फतेहपुर में विवादित मंदिर-मकबरा के बाहर बेरीकेड्स तक पहुंची महिलाएं, दीपदान कर गाये भजन
फतेहपुर के आबूनगर में मंदिर-मकबरा विवाद कोर्ट में है। कार्तिक पूर्णिमा पर महिलाओं के एक समूह ने विवादित स्थल के बाहर दीपक जलाकर पूजा-अर्चना की। महिलाओं ने पुलिस बैरिकेड्स के सामने ही आरती की और सुरक्षा घेरा नहीं तोड़ा। पुलिस अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया।

विवाद मंदिर-मकबरा के बार दीप जलाकर आरती करते श्रद्धालु। वीडियो ग्रैब
जागरण संवाददाता, फतेहपुर। शहर के आबूनगर नई बस्ती स्थिति विवादित मंदिर-मकबरा के बाहर बुधवार की शाम कार्तिक पूर्णिमा की पूजा-अर्चना हुई और भक्तों ने ताली बजाकर आरती गायी। वर्तमान में यह स्थल पुलिस की सुरक्षा में है, जिसके कारण महिला भक्त परिसर के अंदर नहीं पहुंच सकी। पुलिस द्वारा लगाए गये बेरीकेड्स के बाहर ही दीपदान कर भजन गाये। महिलाओं को हटाने में पुलिस से शहर कोतवाल से झड़प हो गई। बाद में पुलिस समझा-बुझाकर मामला शांत कराया।
कोर्ट में है मामला
मठ-मंदिर सरंक्षण संघर्ष समिति इसे प्राचीन ठाकुर द्वारा बताकर यहां सात अगस्त से पूजा व सफाई की अनुमति मांग रही है, लेकिन अब तक नहीं मिली। जबकि मुतव्वली अबू हरेरा से इसे मकबरा मंगी बता रहे हैं। 11 अगस्त को इसी को लेकर विवाद भड़क गया था और 300 से अधिक भक्तों ने इस प्राचीन इमारत में घुसकर यहां की दो मजारें तोड़ दी थी। पुलिस ने इस पर 10 नामजद और 150 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज किया था। हालांकि अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। वर्तमान में यह विवाद सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में है। जहां सुनवाई जारी है।
दो से तीन सौ महिलाएं दीपदान की जिद पर अड़ीं
बुधवार की शाम यहां कुछ महिलाएं एकत्रित हुई और पूर्व के वर्षों की भांति प्राचीन मंदिर में दीपदान की जिद करने लगी। सुरक्षा में लगी पुलिस ने महिलाओं को रोकते हुए कहा कि विवादित स्थल में नहीं जाने देंगे। पुलिस ने इन्हें अंदर जाने से रोक दिया फिर शाम करीब साढ़े सात बजे स्थानीय दो से तीन सौ महिलाएं हाथ में दीपक लेकर पहुंच गयी और पुलिस के बेरीकेड्स के समीप दीपदान किया, इमारत की ओर मुखातिब होकर आरती गाई और श्रद्धा से शीश नवाकर अपने अपने घर चली गयी। सीओ सिटी गौरव शर्मा व कोतवाली प्रभारी तारकेश्वर राय किसी तरह से महिलाओं को समझा-बुरूझाकर घरों के अंदर किया।
प्रत्येक वर्ष दीपदान की रही है परंपरा
स्थानीय मुहल्ले के छोटे, सुमन मिश्रा बताती हैं कि वर्तमान में जरूर यहां पुलिस बल तैनात है, लेकिन पिछले अनेक वर्षों से यहां लोग कार्तिक पूर्णिमा और दीपावली में दीपदान करने जाते रहे हैं। यह स्थानीय लोगों की मान्यता थी। लोग देव स्थान मानकर पूजा अर्चना करते रहे हैं, इस बार पहरा है तो बाहर से ही पूजा-अर्चना हुई।
कोर्ट में क्या हुआ, 12 नवंबर को फिर सुनवाई
मंदिर-मकबरा विवाद 2010 में सिविल जल सीनियर डिवीजन के उस फैसले पर शुरू हुआ, जिसमें कोर्ट ने टाइटिल सूट का फैसला देते हुए उक्त भूमि पर मंगी मकबरा नाम दर्ज करने को कहा था। इसके बाद राजस्व अफसरों ने खतौनी में मकबरा का नाम दर्ज कर दिया। रामनरेश सिंह व उनके पुत्र विजय सिंह की तरफ फैसले के खिलाफ अपील की गयी। जिसपर सुनवाई अब पूरी हो चुकी है और मूल मुकदमें में सुनवाई के लिए 12 नवंबर की तिथि तय है।
क्या बोले सभासद
यह तो ठाकुर जी का प्राचीन मंदिर है, मकबरा तो इसे सपा सरकार आने के बाद सरकारी दस्तावेजों में छेड़छाड़ करके जबरन बना दिया गया।
विनय तिवारी, सभासद सिविल लाइन
यह ठाकुरजी विराजमान मंदिर है, कोर्ट में लड़ाई चल रही है। हम लोगों की तरफ से अधिवक्ता साक्ष्य और सबूत भी कोर्ट में रख रहे हैं, आने वाली श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तक फैसले के आधार पर पूजा अर्चना की जाएगी।
ऋतिक पाल, अधिवक्ता

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