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    यहां बन रहा है UP का पहला ग्लास स्काई वाक, धनुषाकार पुल का तेजी से हो रहा निर्माण; जमीं पर बादलों का अहसास

    By Nitesh SrivastavaEdited By: Nitesh Srivastava
    Updated: Wed, 23 Aug 2023 05:36 PM (IST)

    रानीपुर टाइगर रिजर्व के उप निदेशक पीके त्रिपाठी ने बताया कि तुलसी जल प्रपात में बिहार प्रांत के UP first Glass Sky Walk Bridge स्काई वाक ब्रिज का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है। पयर्टकों को बढावा देने के लिए यूपी का पहला अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस ब्रिज बन रहा है। कांच के पुल पर लोग अपने कदमों के नीचे धरती भी आराम से देख सकेंगे।

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    UP first Glass Sky Walk Bridge: 3.70 करोड की लागत से बन रहा ब्रिज धनुषाकार होगा

     संवाद सहयोगी, मानिकपुर (चित्रकूट) : प्रभु श्रीराम की तपोभूमि के विंध्य पर्वत माला में स्थित तुलसी (शबरी) जल प्रपात में देश का तीसरा व प्रदेश का पहला ग्लास स्काई वाक ब्रिज बन रहा है। 3.70 करोड की लागत से बन रहा ब्रिज धनुषाकार होगा। जिसका काम तीव्र गति से चल रहा है।

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    रानीपुर टाइगर रिजर्व के उप निदेशक पीके त्रिपाठी ने बताया कि तुलसी जल प्रपात में बिहार प्रांत के राहगीर के तर्ज में स्काई वाक ब्रिज का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है।

    पयर्टकों को बढावा देने के लिए उत्तर प्रदेश का पहला अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस ब्रिज बन रहा है। यहां पर राक गार्डेन, रेस्टोंरेट व औषधि पार्क बनाए जाने का खाका तैयार किया गया। कांच का पुल पर चलते हुए लोग अपने कदमों के नीचे धरती भी आराम से देख सकेंगे।

    जमीं पर बादलों का अहसास

    मध्य प्रदेश के सतना बॉर्डर पर स्थित परासिन पहाड़ से धारकुंडी मारकुंडी जंगलों के बीच से चित्रकूट में पाठा के जंगलों में कल-कल बहती पयस्वनी नदी आगे चलकर मंदाकिनी के नाम से पहचानी गई।

    ग्राम पंचायत टिकरिया के जमुनिहाई गांव के पास स्थित बंबियां जंगल में पयस्वनी, ऋषि सरभंग आश्रम से निकली जलधारा व गतिहा नाले जलराशि की त्रिवेणी से शबरी जल प्रपात की छटा यूं मनोहारी दिखती है, मानो आसमान जमीन छूने को बेताब हो।

    कम पानी होने पर एक साथ थोड़ी-थोड़ी दूर पर तीन जलराशियां नीचे गिरती हैं।तीव्र बारिश में यह आपस में मिल जाती हैं। इससे इनके वेग व प्रचंड शोर से अंतर्मन के तार झंकृत हो उठते हैं। करीब 40 फीट नीचे गिरने वाली जलराशि कुंड में तब्दील होकर अथाह गहराई को प्राप्त करती है।

    60 मीटर चौड़े व इससे कुछ अधिक लंबे कुंड से फिर दो जलराशियां नीचे की ओर गिरकर सम्मोहन को और बढ़ा देती हैं। हर क्षण व लगातार यह नजारा आंखों को वहां से हटने नहीं देता है। पाठा के लिए जीवनदायिनी व बाढ़ में भीषण तांडव पर अनुपम सौंदर्य को और निखारने की तरफ कदम बढ़ें तो निकट भविष्य में यह देश-दुनिया के सैलानियों को अपनी तरफ खींचने का बड़ा केंद्र होगा।