Sugarcane Leopard: शर्मीले जंगली जीव को रास आया गन्ने का खेत, नहीं लौट रहे जंगल; शरीर में आया ये बदलाव
चार पांच साल पहले तक अमानगढ़ में 40 गुलदार दिखते थे। वन कर्मियों को तो कई कई महीने तक गुलदार नहीं दिखते थे जबकि बाघ दिखना आम बात होती थी। धीरे धीरे गुलदार अमानगढ़ से गन्ने के खेतों में आते चले गए और यहां नई पीढ़ी भी पैदा हुईं। गुलदारों ने खुद को खेतों में रहने के लिए ढाला और खेतों से गांवों की ओर आना शुरू कर दिया।

अजीत चौधरी, बिजनौर। अमानगढ़ से गन्ने के खेतों में आए गुलदारों के स्वभाव और शरीर दोनों में बदलाव आ गए हैं। ये गुलदार ही हैं, लेकिन विशेषज्ञों की भाषा में इन्हें शुगर केन लेपर्ड कहा जाता है। सामान्य गुलदारों से थोड़े अलग स्वभाव के लिए जाने जाते हैं और हर वक्त आसान शिकार की तलाश में ही घूमते हैं।
चार पांच साल पहले तक अमानगढ़ में 40 गुलदार दिखते थे। वन कर्मियों को तो कई कई महीने तक गुलदार नहीं दिखते थे, जबकि बाघ दिखना आम बात होती थी। धीरे धीरे गुलदार अमानगढ़ से गन्ने के खेतों में आते चले गए और यहां नई पीढ़ी भी पैदा हुईं।
खुद को खेतों में रहने के लिए ढाला
इन गुलदारों ने खुद को खेतों में रहने के लिए ढाला और खेतों से गांवों की ओर आना शुरू कर दिया। अब खेतों में गुलदार की आबादी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुछ साल पहले तक अमानगढ़ में 40 गुलदार थे और इस साल आठ महीने भी नहीं हुए और 24 गुलदार वन विभाग रेस्क्यू कर चुका है और आधा दर्जन से ज्यादा गुलदार हादसों में मारे जा चुके हैं।
खेतों में गुलदार गांवों में तो आ ही रहे थे, लेकिन अब इनके स्वभाव आउट शरीर में काफी परिवर्तन आने लगा है। खेतों में रहने के आदी हो चुके गुलदारों को शुगर केन लेपर्ड कहा जाता है। जिले के खेतों में घूम रहे गुलदार भी अब इसी श्रेणी में आ रहे हैं।
ये होता है अंतर
- वन में गुलदार का औसत वजन 65 से 70 किलो होता है। खेतों से 90 किलो तक के गुलदार पकड़े जा रहे हैं।
- वन में गुलदार रोशनी होने पर भाग जाते हैं। गांवों में गुलदार के मुंह पर टॉर्च की रोशनी डालने पर भी न भागने की वीडियो आती रहती हैं।
- वन के गुलदार इंसानों के सामने आते ही भाग जाते हैं। खेतों में आये गुलदारों के कुछ जगह पर पूरी रात लोगों के घर में बैठने के मामले सामने आ रहे हैं।
- वन में गुलदार शाम को शिकार की तलाश में निकलता है। गांवों के पास दिन में भी गुलदारों को शिकार करते हुए देखा जा रहा है।
- गुलदार को शर्मीला जीव माना जाता है। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर अमानगढ़ में इक्का दुक्का फोटो ही खींच पाए हैं। गांवों के पास गुलदार सड़क पर आकर बैठ रहे हैं।
खेतों में मिलने वाले गुलदार वन के गुलदारों से शारीरिक रूप से मजबूत हैं। ये गांवों में रोशनी वाले इलाकों में भी आ रहे हैं। गुलदारों को पकड़ने के लिए कई जगह पिंजरे लगे हैं। गांव वालों को भी सतर्क रहना चाहिए।
-अरुण कुमार सिंह, डीएफओ।
नहीं लौट रहे वन में
पहले धारणा थी कि खेतों में आए गुलदार गन्ने की फसल कटने पर वापस वन में लौट जाते हैं। अब जिले में गन्ने की फसल कटने के बाद गुलदार दिखने की घटनाएं और बढ़ी हैं।
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