। सुरक्षा की दृष्टि से यह जरूरी है।
- जोखन, रमईपुर
बारिश होती है तो छत से पानी टपकता है। छत भी जर्जर है। बारिश में बैठने पर दिक्कत होती है, कभी तो तो बरामदे में आना पड़ता है। छत की मरम्मत होनी चाहिए। इससे उन्हें पढ़ाई करने में आसानी होगी। सरजी कह रहे थे छत जल्द बन जाएगी।
- रंजना छात्रा कक्षा पांच, प्राथमिक विद्यालय गोड़ापार
बहुतरा खुर्द विद्यालय में मुख्य गेट न होने से आवारा पशु व कुत्ते तक विद्यालय परिसर में आ जाते हैं। इससे बच्चों की सुरक्षा को लेकर खतरा बना रहता है। पठन पाठन सही होता है। पर सुरक्षा को लेकर हर समय डर रहता है।
- आशीष पाठक, बहुतरा खुर्द
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।