फतेहपुर के मंदिर-मकबरा विवाद की कोर्ट में सुनवाई 10 सितंबर को, दोनों पक्षों ने जुटाए साक्ष्य
फतेहपुर के आबूनगर में मंदिर-मकबरा विवाद की सुनवाई 10 सितंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में होगी। दोनों पक्ष इमारत पर अपना दावा कर रहे हैं। मंदिर पक्ष इसे प्राचीन ठाकुरद्वारा बता रहा है जबकि मकबरा पक्ष इसे अपना प्राचीन मकबरा बता रहा है। 11 अगस्त को हुई तोड़फोड़ के बाद मकबरा प्रशासन की सुरक्षा में है। इस मामले में दोनों पक्षों के अधिवक्ता अपने-अपने साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे।

जागरण संवाददाता, फतेहपुर। आबूनगर के मंदिर-मकबरा विवाद के चर्चित प्रकरण की सुनवाई 10 सितंबर को सिविल कोर्ट के सिविल जज सीनियर डिवीजन के यहां होगी। विवादित इमारत पर मंदिर था यह मकबरा है इसकों लेकर दोनों पक्षों के लोग डेढ सौ वर्ष पुराने दस्तावेज संकलित किए है। कोर्ट के वर्ष 2010 के एकपक्षीय आदेश के खिलाफ असोथर निवासी रामनरेश ने वर्ष 2014 में रेस्टोरेशन दाखिल किया था।
11 अगस्त को हुई तोड़फोड़ के बाद मकबरा पूरी तरह से प्रशासन के सुरक्षा घेरे में है। विवाद के बाद कोर्ट में बुधवार को दूसरी सुनवाई है, इसके पहले 30 अगस्त की सुनवाई में कोर्ट से अगली सुनवाई दस सितंबर की तिथि तय किया था। तारीख को लेकर कचहरी में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।
कोर्ट में होने वाली सुनवाई को लेकर मंगलवार को दोनों पक्षों के अधिवक्ता तैयारियों में लगे रहे। मंदिर पक्ष के अधिवक्ता रामजी सहाय के सहयोग में पांच से छह अधिवक्ता लगे रहे। विहिप के साथ मठ-मंदिर संघर्ष संरक्षण समिति के पदाधिकारी मकबरा को प्राचीन ठाकुर द्वारा मानते हुए पुराने साक्ष्य प्रस्तुत किए। जिस स्थान पर इमारत बनी है वह भूमि शकुंतलामान सिंह की है, इसके साक्ष्य प्रस्तुत किए।
मकबरा होने की दावेदारी को गलत ठहराने के लिए अधिवक्ताओं से जमींदारी अधिनियम से लेकर अब तक के साक्ष्य जुटाए हैं। विहिप के प्रांत उपाध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय ने कहा कि आबूनगर में ठाकुर द्वारा होने के हमारे पास पूरे सबूत हैं, इमारत में बने चिन्ह यह साबित करेंगे कि यह मंदिर था। उधर मकबरा के मुतवल्ली अबू हरेरा ने अपने अधिवक्ता अनिल श्रीवास्तव, फिरोज खान के माध्यम से वर्ष 2010 के हुए फैसले को आधार मानते हुए मकबरा के प्राचीनता के साक्ष्य जुटाए हैं। मकबरा पक्ष के अधिवक्ताओं का कहना है कि अबू मोहम्मद व अबू समद का यह प्राचीन मकबरा ईदगाह परिसर में है। न्यायालय के आदेश पर खतौनी में मकबरा दर्ज भी है।
जाने क्या है पूरा मामला
आबूनगर मोहल्ले के रेडइया स्थित पुरानी इमारत को लेकर सात अगस्त 2025 को मठ-मंदिर संघर्ष संरक्षण समिति ने डीएम को ज्ञापन देकर साफ-सफाई व पूजा-पाठ करने का अल्टीमेटम दिया। समिति ने दावा किया कि मकबरा कही जाने वाली इमारत ठाकुरजी विराजमान मंदिर है। दस अगस्त को भाजपा जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में भारी संख्या में लोग एकत्रित हुए और प्रशासन के सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए मकबरा में घुस गये और तोड़फोड़ किया। इसके बाद प्रशासन ने दस नामजद व डेढ़ सौ अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इसी के साथ सिविल जज सीनियर डिवीजन के यहां चल रहे रेस्टोरेशन वाद पर पैरवी तेज कर दी गई।
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