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    UP : ट्रेजरी विभाग में हुआ इतने करोड़ का हेरफेर कि बुलाने पड़े अर्थशास्त्री, रकम सुनकर पुलिस के भी उड़े होश

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 09:02 PM (IST)

    चित्रकूट के कोषागार विभाग में 43.13 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। अफसरों और कर्मचारियों ने मिलकर पेंशनरों के खातों में फर्जी भुगतान किए और कमीशन लेकर पैसे वापस ले लिए। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच के लिए अर्थशास्त्रियों की मदद मांगी है। जांच में फर्जी भुगतान आदेश और बैंक खातों की हेराफेरी जैसे कई पहलू सामने आए हैं।

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    जागरण संवाददाता, चित्रकूट। कोषागार विभाग में सामने आए करोड़ों रुपये के घोटाले ने पूरे प्रशासनिक तंत्र को हिला दिया है। वर्ष 2018 से 2025 के बीच कोषागार के अफसरों और कर्मियों ने मिलीभगत कर पेंशनरों के 93 बैंक खातों में फर्जी भुगतान आदेशों के जरिए भारी रकम भेजी और बाद में उसी रकम को वापस ले लिया।

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    जांच में खुलासा हुआ है कि रकम को प्रॉपर्टी खरीदने की धनराशि बताकर भेजा गया था, और फिर 10 प्रतिशत कमीशन का लालच देकर पेंशनरों से पैसे निकलवाकर बंदरबांट किया गया। यह पूरा खेल पेंशन व वेतन मद में हेराफेरी करके चलाया गया।

    विभागीय प्राथमिक जांच में अब तक 43.13 करोड़ की गड़बड़ी सामने आई है। वरिष्ठ कोषाधिकारी रमेश सिंह ने इस संबंध में पटल सहायक लेखाकार संदीप श्रीवास्तव व अशोक कुमार, सहायक कोषाधिकारी विकास सचान व सेवानिवृत्त सहायक कोषाधिकारी अवधेश प्रताप सिंह सहित 93 खाताधारकों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई है।

    पुलिस ने किया था मुकदमा दर्ज

    पुलिस ने 17 अक्टूबर को मुकदमा तो दर्ज कर लिया, लेकिन रकम के जटिल लेनदेन और वित्तीय गणित को समझने में दिक्कत आने के कारण जांच की गति धीमी पड़ गई है। पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन से दो अर्थ विशेषज्ञ अधिकारियों की मांग की है, ताकि वे पुलिस टीम की जांच में तकनीकी और वित्तीय पहलुओं पर सहायता कर सकें।

    जानकारी के अनुसार, घोटाले में फर्जी भुगतान आदेश, बैंक खातों की हेराफेरी, पेंशन सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ और विभागीय सांठगांठ के कई पहलू सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों की टीम मिलने के बाद पुलिस को उम्मीद है कि लेनदेन की पूरी श्रृंखला का खुलासा किया जा सकेगा और यह पता लगाया जा सकेगा कि इतनी बड़ी रकम किन खातों में घूमती रही और किसने इसका लाभ उठाया। यह मामला न केवल चित्रकूट बल्कि पूरे प्रदेश में वित्तीय पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।
    क्योंकि कोषागार और बैंक के अधिकारियों ने सांठगांठ कर वर्ष 2018 में मर चुके चार पेंशनर्स को फिर जीवित कर 13.20 करोड़ रुपये निकाल लिए थे।

    तीन के खातों में तीन करोड़ से अधिक का लेनदेन हुआ है। वह पेंशनर्स के पुराने खाता बदल दिए गए थे। यह काम सिर्फ नीचे स्तर का नहीं है। इसमें उच्चाधिकारियों की भी भूमिका संदिग्ध है। इस घोटाला को पकड़ने वाली आडिट टीम ने भी उच्चाधिकारियों की निगरानी में लापरवाही मानी है।