दिवाली पर सेहत का रखें ध्यान! बाजार में बिक रहा मिलावटी खोया, ऐसे करें नकली-असली की पहचान
दीपावली के नजदीक आते ही बाजार में नकली खोवा और मिलावटी मिठाइयों की बिक्री बढ़ गई है। मानिकपुर, मऊ जैसे इलाकों में सिंथेटिक खोवा तैयार किया जा रहा है, जो महंगी दुकानों तक पहुंच रहा है। मिलावटी खोवा से बनी मिठाइयां आकर्षक तो हैं, पर सेहत के लिए हानिकारक हैं। खाद्य विभाग जांच कर रहा है, पर कार्रवाई धीमी है। असली और नकली खोवा की पहचान के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं।

जागरण संवाददाता, चित्रकूट। दीपावली जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे शहर के बाजारों में नकली खोवा और मिलावटी मिठाइयों की बिक्री भी तेजी से बढ़ती जा रही है। त्योहार के मौसम में मिठाइयों की मांग बढ़ने के चलते मिलावटखोर सक्रिय हो गए हैं।
खासतौर पर मानिकपुर, मऊ, राजापुर और बरगढ़ जैसे इलाकों में बड़े पैमाने पर सिंथेटिक, हाइड्रो, आलू और रिफाइंड तेल से मिलावटी खोवा तैयार किया जा रहा है, जिसे शहर सहित सतना, कटनी, रीवा, बिलासपुर, रायपुर, प्रयागराज और झांसी तक भेजा जा रहा है।
मिलावट के इस खेल का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि यह खोवा महंगी मिठाइयों की दुकानों तक पहुंच रहा है, जहां इसे ब्रांड के नाम पर शुद्ध बताकर बेचा जा रहा है। बस स्टैंड, पुरानी बाजार, शंकर बाजार, सिविल लाइंस, एलआईसी रोड, रेलवे स्टेशन रोड जैसे क्षेत्रों की कई मिठाई दुकानों में इन दिनों मिलावटी खोवा से बनी मिठाइयां तैयार की जा रही हैं।
मिठाइयां देखने में आकर्षक जरूर लग रही हैं, लेकिन उनके निर्माण स्थल पर साफ-सफाई की घोर अनदेखी की जा रही है। कई स्थानों से तो मिठाई बनाने के दौरान तीखी दुर्गंध तक महसूस की गई है। बाजार में इस समय खोवा की कीमत 320 से 360 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है और मांग लगातार बढ़ रही है।
अनुमान है कि दीवाली के दिन तक खोवा की कीमत 400 रुपये के पार जा सकती है। ऐसे में सस्ता खोवा या मिठाई खरीदते वक्त उपभोक्ताओं को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे मिलावटी उत्पादों का सेवन सेहत के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है। जिला अस्पताल के मेडिसिन विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से उल्टी, दस्त, पेट दर्द, गले में संक्रमण और हैजा जैसी बीमारियां हो सकती हैं। खासकर बच्चे और बुजुर्ग इस तरह की मिठाइयों से ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।
खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से जांच अभियान चलाने का दावा जरूर किया जा रहा है। जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी शशांक त्रिपाठी ने बताया कि कई दुकानों से सैंपल लिए गए हैं और जांच का दायरा आगे और बढ़ाया जाएगा। हालांकि, मिलावटखोरों की तेजी के मुकाबले प्रशासन की कार्रवाई बेहद धीमी नजर आ रही है।
कैसे पहचानें मिलावटी खोवा?
- गंध पहचानें– असली खोवा से हल्की मिठास और दूध की खुशबू आती है। नकली खोवा से अक्सर केमिकल या सड़ी दुर्गंध आती है।
- स्पर्श करें – असली खोवा नरम होता है और उंगलियों से दबाने पर टूटता है, जबकि मिलावटी खोवा चिपचिपा और रबर जैसा हो सकता है।
- पानी में घोलें– थोड़ा सा खोवा पानी में डालें। अगर वह पूरी तरह घुल जाए तो उसमें मिलावट की संभावना है, असली खोवा नीचे बैठता है।
- तलने पर झाग – नकली खोवा को गर्म करने पर झाग बनती है और रंग बदलता है, जबकि असली खोवा हल्का भूरा होता है और झाग नहीं बनती।
- कीमत पर न जाएं– बहुत सस्ता खोवा अक्सर नकली ही होता है। अगर बाजार रेट से बहुत कम दाम में मिल रहा हो तो सतर्क हो जाएं।
सावधानी ही बचाव
- मिठाई सिर्फ विश्वसनीय दुकानों से ही खरीदें।
- खुले में रखी मिठाइयों से बचें।
- अगर मिठाई खाने के बाद तबीयत बिगड़ती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- शक होने पर खाद्य विभाग को सूचना दें।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।