UP Food: 60 मीटर की धारा में बह रही आधी गंगा, तटबंध की ओर हो चुकी है शिफ्ट, लगातार बढ़ रहा पानी का दबाव
Bijnor News बिजनौर में गंगा नदी की धारा बदलने से कटान का खतरा बढ़ गया है। आधी गंगा केवल 60 मीटर की धारा में बह रही है जिससे तटबंध पर दबाव बढ़ रहा है। रावली बैराज तटबंध पर कटान रोकने के प्रयास जारी हैं। जलस्तर कम होने पर कटान तेज हो जाता है।

अजीत चौधरी, जागरण, बिजनौर। नदी धारा बदलती रहती है और गंगा इस बात को सच कर रही है। कई किलोमीटर चौड़ा रकबा होने के बाद भी गंगा का आधा पानी केवल 60 मीटर चौड़ी धारा में ही बह रहा है। बाकी आधी धारा तटबंध से लगभग एक किलोमीटर दूर तक फैले टापुओं के दूसरी ओर बह रही है। पानी कम होने के बाद भी गंगा की धारा तटबंध के पास ही बहने की आशंका बनी हुई है।
तीन बाद भी रोका नहीं जा सका तटबंध पर कटान
रावली बैराज तटबंध पर कटान तीन बाद भी रोका नहीं जा सका। अब भी तटबंध की मिट्टी की ढांग टूटकर गंगा में समा रही है। कटान को रोकने के लिए श्रमिकों के अलावा क्षेत्र के लोग भी काम कर रहे हैं। इसके बावजूदत धारा लगातार तटबंध की ओर ही बढ़ रही है। गंगा में वर्तमान में 80 हजार क्यूसेक पानी बह रहा है। गंगा की धारा खादर में कहीं-कहीं दस किलोमीटर तक चौड़ी है। जहां तटबंध में कटान हो रहा है वहां भी गंगा का दूसरा छोर कई किलोमीटर दूर है।
गंगा का पानी दो धाराओं में बंटा
गंगा का पानी दो धाराओं में बंट चुका है। एक धारा तटबंध की ओर बह रही है तथा दूसरी इससे लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर दूर। धारा तटबंध और टापू के बीच तंग गली सी में बह रही है, इसलिए तटबंध की ओर घूमकर कटान कर रही है। आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि गंगा की धारा अब तटबंध की ओर ही शिफ्ट हो चुकी है। इस वर्ष केवल बाढ़ के दौरान ही गंगा में पानी पूरी धारा में आया था।
जलस्तर कम होने पर ही कटान करती है नदी
नदी जलस्तर कम होने पर ही कटान करती है। जलस्तर अधिक होने पर पानी तटबंध पर काफी ऊपर तक बहता है। तब नदी कटान करती है तो ऊपर की ओर धारा चलती है। तटबंध के नीचे का भाग सुरक्षित रहता है। जलस्तर कम होने पर धारा तटबंध में नीचे की मिट्टी को काटकर बहा ले जाती है और ऊपर ढांग अपने आप गिर जाती है। यह मिट्टी तुरंत ही बह जाती है और नदी तटबंध की ओर ज्यादा शिफ्ट हो जाती है।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ब्रजेश मौर्य का कहना है कि गंगा की धारा तटबंध के पास एक ही ओर शिफ्ट होने से की वजह से ज्यादा परेशानी हो रही है। बीच में रेत के टापू होने की वजह से पानी का दबाव लगातार तटबंध की ओर बढ़ रहा है।
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