Etawah News: गजब; विरोध का अनोखा तरीका, दलदल वाला रास्ता नहीं बना तो वृद्धा का ये वीडियो कर दिया Viral
इटावा के चकरनगर में ग्रामीणों ने सड़क बनवाने के लिए अनोखा प्रदर्शन किया। उन्होंने एक बीमार वृद्धा को चारपाई पर लिटाकर दलदल से निकालने का वीडियो वायरल किया। ग्रामीणों का कहना है कि 1.8 किमी लंबा रास्ता दलदल से भरा है और वन विभाग सड़क बनाने में अड़ंगा लगा रहा है जिससे 250 लोगों की आबादी नारकीय जीवन जीने को मजबूर है।

संवाद सहयोगी, जागरण, चकरनगर(इटावा)। इटावा में ग्रामीणों के विरोध का अनोखा तरीका सामने आया है। इसमें एक वृद्धा को अस्पताल ले जाते हुए का वीडियो बनाया। उस वीडियो को वायरल कर दिया गया। हालांकि जब जानकारी जुटाई गई तो यह महज ग्रामीणों ने रोड बनने के लिए किया।
गांव का रास्ता न बनने से परेशान नवयुवकों ने एक वृद्धा को शनिवार को चारपाई पर लिटाकर रास्ते में भरे दलदल से निकालने का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रचलित किया। उन्होंने अपनी समस्या सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया। 1.8 किमी लंबे रास्ते में भरे दलदल से ग्रामीणों का निकलना मुश्किल हो रहा है। रास्ता बनाने में वन विभाग अड़ंगा लगाए हुए है और इसकी ओट में जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं।
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गांव के नवयुवकों ने रक्षाबंधन के दिन शनिवार को गांव की सबसे बुजुर्ग करीब 85 वर्षीय वृद्धा द्रौपदी को चारपाई पर लिटाया और फिर चार व्यक्ति चारपाई को कंधे पर उठाकर दलदल से गुजारकर कर कुछ दूर आगे तक लाए फिर वापस घर पर लिटा दिया। इस मौके पर फोन करके एंबुलेंस भी बुलाई गई और फिर वृद्धा द्रौपदी के छत से गिरने का एक झूठा वीडियो सोशल मीडिया पर प्रचलित किया गया। लेकिन फिर भी कोई भी कर्मचारी युक्त गांव की समस्या को जानने नहीं पहुंचा।
चकरनगर विकास खंड की ग्राम पंचायत जगतौली के गोहरा गांव जाने के लिए 1.8 किमी तक कच्चे रास्ते में दलदल भरा है। इस चिकनी मिट्टी से बाइक व साइकिल तो निकलना दूर, यहां पैदल भी निकलना खतरे से खाली नहीं है। ऐसी स्थिति में कोई बीमार होता है, तो उसे चारपाई पर लिटाकर चार व्यक्ति 1.8 किमी तक पैदल निकाल कर ले जाते हैं। यह कोई नई समस्या नही है, बल्कि आबादी बसने से लेकर आज तक यह समस्या निरंतर बनी हुई है।
सोमवार को गांव के रास्ते पर खड़े होकर ग्रामीणों ने हाथ उठाकर विरोध प्रदर्शन किया और सुनवाई न होने पर धरना देने की प्रशासन को चेतावनी दी है। ग्रामीण सुरेंद्र कुमार, कप्तान सिंह, देशराज, राजू, जगराम, ज्ञान सिंह, मोनू, श्याम सिंह, शैलेन्द्र, शिवभान आदि की मानें तो वन विभाग 1.8 किमी में से मात्र 3.60 मीटर अपनी भूमि बता रहा है, लेकिन अन्य रास्ते में तो सड़क बिछनी चाहिए, किन्तु ग्राम प्रधान से लेकर क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, विधायक और सांसद ने भी इस रास्ते को बनाना उचित नहीं समझा।
सड़क न बनने से उक्त गांव की करीब 250 की आबादी वाला गांव आज भी नारकीय जीवन जीने को मजबूर है। यह समस्या बारिश के दौरान तीन महीने तो रहती ही है, साथ ही आसमान से बूंद टपकते ही ग्रामीणों के लिए बड़ी समस्या बन जाती है और जनप्रतिनिधि वन विभाग की ओट लेकर आज तक अपनी जिम्मेदारी से बचे हैं। उक्त समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों के द्वारा तहसील दिवस से लेकर विभिन्न पोर्टलों पर अपनी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हुआ।
विकास खंड का सड़क विहीन यह कोई पहला गांव नहीं है बल्कि कांयछी, नगला महानंद, बिरौनाबाग, कोटरा, गुरभेली, तेलियन खोड़न, नौरगा खोड़न आदि गांव की भी आज तक सड़क नहीं बनी है और सभी उक्त समस्या से जूझ रहे हैं।
लेखपाल को मौके पर भेजा गया है, उससे पूरी जांच रिपोर्ट मांगी गई है। सड़क न बनने को लेकर लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखा जाएगा। किसी वृद्धा के बीमार होने की कोई सूचना उनके पास नहीं है।
ब्रह्मानंद कठेरिया, उपजिलाधिकारी
करीब 800 मीटर हमारा क्षेत्र पड़ता है, अन्य रास्ता तो लोक निर्माण विभाग बना सकता है और अनुमति भी मिल सकती है, लेकिन किसी ने प्रयास ही नहीं किया। एसडीएम के द्वारा एक रिपोर्ट भेजी गई है, जो अनुमति के लिए गई है।
सूर्यकांत शुक्ला, डिप्टी रेंजर वन विभाग
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