मेरठ के अस्पताल में अपाइंटमेंट के नाम पर साइबर ठगों ने बिजनौर के अधिकारी को बनाया निशाना, इस कारण हुआ बचाव
Bijnor News : बिजनौर में गूगल पर अस्पताल का नंबर तलाशने पर साइबर अपराधियों ने वन विभाग के क्षेत्रीय वनाधिकारी को निशाना बनाने की कोशिश की। पुलिस मामले ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बिजनौर। साइबर ठग गैंग ने गूगल तक पर जाल बिछा लिया है। वन विभाग के क्षेत्रीय वनाधिकारी ने अपने एक रिश्तेदार को चिकित्सीय परामर्श दिलाने के लिए गूगल पर अस्पताल का ढूंढ़ा। नंबर मिलने पर डायल किया तो फोन उठाने वाला साइबर ठग गैंग के एक सदस्य का था। उसने मरीज का नाम लिखने के लिए तुरंत एपीके फाइल क्षेत्रीय वनाधिकारी के वाट्सअप पर भेज दी।
उन्होंने उसे खोलना चाहा तो मोबाइल पर तुरंत दिस फाइल मे बी हार्मफुल (यह फाइल नुकसानदायक हो सकती है) लिखा आया। उन्होंने फिर उसे नहीं खोला। इसके बाद फिर से साइबर ठग के सदस्य का फोन आया। मामला पकड़ में आने पर गिरोह का सदस्य बोला कि कोई उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता है।
महेश गौतम वन विभाग की बिजनौर रेंज में क्षेत्रीय वनाधिकारी पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने अपने एक किसी रिश्तेदार को मेरठ स्थित धनवंतरी हास्पिटल में डा.विनोद अरोडा को दिखाना था। दो दिन पहले उन्होंने मेरठ में रह रहे अपने भतीजे रवि गौतम से अस्पताल स्टाफ का नंबर लाने को कहा तो उनके भतीजे ने गूगल पर दी गई अस्पताल की डिटेल से डा.विनोद अरोड़ा के नाम से दर्शाया गया नंबर ही भेज दिया।
महेशचंद्र गौतम ने डा.विनोद अरोड़ा के नाम से दिए गए नंबर 9837331331 पर फोन किया तो फोन किसी व्यक्ति ने उठाया। उन्होंने डा.विनोद अरोड़ा से अपाइंटमेंट दिलाने के लिए कहा तो फोन उठाने वाले ने उनकी बात तुरंत ही डा.विनोद अरोड़ा से कराने की बात कही। इस पर महेश्चंद्र गौतम ने शक होने पर पूछा कि क्या डा.अरोड़ा इतने फ्री हैं किसी का फोन आते ही तुरंत बात कर लें। इस पर फोन उठाने वाले व्यक्ति ने अधिकारियों को खास तवज्जो दिए जाने की बात कही।
इसके बाद किसी ने उनसे खुद को डा.विनोद अरोड़ा बताकर मंगलवार को आकर मिलने को कहा। फिर पहले फोन उठाने वाले व्यक्ति ने क्षेत्रीय वनाधिकारी महेशचंद्र गौतम के नंबर पर व्हाट्सएप पर मैसेज भेजा और मरीज का नाम पूछा। महेशचंद्र गौतम ने मरीज का नाम लिख दिया तो उधर से व्हाट्सएप पर एक एपीके फाइल आई। इसमें हास्पिटल अपाइंटमेंट बुकिंग के बजाए हास्पिटल अपार्टमेंट बुकिंग लिखा हुआ था। उस लिंक को खोलकर मरीज का नाम लिखकर देने को कहा गया।
महेशचंद्र गौतम ने उस फाइल को खोलना चाहा तो मोबाइल ने सचेत करते हुए दिस फाइल मेय भी हार्मफुल का मैसेज पढ़ाया। उन्होंने एपीके फाइल नहीं खोली और उस नंबर पर फोन किया। इस पर फोन करने वाले व्यक्ति ने बिना डरे फाइल में नाम लिखने को कहा। तब तक महेशचंद्र गौतम सारा मामला समझ चुके थे। उन्होंने उसे बुरी भली कहते हुए फोन काट दिया।
बुधवार को फिर से उन पर साइबर गैंग के एक सदस्य का फोन आया और डा.अरोड़ा का अपाइंटमेंट दिलाने को कहा। महेशचंद्र गौतम ने उनसे ठगी से बाज आने को कहा तो फोन करने वाला व्यक्ति बोला कि उनका जाल बहुत बड़ा है। उन्हें कोई नहीं पकड़ सकता है। इतना कहकर फोन काट दिया। क्षेत्रीय वनाधिकारी महेशचंद्र गौतम ने बताया कि जब पहली बार डा.विनोद अरोड़ा से बात कराई गई तब वहां इस तरह की आवाज आ रही थी जैसे कि किसी काल सेंटर में काम हो रहा है। सतर्कता से वे ठगी से बच गए। उन्होंने बताया कि इस संबंध में साइबर थाने को भी सूचना दी जाएगी और अस्पताल प्रशासन को भी सचेत किया जाएगा।

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